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Friday, February 7, 2025

राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी में ओरिएंटेशन प्रोग्राम

राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी में ओरिएंटेशन प्रोग्राम

मथुरा। राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी में आयोजित ओरिएंटेशन प्रोग्राम में संस्थान के निदेशक डॉ. देवेन्द्र पाठक ने बी.फार्मा और डी.फार्मा प्रथम वर्ष के नवागंतुक छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए बताया कि चिकित्सा के क्षेत्र में करिअर बनाने वालों के लिए यह दोनों ही पाठ्यक्रम बहुत उपयुक्त हैं। डॉ. पाठक ने बताया कि बी. फार्मा करने के बाद आप विभिन्न हेल्थ केअर सेंटरों में बतौर फार्मासिस्ट कार्य कर सकते हैं या फिर स्वयं का लाइसेंस लेकर खुद की फार्मेसी भी खोली जा सकती है।

राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी में ओरिएंटेशन प्रोग्राम
चित्र कैप्शनः नव-प्रवेशित बी.फार्मा और डी.फार्मा के छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए संस्थान के निदेशक डॉ. देवेन्द्र पाठक।

बी.फार्मा और डी.फार्मा में जॉब के अवसरों की कमी नहीं- डॉ. देवेन्द्र पाठक

डॉ. पाठक ने छात्र-छात्राओं को बताया कि आज के समय में बी.फार्मा और डी.फार्मा के क्षेत्र में जॉब के अवसरों की कमी नहीं है। बी.फार्मा करने के बाद युवा नर्सिंग होम, हॉस्पिटल, क्लीनिक या फार्मेसी सेंटरों में फार्मासिस्ट के तौर पर कार्य कर सकते हैं। इसके अलावा मेडिकल रिप्रजेंटेटिव और फार्मा मार्केटिंग के फील्ड में सेल्स मैनेजर, एरिया सेल्स मैनेजर के तौर पर भी कार्य किया जा सकता है। डॉ. पाठक ने बताया कि डी. फार्मा दवाओं की मैन्युफैक्चरिंग, मार्केटिंग, दवाओं की क्वालिटी, स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन का विज्ञान है। आजकल हेल्थ केयर मार्केट में फार्मेसी विशेषज्ञों की काफी डिमांड है। विशेषज्ञों को ड्रग मैन्युफैक्चरिंग कम्पनियों में प्रोडक्ट मैनेजर, केमिस्ट, क्वालिटी कंट्रोलर, रिसर्चर के तौर पर सहजता से जॉब मिल जाते हैं।

इस अवसर पर डॉ. हिमांशु चोपड़ा ने कहा कि इन दिनों हेल्थ वेबसाइटों की भरमार सी हो गई है, ऐसे में इन वेबसाइटों के लिए मेडिकल कंटेंट राइटर, मेडिकल स्क्रिप्ट राइटर के तौर पर शानदार करिअर बनाया जा सकता है। डॉ. चोपड़ा ने कहा कि इन कोर्सों को करने वाला युवा कभी बेरोजगार नहीं रह सकता। अगर जॉब नहीं करनी तो खुद की फार्मेसी और सर्जिकल इक्विपमेंट शॉप खोली जा सकती है। बी.फार्मा करने के बाद एम.फार्मा कर टीचिंग और रिसर्च के फील्ड में भी करिअर बनाया जा सकता है। बी.फार्मा करने के बाद ड्रग इंस्पेक्टर भी बना जा सकता है। डॉ. चोपड़ा ने कहा कि फार्मेसी सेक्टर में फार्मासिस्टों की बहुत मांग है। फार्मासिस्ट के तौर पर मेडिकल स्टोर, हॉस्पिटल, क्लीनिक, नर्सिंग होम, ड्रग मैन्युफैक्चरिंग कम्पनी में काम करने के अनेक अवसर मिलते हैं।

कार्यक्रम में डॉ. मयंक कुलश्रेष्ठ ने छात्र-छात्राओं को अनुशासन का पाठ पढ़ाते हुए कहा कि वे नियमित रूप से कक्षा में आएं तथा जो भी बताया जा रहा है, उस पर अमल भी करें। डॉ. कुलश्रेष्ठ ने कहा कि बी.फार्मा और डी.फार्मा में सफलता के अवसर बहुत हैं लेकिन कोशिश स्वयं को करनी होगी। इस अवसर पर संस्थान के प्राध्यापक तलेवर सिंह, सुनम, विभा, रुत्वी, आकाश, सुमेधा, आर.के. चौधरी आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन असिस्टेंट प्रो. वर्षा स्नेही ने किया।

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