आगरा – हर साल 19 मई को विश्व आईबीडी दिवस दुनिया भर में मनाया जाता है। आईबीडी का मतलब इफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (IBD) होता है इस अवसर पर सिनर्जी प्लस हॉस्पीटल सिकन्दरा पर , आज प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। जिसमें डिपार्टमेंट ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के पेट, आंत व लिवर रोग विशेषज्ञ डा0 संजय शर्मा ने बताया की आईबीडी एक उभरती हुई बीमारी है और यह दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है। इसमें पुरुष व महिलाएँ समान रूप से प्रभावित होते है और ये समस्या 15 वर्ष से 35 वर्ष के बीच अधिक प्रचलित है। डा० संजय शर्मा ने बताया की भारत में लगभग 14 लाख रोगी आईबीडी के साथ जी रहे है। डा० धर्मेन्द्र त्यागी (पेट, आंत व लिवर रोग विशेषज्ञ) के अनुसार आईबीडी के सामान्य लक्ष्ण डायरिया पेट में दर्द मल में रक्त मवाद और मल त्याग में दर्द होना वजन में कमी, बुखार होना है। डा० धर्मेन्द त्यागी ने बताया कि आईबीडी के दो प्रकार है- अल्सरेटिव कोलाइटिस (UC)जो मरीजो के मलाशय और बडी आत को प्रभावित करती है दूसरी कोहन रोग (CD) है जो मुँह से मलाशय तक पूरे पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकता है आम तौर पर भारत में अल्सरेटिव कोलाइटिस से पीडित मरीजों की संख्या अधिक है डा० संजय शर्मा ने आगे बताया कि आईबीडी का उपचार जीवन शैली में बदलाव और चिकित्सा उपचार के साथ प्रबन्धित किया जा सकता है। वर्तमान में उपलब्ध कुछ दवायें जैसे- इन्फिलक्सिमाब और अडालीमुमेब उपलब्ध है जो अल्सरेटिव कोलाइटिस और क्रोहन डिसीज उपचार के लिए एफडीए से भी स्वीकृत है जिससे आईबीडी के उपचार में कान्ति ला दी है। डा० संजय शर्मा ने बताया की आईबीडी ग्रसित रोगी घबरायें नहीं तथा अपने चिकित्सक की देख-रेख में उचित उपचार के साथ सामान्य जीवन जियें कार्यक्रम में हॉस्पीटल के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी जयदीप पवार एवं अंकित जैन उपस्थित रहे।