फैटी लिवर एक उभरती हुई समस्या
आज विश्व नेस दिवस की अवसर पर आगरा शहर में स्थित आगरा गेस्ट्रो लिवर सेन्टर, रघुनाथ मेडिकल कॉम्प्लैक्स के वरिष्ठ गेस्ट्रोएन्ट्रोलोजिस्ट पेट, आंत व लिवर रोग विशेषज्ञों द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स का आयोजन किया किया गया जिसमें डा० समीर तनेजा, डा० विनीत चौहान, डा० पंकज कौशिक और डा० दिनेश गर्ग ने इस बीमारी के सम्बन्ध में अपने विचार व्यक्त किये।
डा० समीर तनेजा ने बताया कि लिवर हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है जो आवश्यक मैटाबॉलिक प्रक्रियाओं के केन्द्र में स्थित है। लिवर का मुख्य काम पाचन तंत्र से आने वाले रक्त को शरीर के बाकी हिस्सों में भेजने से पहले उसे छानना हैं। लिवर रसायनों को भी डिटॉक्स करता है और दवाओं को मेटाबोलाइस करता है। डा० पंकज कौशिक ने बताया कि अक्सर ये सोचा जाता है कि शराब ही लिवर की क्षति से जुड़ा एकमात्र कारण है। हालांकि मधुमेह, मोटापा, डिस्लिपिडीमिया जैसे कई अन्य कारक हैं जो व्यक्ति को इस बीमारी की चपेट में ले सकता है। जैसे कि नॉन एल्कोहोलिक फैटी लिवर डिसीज मतलब लिवर सेल में बहुत अधिक फैट का जमा होना। डा० पंकज कौशिक ने बताया कि आमतौर पर नाफाल्ट के कोई लक्षण नहीं होते, जब लक्षण दिखाई देते हैं तो उनमें थकान, कमजोरी, वजन घटना, भूख न लगना, मतली, पेट में दर्द, त्वचा और आंखों का पीला पड़ना (पीलिया), खुजली और पेरों में सूजन आदि शामिल है।
डा० दिनेश गर्ग के अनुसार जब लिवर में फैट सेल्स का प्रतिशत 5% से अधिक हो जाता है तो इसे स्टेटोसिस या NASH (नॉन एल्कोहोलिक स्टेटो हेपेटाइटिस कहा जाता है। जिसका अर्थ है फैट में वृद्धि। इस स्तर पर लिवर आमतौर पर सामान्य से बड़ा होता है और अल्ट्रासाउण्ड पर सफेद और चमकदार दिखाई देता है। NASH एक साइलेन्ट किलर है क्योंकि यह कोई लक्षण नहीं दिखाता है। यह चुपचाप लिवर सेल की ओर जाता है जो लिवर में कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाता है जिसके कारण लिवर ठीक से काम नहीं करता है। बहुत से लोग बिना जाने इस स्थिति से पीड़ित हो जाते हैं क्योंकि लक्षण हमेशा प्रकट नहीं होते।
डा० दिनेश गर्ग ने आगे बताया कि NASH, NAFLD का गंभीर रूप है जो NAFLD वाले 15-20 प्रतिशत रोगियों में होता है। यदि उपचार न किया जाये तो NASH बाद में सिरोसिस और फिर लिवर कैंसर का भी कारण बन सकता है।
डा० विनीत चौहान ने बताया कि NASH और NAFLD के उच्च प्रसार के पीछे मुख्य
कारण गतिहीन जीवनशैली और जंकफूड की प्राथमिकता है जो मोटापा और मधुमेह का कारण
बनता है। डा० विनीत चौहान ने बताया कि स्वस्थ लिवर के लिए हमें गतिहीन जीवनशैली देर रात
के खाने और जंक फूड से बचना चाहिए। डा० विनीत चौहान ने बताया कि वजन घटाने से, व्यायाम करने से हरी पत्तेदार सब्जी फल से भरपूर आहार का पालन करने और फैट वाला खाने से बचकर हमारा शरीर का वजन 5-7 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। इस विश्व NASH दिवस पर विशेषज्ञों ने कहा कि आइये हम आयुष्मान लिवर के लिए
एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाने का संकल्प लें और स्वस्थ जीवन तक पहुँचे। कार्यक्रम के उपरान्त हॉस्पीटल के चिकित्सकों के अतिरिक्त अंकित जैन भी उपस्थित