महर्षि कश्यप के पद चिन्हों पर समाज उन्नति की ओर अग्रसर हैं पं.सोनिया ललित शर्मा
महर्षि कश्यप जी की जन्म जयंती के अवसर पर लोनी नगर पालिका के वार्ड नं.22, इंद्रापुरी में महर्षि कश्यप जी की जयंती मनाई गई, जिसमें मुख्य रूप से पं.सोनिया ललित शर्मा उपस्थित रहीं,
इस दौरान कार्यक्रम में उपस्थित पं.सोनिया ललित शर्मा ने कहा :
महर्षि कश्यप जी द्वारा संपूर्ण सृष्टि की सृजना में दिए गए महायोगदान की यशोगाथा हमारे वेदों, पुराणों, स्मृतियों, उपनिषदों एवं अन्य अनेक धार्मिक साहित्यों में भरी पड़ी है, जिसके कारण उन्हें ‘सृष्टि के सृजक’ उपाधि से विभूषित किया जाता है। महर्षि कश्यप पिघले हुए सोने के समान तेजवान थे। उनकी जटाएं अग्नि-ज्वालाएं जैसी थीं। महर्षि कश्यप ऋषि-मुनियों में श्रेष्ठ माने जाते थे। सुर-असुरों के मूल पुरूष मुनिराज कश्यप का आश्रम मेरू पर्वत के शिखर पर था, जहां वे पर-ब्रह्म परमात्मा के ध्यान में मग्न रहते थे। मुनिराज कश्यप नीतिप्रिय थे और वे स्वयं भी धर्म-नीति के अनुसार चलते थे और दूसरों को भी इसी नीति का पालन करने का उपदेश देते थे। महर्षि ने अधर्म का पक्ष कभी नहीं लिया, चाहे इसमें उनके पुत्र ही क्यों न शामिल हों। महर्षि कश्यप राग-द्वेष रहित, परोपकारी, चरित्रवान और प्रजापालक थे। वे निर्भीक एवं निर्लोभी थे। कश्यप मुनि निरन्तर धर्मोपदेश करते थे, जिनके कारण उन्हें ‘महर्षि’ जैसी श्रेष्ठतम उपाधि हासिल हुई। समस्त देव, दानव एवं मानव उनकी आज्ञा का अक्षरशः पालन करते थे। उन्हीं की कृपा से ही राजा नरवाहनदत्त चक्रवर्ती राजा की श्रेष्ठ पदवी प्राप्त कर सका।
![महर्षि कश्यप के पद चिन्हों पर समाज उन्नति की ओर अग्रसर हैं पं.सोनिया ललित शर्मा](https://abhinews.co.in/wp-content/uploads/2023/04/WhatsApp-Image-2023-04-05-at-7.43.57-PM-1024x576.jpeg)