संस्कृति विवि में विद्यार्थियों को नशे से मुक्त रहने की दिलाई शपथ
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय में नशा मुक्ति अभियान के तहत विद्यार्थियों को नशा मुक्ति हेतु शपथ दिलायी गई। इस मौके पर संस्कृति विश्वविद्यालय के सभागार में हुए कार्यक्रम में वक्ताओं ने विद्यार्थियों से नशे से दूर रहने और युवाओं को जागरूक करने के लिए आह्वान किया। संस्कृति विश्वविद्यालय के कैंपस निदेशक डा. एसआर पांडे ने कहा कि नशीली दवाओं की लत एक गंभीर चिंता का विषय बनती जा रही है, खासकर युवा पीढ़ी में। इसके कारण न केवल नशीली दवाओं का सेवन करने वाले व्यक्ति पर बल्कि पूरे परिवार और समाज पर भी खतरनाक परिणाम सामने आ रहे हैं। नशीली दवाओं के दुरुपयोग के कारण अपराध दर में वृद्धि हुई है और समाज पर इसका समग्र रूप से हानिकारक प्रभाव पड़ा है। इस समस्या से निपटने के लिए रोकथाम सबसे प्रभावी रणनीति साबित हुई है। संस्कृति स्कूल आफ नर्सिंग के प्राचार्य डा. केके पाराशन ने कहा कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय देश में नशीली दवाओं की मांग में कमी लाने के लिए नोडल मंत्रालय है और अपने हस्तक्षेपों के तहत यह रोकथाम, समस्या की सीमा का आकलन, उपयोगकर्ताओं का उपचार और पुनर्वास, देखभाल और अनुवर्ती कार्रवाई, जनता के बीच सूचना का प्रसार और समुदाय में जागरूकता पैदा करने जैसे कई हस्तक्षेपों का समन्वय, कार्यान्वयन और निगरानी करता है।
वक्ताओं ने बताया कि देश में मादक द्रव्यों के उपयोग की समस्या की गंभीरता का आकलन करने और जानने के लिए, ‘पदार्थों के उपयोग के वर्तमान और स्वरूप पर राष्ट्रीय सर्वेक्षण’ नामक एक राष्ट्रीय स्तर का सर्वेक्षण किया गया, जिससे विभिन्न पदार्थों का उपयोग करने वाली भारतीय जनसंख्या और मादक द्रव्यों के उपयोग विकारों से प्रभावित लोगों के अनुपात का पता लगाया जा सके। नशा मुक्त भारत अभियान एक त्रि-आयामी हमला है, जिसमें नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा आपूर्ति पर अंकुश, सामाजिक न्याय और अधिकारिता द्वारा आउटरीच और जागरूकता और मांग में कमी के प्रयास और स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से उपचार शामिल हैं। कार्यक्रम में फार्मेसी विभाग के निदेशक डा. डीके शर्मा, एसओएमएस के विभागाध्यक्ष आरपी जायसवाल, प्राचार्य एसओपी डा. एसएन पटनायक, डीन रेनू गुप्ता, मृत्युंजय आदि ने शिक्षकों, विद्यार्थियों को संबोधित किया।