गुलाबी नगरी की खूबसूरती देख पुलकित हुए आरआईएस के विद्यार्थी
घूमने-फिरने के लिहाज से जयपुर सभी की पहली पसंद है। राजीव इंटरनेशनल स्कूल के छात्र-छात्राओं की पसंद को प्राथमिकता देते उन्हें गुलाबी नगरी ले जाया गया। जयपुर के किले-महल छात्र-छात्राओं को इतने पसंद आए कि वे उन्हें अपलक निहारते रहे। शैक्षिक भ्रमण से लौटे छात्र-छात्राओं ने जयपुर की सुन्दरता तथा वहां के ऐतिहासिक महलों की नक्काशी को जमकर सराहा।
राजीव इंटरनेशनल स्कूल के कक्षा नौ से 12 तक के छात्र-छात्राओं ने अपने शैक्षिक भ्रमण में जयपुर के दर्शनीय स्थलों, ऐतिहासिक इमारतों एवं जयगढ़ किला, आमेर किला, जल महल, हवा महल, जंतर-मंतर, बिरला मंदिर सहित विभिन्न दर्शनीय व ऐतिहासिक स्थलों पर घूमकर इनकी जानकारी हासिल की। आमेर फोर्ट एवं जंतर-मंतर भ्रमण के दौरान विद्यार्थियों को शिक्षकों तथा गाइड ने इनके इतिहास की जानकारी दी।
विद्यार्थियों ने भ्रमण के दौरान बहुत सी ऐतिहासिक व वैज्ञानिक जानकारियां हासिल कर उन्हें अपनी नोटबुक में अंकित किया। छात्र-छात्राओं ने आमेर और जयगढ़ किला देखकर जयपुर के राजाओं के बारे में भी बहुत कुछ जाना। बिरला तारामंडल में विद्यार्थियों ने पूरे ब्रह्मांड की जानकारी ली तो जंतर मंतर में घूमकर राजा जय सिंह द्वारा स्थापित समय यंत्र को करीब से देखा। छात्र-छात्राओं को आमेर किले की बारीक नक्काशी एवं शीशे का कार्य बहुत मनोहारी लगा। जल महल, हवा महल एवं बिरला मंदिर की भी विद्यार्थियों ने खूब तारीफ की।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने कहा कि छात्र-छात्राओं के मन से पाठ्य पुस्तकों का दबाव कम करने तथा उनमें नई ऊर्जा का संचार करने के लिए शैक्षिक भ्रमण बहुत जरूरी है। शैक्षिक भ्रमण से हासिल ज्ञान स्थायी होता है। सबसे अच्छी बात तो यह है कि छात्र-छात्राओं को समूह में रहने का परमानंद मिलता है।
प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल का कहना है कि शैक्षिक भ्रमण शिक्षा का अभिन्न अंग है। छात्र-छात्राओं को शैक्षिक भ्रमण में ऐसी बातें मालूम होती हैं जिनका पुस्तकों में जिक्र नहीं होता। राजीव इंटरनेशनल स्कूल द्वारा समय-समय पर छात्र-छात्राओं को शैक्षिक भ्रमण पर इसलिए भी ले जाया जाता है ताकि वह इतिहास और वर्तमान दोनों की सघन जानकारी हासिल कर सकें।
विद्यालय की शैक्षिक संयोजिका प्रिया मदान ने कहा कि विद्यार्थियों को ऐतिहासिक स्थलों की जानकारी देने के लिए इस तरह के भ्रमण सहायक सिद्ध होते हैं। साथ ही बच्चों को अपने देश की सभ्यता और संस्कृति से भी परिचित होने का अवसर मिलता है।