संस्कृति विवि में प्रमुख उद्योगपति रतन टाटा के निधन पर शोक, श्रद्धांजलि
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के सभागार में देश प्रतिष्ठित उद्योगपति रतन टाटा के निधन पर एक शोकसभा का आयोजन किया गया। इस मौके पर विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों और अधिकारियों ने विश्वविख्यात उद्योगपति रतन टाटा को भावभीनी श्रद्धांजलि दीं।
शोकसभा को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय की सीईओ डा. श्रीमती मीनाक्षी शर्मा ने कहा कि पद्मविभूषण रतन टाटा एक ऐसी शख्सियत थे जिन्होंने देश के विकास में हमेशा आगे बढ़कर काम किया। आधुनिक भारत के निर्माण में उनके योगदान को कभी भूला नहीं जाएगा। उन्होंने सिर्फ टाटा समूह को ही नहीं बल्कि देश के विकास की नींव रखने का काम किया। ऐसी शख्सियत का जाना हमारे देश के लिए अपूर्णीय क्षति है। आज सारा देश उनके निधन पर शोक मना रहा है। उनकी सरलता, सादगी लोगों के दिल में हमेशा बसी रहेगी। संस्कृति स्टूडेंट वेलफेयर के डीन ने कहा कि शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य सेवा तक, हर क्षेत्र में उनकी पहल ने एक गहरी छाप छोड़ी है। उन्होंने बताया कि 8 दिसम्बर 1937 को बम्बई, ब्रिटिश भारत (वर्तमान मुंबई) में जन्मे रतन टाटा, नवल टाटा और सूनी कमिसारिएट के पुत्र थे। जब रतन टाटा 10 वर्ष के थे, तब वे अलग हो गये। इसके बाद उन्हें उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने जे. एन. पेटिट पारसी अनाथालय से उन्हें गोद लिया। टाटा का पालन-पोषण उनके सौतेले भाई नोएल टाटा ने किया। रतन टाटा ने कैंपियन स्कूल, मुंबई, कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल, मुंबई, बिशप कॉटन स्कूल, शिमला और रिवरडेल कंट्री स्कूल, न्यूयॉर्क शहर में शिक्षा प्राप्त की। वह कॉर्नेल विश्वविद्यालय और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के पूर्व छात्र हैं। छात्र यश ने रतन टाटा के बताया कि जब जेआरडी टाटा ने 1991 में टाटा संस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया, तो उन्होंने रतन टाटा को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया। उनके नेतृत्व में टाटा संस की अतिव्यापी कंपनियों को एक समन्वित इकाई के रूप में सुव्यवस्थित किया गया। उनके 21 वर्षों के कार्यकाल के दौरान राजस्व 40 गुना से अधिक तथा लाभ 50 गुना से अधिक बढ़ा। उन्होंने टाटा टी को टेटली, टाटा मोटर्स को जगुआर लैंड रोवर तथा टाटा स्टील को कोरस का अधिग्रहण करने में मदद की, जिससे यह संगठन मुख्यतः भारत-केंद्रित समूह से वैश्विक व्यवसाय में परिवर्तित हो गया। अंत में उपस्थित सभी शिक्षकों और विद्यार्थियों ने रतन टाटा के निधन पर दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित कीं।