संस्कृति विश्वविद्यालय के स्कूल आफ मेडिकल एंड एलाइड साइंसेज द्वारा ‘डाइबिटीज(मधुमेह)’ पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार में अतिथि वक्ताओं और विषय विशेषज्ञों ने आयुर्वेद के माध्यम से मधुमेह के निदान और इससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने के उपाय बताते हुए कहा कि आहार और जीवन शैली में परिवर्तन कर इस व्याधि से दूर रहा जा सकता है।
वेबिनार में भाग लेने वाली मुख्य वक्ता सिविल अस्पताल अंबाला की आयुष विंग प्रभारी डा. शेफाली ने बड़े ही विस्तार से डाइबिटीज बिमारी के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद में उल्लेखित आहार और दिनचर्या को अपनाकर व आयुर्वेद की ऐसी औषधियों का सेवन कर जिनका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता, डाइबिटीज को नियंत्रित तो रखा जा सकता है, साथ ही इससे मुक्ति भी पाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि डाइबिटीज को लेकर समाज में बहुते सारी भ्रांतियां भी हैं, जिनसे भ्रमित नहीं होना चाहिए और योग्य चिकित्सक के पास जाकर अपनी भ्रांतियों का निवारण करना चाहिए। उन्होंने कहा यह एक ऐसी बीमारी है जो हमारी जीवन शैली से ज्यादा जुड़ी है। हम इसपर चिकित्सक द्वारा निर्धारित आहार योजना और निर्धारित जीवन शैली अपनाकर काबू कर सकते हैं।
वेबिनार में उपस्थित संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति डा. एमबी चेट्टी ने मुख्य वक्ता का स्वागत करते हुए कहा कि डाइबिटीज को लेकर अक्सर लोग भ्रांतियों का शिकार हो जाते हैं। बहुत से तो ये मान बैठे हैं कि इसका कोई निदान ही नहीं है। कुछ ऐसा मानते हैं कि डाइबिटीज के इलाज से हमारे शरीर के अन्य अंग प्रभावित हो जाते हैं। इस वेबिनार में इन्हीं भ्रांतियों पर बात होगी और आयुर्वेद जैसी सशक्त चिकित्सा पद्धति से मधुमेह के निदान और बचाव के बारे में बताया जाएगा।
वेबिनार में उपस्थित विद्यार्थियों ने मुख्य वक्ता से अनेक सवाल कर अपनी जिज्ञासाओं को शांत किया। मुख्य वक्ता डा. शेफाली ने सभी सवालों का विस्तार से और संतुष्टि पूर्वक जवाब देकर वेबिनार की सफलता की पुष्टि की। अंत में पैरामेडिकल साइंसेज विभाग, संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रमुख डॉ. राजेश प्रसाद जयसवाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम की मॉडरेटर: डॉ. नेहा रानी, सहायक प्रोफेसर, स्कूल ऑफ मेडिकल एंड अलाइड साइंसेज, संस्कृति विश्वविद्यालय थीं। वेबिनार में 26 फैकल्टी मेंबरों और 90 विद्यार्थियों ने भाग लिया।