गणपति मुझसे दूर न जाना — अटल राम चतुर्वेदी
गणपति मुझसे दूर न जाना।
मेरे घर को छोड़ न जाना।
गणपति मुझसे दूर न जाना।
बड़े जतन से तुमको अपने,
घर में लेकर, मैं हूँ आया।
मैं क्या, मेरे जैसे लाखों,
हाथ जोड़कर तुम्हें बुलाया।
सदा रहो मेरे ही घर में,
मेरी विनती भूल न जाना।
मेरे घर को छोड न जाना,
गणपति मुझसे दूर न जाना।
बिना कृपा के कहो तुम्हारी,
कौन काम मेरा हो पाया ?
जब-जब संकट देखा कोई,
मिली तुम्हारी मुझको छाया।
सदा साथ मेरा देना तुम,
प्रथम पूज्य तुमको है माना।
मेरे घर को छोड़ न जाना,
गणपति मुझसे दूर न जाना।
कैसे करूँ विसर्जन गणपति,
जब हृदय में तुम्हें बसाया।
सदा ध्यान में तुम रहते हो,
मैंने तुमको कब बिसराया ?
ऊब जाओ जब तुम घर बैठे,
“अटल” घूम-फिर वापस आना।
मेरे घर को छोड़ न जाना,
गणपति मुझसे दूर न जाना।