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Thursday, September 19, 2024

सोच फाउंडेशन के द्वारा किसानों को दिया गया प्रशिक्षण

सोच फाउंडेशन के द्वारा किसानों को दिया गया प्रशिक्षण

मथुरा अभी न्यूज़ ( खन्ना सेनी ) विश्व मृदा दिवस के अवसर पर एक सोच फाउंडेशन के द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र में किसानो को प्रशिक्षण और किसान भ्रमण कार्यक्रम का आयोजन किया गया
कार्यक्रम में कुल 100 किसान सम्मलित हुए और एक सोच फाउंडेशन एवं कृषि विज्ञान केंद्र के संयुक्त प्रयास से अडिंग गाँव की 25 महिला किसानो के खेतो की मिट्टी की जाँच कराकर उन्हे मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराया गया। वही कार्यक्रम के शुरुआत में एक सोच फाउंडेशन के प्रोग्राम मैनेजर शिव प्रकाश (एग्रोनोमिस्ट) के द्वारा किसानो को मिट्टी की उर्वरता को बढाने और मृदा संरक्षण के प्रति किसानो को जागरूक किया उन्होने बताया कि जैव उर्वरको जैसे राइजोबियम,एजेटोबैकटर,पी.एस.बी. जैसे बहुत प्रकार के जीवाणु खाद जो बहुत ही प्रभावी होते है ,इनका उपयोग करके किसान कम खर्च में मृदा स्वस्थ को सुधार सकते और हेल्दी फ़ूड का उत्पादन कर सकते है | उन्होने बताया कि एक सोच फाउंडेशन मथुरा जिले के 5 विकास खंडो गोवर्धन,मथुरा,फ़रह,चौमुहा और राया में एकसोच 3000 से अधिक किसानो से जुड़कर उन्हे प्राकृतिक,जैविक एवं कम लागत आधारित खेती पर प्रशिक्षित कर रहा है, मृदा सुधार कार्यक्रम को एक सोच फाउंडेशन बड़े अभियान के रूप में चला रहा है इस कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न गाँवो में जागरूकता कार्यक्रम,प्रशिक्षण ,प्राकृतिक कीटनाशक,प्राकृतिक खाद बनाना एवं एक्सपोजर का कार्यक्रम चलाया जा रहा है |
मथुरा जिले में इस बार असमय वर्षा के कारण किसानो की धान की फसल को काफी नुकसान हुआ और जल भराव होने के कारण रबी फसल की बुआई भी किसान समय पर नहीं कर पाए,उन्होंने बताया की जलवायु परिवर्तन के इस दौर में किसानो को खेती के पारंपरिक तरीको में थोडा बदलाव करने की जरूरत है| जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए एक सोच फाउंडेशन ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के सहयोग से उन्नत किस्म के गेहू के बीज 75 किसानो को उपलब्ध कराया और मथुरा जिले में शून्य जुताई विधि से गेहू की बुआई के कार्यक्रम की शुरुआत की है ,जीरो टिलेज से बुआई करने पर खेत की तैयारी करने में लगने वाला समय एवं पैसे दोनों की बचत हुई,जीरो टिलेज गेहू की बुआई में सामान्य खेत की तुलना में 15 दिन पहले होगई और जुताई का लगभग 6000 रुपये प्रति एकड़ में बचत हो गयी और सिचाई की लागत भी 25 प्रतिशत कम हो जाएगी |
कृषि विज्ञान के मृदा वैज्ञानिक डॉ रविन्द्र राजपूत ने किसानो को मृदा स्वास्थ्य से सम्बंधित जानकारी दी और बताया कि यदि किसान मिट्टी की जाँच कराकर सही ढंग से उर्वरक प्रबंधन करे तो निश्चय ही खेती की लागत घटेगी और उपज में वृद्धि होगी,
कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रभारी डॉ वाई. के. शर्मा. ,ब्रिज मोहन, एकसोच टीम से सुनील, विमला देवी एवं नीरज मिश्रा, आर. के.माथुर कृषि उप निदेशक, उपस्थित रहें |

सोच फाउंडेशन के द्वारा किसानों को दिया गया प्रशिक्षण
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