हमारे देश को परतंत्रता की बेड़ियों से आजाद कराने में तमाम सपूतों ने अपना योगदान दिया और इन्हीं में से एक है लाला लाजपत राय जिनकी आज जयंती भी है |
दरअसल आपको बता दें कि इस 17 नवंबर के दिन ही लाला लाजपत राय का निधन हुआ था |
तो चलिए आज बात करते हैं कि देश की आजादी में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले लाला लाजपत राय इतिहास में किस चीज से सबसे ज्यादा खफा थे |
आपको बता दे की सन् 1950 में जब अंग्रेजों ने बंगाल का विभाजन किया तो लाला जी ने सुरेन्द्रनाथ बनर्जी और विपिनचन्द्र पाल जैसे आंदोलनकारियों के साथ होकर अंग्रेजों के इस फैसले की जमकर मुखालफत की थी और इसी घटना के बाद से लालाजी आजादी के लिए लगातार संघर्ष करते रहे और उन्होंने देशभर में स्वदेशी वस्तुएं अपनाने के लिए अभियान चलाया |
साल 1920 में कलकत्ता में कांग्रेस के एक विशेष सत्र में भाग लेने के पश्चात गांधी जी के साथ असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए, इसके बाद ही यह आंदोलन पंजाब में आग की तरह फैल गया |

इसके अलावा लाहौर में साइमन कमीशन के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध मार्च के दौरान पुलिस ने उनपर लाठीचार्ज किया था जिसमें की वे बुरी तरह से ज़ख़्मी हुए थे |
इतना ही नहीं लाला लाजपत राय ने कई भारतीय नीतियों में सुधार किया था | वह जाति व्यवस्था, दहेज प्रथा, छुआछूत और अन्य अमानवीय प्रथाओं के बेहद खिलाफ थे |
इन्हें समाप्त करने के लिए उन्होंने ‘सर्वेंट्स ऑफ द पीपल सोसाइटी’ की स्थापना की और उन्होंने पत्रकारिता का भी अभ्यास किया था और कई समाचार पत्रों में नियमित योगदान दिया था |तब से लेकर आज तक इस वीर स्वतंत्रता सेनानी का इतिहास के पन्नों में नाम दर्ज है |