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Saturday, July 27, 2024

गायत्री तपोभूमि के तीन बुजुर्गों ने लिया देहदान का निर्णय के.डी. मेडिकल कॉलेज के एनोटॉमी विभाग में भरे संकल्प पत्र

गायत्री तपोभूमि के तीन बुजुर्गों ने लिया देहदान का निर्णय
के.डी. मेडिकल कॉलेज के एनोटॉमी विभाग में भरे संकल्प पत्र

जीवन अमूल्य है, यदि मृत्यु के बाद भी यह किसी के काम आए तो इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए गायत्री तपोभूमि मथुरा के तीन बुजुर्गों जगदीश प्रसाद श्रीवास्तव (90), गोपाल कृष्ण चतुर्वेदी (85) तथा महिपाल प्रजापति (75) ने के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर पहुंच कर देहदान का न केवल निर्णय लिया बल्कि खुशी-खुशी संकल्प पत्र भी भरे।


सोमवार को गायत्री तपोभूमि मथुरा के तीन वयोवृद्ध के.डी. मेडिकल कॉलेज के डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका से मिले तथा देहदान की इच्छा जताई। इन बुजुर्गों ने बताया कि उनके लिए कुसुमलता प्रेरणा बनी हैं। दरअसल, कुछ माह पहले एच-210, कृष्णा ग्रीन छटीकरा रोड, वृंदावन बांगर निवासी कुसुमलता (59) ने के.डी. मेडिकल कॉलेज में देहदान का संकल्प पत्र भरा था। समाचार पत्रों में कुसुमलता के साहसिक फैसले की खबर प्रकाशित हुई थी, उसे पढ़कर ही इन तीनों बुजुर्गों ने भी देहदान का निर्णय लिया है। देहदान का संकल्प लेने वाले इन बजुर्गों का कहना है कि मरने के बाद इंसान की देह तो मिट्टी हो जाती है, यदि यह मिट्टी भी किसी के काम आए, तो इससे बड़ी समाजसेवा क्या होगी।


आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल तथा प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने देहदान का संकल्प लेने वाले तीनों बुजुर्गों के संकल्प की सराहना करते हुए कहा कि इससे दूसरे लोगों को भी प्रेरणा मिलेगी। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि आज के समय में सबसे बड़ा दान शिक्षा दान है, इसके बाद देहदान है। मृत शरीर भावी चिकित्सकों के रिसर्च में काफी मददगार होता है।
डीन डॉ. आर.के. अशोका का कहना है कि मृत देह मेडिकल छात्र-छात्राओं के शोध में काम आती है। हमारे समाज में देहदान के प्रति जागरूकता का अभाव होने से इसका सीधा असर चिकित्सा शिक्षा पर पड़ रहा है। डॉ. अशोका ने तीनों बुजुर्गों के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि इससे बेहतर चिकित्सक तैयार करने में मदद मिलेगी क्योंकि मेडिकल ऑपरेशन में जब भी कोई नई तकनीक आती है, तो उसे सीखने और प्रैक्टिकल कर देखने के लिए मृत मानव देह जरूरी होती है।


डॉ. अशोका ने कहा कि यदि कोई भी व्यक्ति देहदान करना चाहता है तो उसे के.डी. मेडिकल कॉलेज के एनोटॉमी विभागाध्यक्ष के नाम लिखित में आवेदन करना होगा। एनोटॉमी विभाग की ओर से ऐसे दानवीर को दो पेज का फार्म निःशुल्क दिया जाता है। इस फार्म में देहदान करने वाले व्यक्ति का नाम, पता, उत्तराधिकारी का नाम तथा दो विटनेस का होना जरूरी है।

गायत्री तपोभूमि के तीन बुजुर्गों ने लिया देहदान का निर्णय के.डी. मेडिकल कॉलेज के एनोटॉमी विभाग में भरे संकल्प पत्र

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