गिरिराजजी के दर पहुंचे महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी महाराज
गिरिराज प्रभु का किया महाभिषेक
गोवर्धन। भगवान कृष्ण की प्रमुख लीलास्थली गोवर्धन में भक्ति की धारा प्रभावित हुई। हरिद्वार के निरंजनी अखाड़े के पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने दानघाटी गिर्राज जी मंदिर में गाय के दूध से दुग्धाभिषेक किया। गिर्राज नगरी में शनिवार को भक्ति की धारा प्रभावित हुई। हरिद्वार से पधारे महाराज श्री ने गाय के एक सौ एक किलो दूध से दानघाटी मंदिर में दुग्धाभिषेक किया। चारों तरफ से गिर्राज मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के जयकारे लगने लगे। दानघाटी मंदिर में उस वक्त श्रद्धालुओं के बीच भावुकता भरा माहौल हो गया, जब दानघाटी मंदिर में गिर्राज जी के जयकारे लगने लगे। गिरिराज जी के मनोरथ के बीच दानघाटी मंदिर के सेवायत पवन कौशिक के सानिध्य में एक सौ किलो एक किलो दूध से दुग्धाभिषेक किया। हरिद्वार से साथ लेकर आए पंचामृत व जड़ीबूटियों से गिर्राज जी का दुग्धाभिषेक के बीच वहां मौजूद सभी श्रद्धालुओं की आंखे भावुकता से भर आईं। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि गिरिराज प्रभु कलियुग के साक्षात देव हैं। गोवर्धन पर्वत को योगेश्वर भगवान कृष्ण का साक्षात स्वरूप माना गया है। गिरिराज गोवर्धन को प्रत्यक्ष देव की मान्यता प्राप्त है। इन्हीं गोवर्धन पर्वत को द्वापर युग में भगवान कृष्ण द्वारा इन्द्र का मद चूर करने के लिए एवं ब्रजवासियों को इन्द्र के कोप से बचाने के लिए 7 दिनों तक अपने वाम हाथ की कनिष्ठा अंगुली के नख पर धारण किया गया था। कलियुग में गिरिराज गोवर्धन को भगवान कृष्ण का ही साक्षात स्वरूप मानकर इनकी पूजा की जाती है। गिरिराज नगरी के दानघाटी मंदिर में शनिवार को भक्ति का नजारा देखने लायक था।