जीएल बजाज में कैंसर जागरूकता पर कार्यक्रम आयोजित
मथुरा। कैंसर एक गैरसंचारी रोग है। हमारे देश में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण यही रोग है। कैंसर के दो तिहाई मामलों में इसकी वजह तम्बाकू, शराब, खराब जीवन शैली तथा खानपान है। कैंसर लाइलाज नहीं है। हम अपनी जीवन शैली और खानपान में सावधानी बरत कर इस बीमारी से बच सकते हैं। यह बातें जी.एल. बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस मथुरा द्वारा आयोजित कैंसर जागरूकता कार्यक्रम में के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के जाने-माने गैस्ट्रो सर्जन डॉ. मुकुंद मूंदड़ा ने प्राध्यापकों और छात्र-छात्राओं को बताईं। डॉ. मूंदड़ा ने बताया कि कैंसर के प्रति लोगों में जागरूकता का अभाव है। कैंसर विकासशील और विकसित दोनों ही देशों में काफी आम है, लेकिन आम लोगों में इसके बारे में जागरूकता अभी भी बहुत कम है। कम जागरूकता के कारण जहां मरीज की समय से स्क्रीनिंग नहीं हो पाती वहीं उसके इलाज में होने वाली देरी जीवन को संकट में डाल देती है। उन्होंने कहा कि इस रोग के शुरुआती लक्षणों में वजन कम होना, बुखार, भूख में कमी, हड्डियों में दर्द, खांसी तथा मुंह से खून आना आदि लक्षण दिखाई देते हैं, यदि किसी को भी ऐसे लक्ष्ण दिखते हैं तो उसे तुरंत चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए। डॉ. मूंदड़ा ने बताया कि कैंसर पैदा करने वाले रसायनों को कार्सिनोजेन्स कहा जाता है। कार्सिनोजेन्स औद्योगिक क्लीनर से लेकर खरपतवार नाशकों तक में शामिल हो सकते हैं। वे कैंसर का कारण बनेंगे या नहीं, यह रसायन पर निर्भर करता है और इस बात पर भी कि आप कितने समय तक और कितनी मात्रा में उसके सम्पर्क में रहे हैं। उन्होंने तम्बाकू उत्पादों के उपयोग के खिलाफ कड़ी चेतावनी दी तथा कहा कि कैंसर का मुख्य कारण यही है। इसके अलावा उन्होंने कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए शराब से बचने की भी सलाह दी। उन्होंने सलाह दी कि खानपान में सबसे हल्के और सबसे सुरक्षित रसायन का उपयोग करें।
डॉ. मुंदड़ा ने कैंसर के बारे में फैले कई मिथकों को खारिज किया। उन्होंने कहा कि यह आम धारणा है कि चीनी खाने से कैंसर होता है। उन्होंने कहा, हमें ऐसे मिथकों पर विश्वास नहीं करना चाहिए। उन्होंने विभिन्न प्रकार के कैंसर की जानकारी देते हुए प्रारम्भिक पहचान के महत्व पर जोर दिया। डॉ. मुंदड़ा ने कहा कि हम कैंसर के प्रारम्भिक चरणों को पहचान कर अपनी जान बचा सकते हैं। इसलिए, हमें लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए तथा तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। उन्होंने नियमित चिकित्सा जांच की भी सिफारिश की ताकि प्रारम्भिक पहचान में मदद मिल सके। डॉ. मूंदड़ा ने कहा कि फिलवक्त दुनिया भर की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली इस समस्या से निपटने के लिए कड़ी चुनौतियों का सामना कर रही है। कैंसर जागरूकता कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने डॉ. मुकुंद मूंदड़ा से कैंसर बीमारी से जुड़े कई सवाल पूछे जिनका उन्होंने विस्तार से समाधान किया। संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने अतिथि वक्ता डॉ. मुकुंद मूंदड़ा का बेशकीमती समय और सुझाव देने के लिए आभार माना। समापन पर धन्यवाद ज्ञापन आशीष प्रताप सिंह ने प्रस्तुत किया।