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Monday, May 19, 2025

संस्कृति विवि में विशेषज्ञ वक्ता ने बताई टैक्स और बिजनेस सेटअप की बारीकियां

In Sanskriti University, an expert speaker explained the nuances of tax and business setup

संस्कृति विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मैनेजमेंट एंड कॉमर्स द्वारा एंटरप्रेन्योरियल क्लब और इंस्टीट्यूशन इनोवेशन काउंसिल के सहयोग से “आइडिया से इनकम तक: टैक्स और बिजनेस सेटअप” विषय पर एक विशेषज्ञ कार्यशाला का आयोजन किया गया। विशेषज्ञ वक्ता के द्वारा विद्यार्थियों को वित्तीय क्षेत्र में नवोन्मेष और टैक्स से जुड़ी बारीक जानकारियां दी गईं।
कार्यशाला के दौरान अतिथि वक्ता सीए अतुल अरोड़ा ने विद्यार्थियों को व्यवसाय सेटअप, आयकर और नैतिक कर नियोजन से संबंधित महत्वपूर्ण अवधारणाओं का एक संरचित और आकर्षक विश्लेषण प्रदान किया। उन्होंने व्यावसायिक संस्थाओं के प्रकार और उनकी संबंधित कर दरें, नए व्यवसायों के लिए अनिवार्य पंजीकरण के बारे में विस्तार से जानकारी दी। सीए अरोड़ा ने आयकर की अनिवार्यता से जुड़े वेतन, गृह संपत्ति, पीजीबीपी, पूंजीगत लाभ और अन्य स्रोतों की बारिकियों को समझाया। आयकर की कटौतियों, विभिन्न धाराओं के तहत कौन-कौन सी कटौतियों होती हैं, अनुमानित कराधान योजनाओं, पूंजीगत लाभ कराधान, कर हानि संचयन और हाल ही में बजट 2025 में संशोधन के साथ अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर बड़े सुलझे तरीके से विद्यार्थियों को वक्तव्य दिया। उनके गतिशील वितरण और गहन विशेषज्ञता ने छात्रों को उद्यमशील विचारों को संरचित, आय-उत्पादक उपक्रमों में बदलने के लिए स्पष्ट, व्यावहारिक मार्गदर्शन प्रदान किया।
कार्यशाला में मौजूद संस्कृति विवि के कुलपति प्रो. एम. बी. चेट्टी ने वास्तविक दुनिया की मांगों के साथ तालमेल बिठाने वाली व्यावहारिक अंतर्दृष्टि प्रदान करने वाली कार्यशाला शुरू करने के लिए आयोजन टीम के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने स्थायी उद्यम बनाने के लिए छात्रों को वित्तीय और नियामक ज्ञान से लैस करने के महत्व पर जोर दिया। छात्र कल्याण के डीन प्रो. डी. एस. तोमर ने युवा उद्यमियों के लिए कर मानदंडों और अनुपालन ढांचे के बारे में जल्दी जानकारी देने पर जोर दिया। उनके संबोधन में छात्रों के बीच पोषित किए जाने वाले मुख्य मूल्यों के रूप में वित्तीय विवेक और पेशेवर नैतिकता पर प्रकाश डाला गया। स्कूल ऑफ मैनेजमेंट एंड कॉमर्स के डीन प्रो. मनीष अग्रवाल ने रणनीतिक कर नियोजन और व्यावसायिक संस्थाओं की कानूनी संरचना की बढ़ती प्रासंगिकता को रेखांकित किया। सत्र की शुरुआत आध्यात्मिक शुरुआत सरस्वती वंदना और दीप प्रज्वलन से हुई। मुख्य वक्ता सीए अतुल अरोड़ा को पटका और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। कार्यशाला का समापन डॉ. शांतम बब्बर, सहायक प्रोफेसर और उद्यमी क्लब के समन्वयक द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

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