प्राइवेट स्कूलों के द्वारा लगातार किया जा रहा है शिक्षकों का शोषण
प्राइवेट स्कूलों के द्वारा लगातार किया जा रहा है शिक्षकों का शोषण:AbhiNews के इस लेख के जरिये प्राइवेट स्कूल कैसे करते है शिक्षकों का शोषण |
कोरोना महामारी की मार सबसे ज्यादा प्राइवेट शिक्षकों पर ही देखने को मिली है |एक बच्चे का भविष्य राष्ट्र का भविष्य होता है और राष्ट्र के उस भविष्य का निर्माता हर वो व्यक्ति है जो शिक्षा की किसी भी गतिविधि से जुड़ा हुआ है लेकिन शिक्षा को महज एक सूचनाओं और प्रशिक्षण का व्यवसाय समझने वाले लोगों को भला यह बात कहां समझ में आने वाली है |
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किसी भी शैक्षिक संस्थान की स्थापना बिना लाभ कमाने वाले संस्थान के रूप में की जाती है लेकिन अभिभावकों से मोटी फीस वसूल कर आज प्राइवेट स्कूल सिर्फ व्यवसायिक मानसिकता से प्रशिक्षण और सूचनाओं को बेचने का कार्य कर रहे हैं |
इस तरह की गतिविधि में लिप्त शिक्षण संस्थान राष्ट्र के लिए मात्र एक खतरा ही हैं क्योंकि वह एक तरफ शिक्षा के उद्देश्यों की पूर्ति में बाधा बनते हैं और साथ ही दूसरी तरफ अच्छे शिक्षकों का शोषण करके उन्हें शैक्षिक क्षेत्र की गतिविधि से बाहर करने से भी बाज नहीं आते जिसका खामियाजा देश के तमाम उन विद्यार्थियों को भुगतना पड़ता है जो कि उन के माध्यम से शिक्षा प्राप्त कर कर राष्ट्र उन्नति के लिए आगे आना चाहते है |
एक अच्छा शिक्षक सरकारी मशीनरी में जाकर अपने काम को संसाधनों के अभाव के कारण पूरी जिम्मेदारी से नहीं कर पाता और यदि वह अपने टीचिंग पेशन को प्राइवेट स्कूलों में दिखाने की कोशिश करता है तो प्राइवेट स्कूलों के नाटकीय नियम उन शिक्षकों की नाक में दम कर देते हैं।
आईये विस्तारपूर्वक समझे किस तरह प्राइवेट स्कूलों के द्वारा लगातार किया जा रहा है शिक्षकों का शोषण:-
01.खड़े होकर पढ़ाने का अमानवीय नियम
02.दोपहर के लंच के समय में ड्यूटी लगाने का अमानवीय नियम
03.पीएफ ना दिया जाना
04. सीबीएससी गाइडलाइंस का उल्लंघन करके अत्याधिक आवर्त में ड्यूटी करवाना
05. महंगाई भत्ता व अन्य सुविधाओं को ना देना
06. मनमानी तरीके से शिक्षक को स्कूल से निकाल देना
07. न्यूनतम वेतन मानकों का उल्लंघन करना
आईये ऊपर दी गई इन समस्याओं के जरिये सिलसिलेवार तरीके से समझने की कोशिश करते हैं प्राइवेट स्कूलों के द्वारा लगातार किया जा रहा है शिक्षकों का शोषण सम्बन्धित मुद्दा:-
देश में बढ़ रही बेरोजगारी का फायदा उठाते हुए प्राइवेट संस्थान अपने स्कूल में आए दिन नये टीचरों की भर्ती करते हैं |जो शिक्षक कम पैसा लेता है उसी को अपने स्कूल में शिक्षक बनाकर बस अपना काम निकलवा कर मोटी कमाई की ताक में बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना शुरू कर देते हैं |
जब नियमों की बात आती है तो इन प्राइवेट स्कूलों के द्वारा टीचरों के शोषण में कोई कमी नहीं छोड़ी जाती एक सिक्योरिटी गार्ड और दरबान की तरह क्लास रूम में बिना कुर्सी की सुविधा के टीचरों को खड़े रहकर पढ़ाने के निर्देश दिए जाते हैं |
नियम और कानून की बात टीचरों पर यहां थोपते समय संस्थान व स्कूल कानून और उच्च गुणवत्ता की शिक्षा देने सम्बन्धी बात का हवाला देते हुए टीचरों को ईमानदारी से अपना काम करने का पाठ पढ़ाने लगते हैं |
यह अधिकार उन्हें किस कानून से मिले हैं और कहां पर लिखे हैं |इनकी जानकारी ना तो उन प्राइवेट स्कूल और संस्थानों को है और ना ही शिक्षकों के पूछने पर वह उनको कोई जवाब दे पाते हैं लेकिन जब बात उन कानूनों की आती है जो कि एक शिक्षक की सुविधा, स्वास्थ और जीवन सुरक्षा से जुडे हुए है तब यह प्राइवेट संस्थान उन नियम कानूनों की बातों पर चर्चा करने में कतराते नजर आते हैं |
एक टीचर को दरबान और सिक्योरिटी गार्ड की तरह बिना कुर्सी दिए कक्षा में खड़े रहकर लगातार पढ़ाने के लिए बाध्य करना एक अमानवीय व्यवहार के अलावा कुछ नहीं है जबकि चिकित्सकों की मानें तो लगातार खड़े रहकर पढ़ाने की गतिविधि से शिक्षकों को गंभीर बीमारियां हो सकती हैं जिनमें दिल का दौरा पड़ना, पैरों की नसों में खिंचाव आना, रक्त परिवहन में समस्या आना, भोजन पचने में दिक्कत आना, नींद व पेट की तमाम अन्य बीमारियों के नाम शामिल है |
बहुत ही कम सैलरी पर इस तरह अमानवीय व्यवहार के साथ बिना कुर्सी दिए कक्षाओं में शिक्षकों से शिक्षा जैसी गतिविधि को कराना महज एक मजदूरी और मजाक नजर आता है |जब कोई शिक्षक इस तरह की गंभीर बीमारियों से पीड़ित होता है तो प्राइवेट स्कूलों के द्वारा दी गई सैलरी से कई गुना पैसा उसके इलाज में लग जाता है |
कुछ प्राइवेट स्कूलों के द्वारा लंच के समय भी टीचरों को परेशान करने की व्यवस्था बनाई गई है |वह मनमाने ढंग से टीचरों को लंच टाइम में तमाम ऐसे काम सौंप देते हैं जिसको करने के कारण सही समय पर शिक्षक को खाना भी नसीब नहीं हो पाता |
प्राइवेट स्कूलों में काम कर रहे अधिकांश शिक्षकों को ना तो महंगाई भत्ता मिलता है और ना ही किसी भी प्रकार के चिकित्सा और पीएफ जैसी अन्य सुविधा न्यूनतम वेतन दिए जाने जैसे नियमों को भी ताक पर रखकर तमाम तरीके से प्राइवेट संस्थानों और स्कूलों में काम कर रहे शिक्षकों का शोषण किया जाता है |
किसी भी बात पर बिना कारण बताये शिक्षक को बीच सेसन में ही स्कूल से निकाल दिया जाता है |कुछ जगह स्कूल मैनेजमेंट और प्रंसिपल के रिश्तेदार और चमचों को कम योग्यता होने के बावजूद भी बड़ी-बड़ी क्लासों में शिक्षा का कार्यभार दे दिया जाता है जबकि योग्य और अनुभवी शिक्षकों से छोटी-छोटी एल.के.जी. और यू.के.जी. जैसी क्लास में पड़वाई जाती हैं ताकि उस अनुभवी और योग्य शिक्षक को कम सैलरी दी जा सके और उसके आत्मबल को तोड़कर उसे हमेशा के लिए उस प्राइवेट स्कूल में गुलाम बनाकर रखा जा सके |
इस आर्टिकल में बताई गई प्रत्येक जानकारी वास्तविक है यदि आप एक शिक्षक हैं तो इस आर्टिकल से आप वास्तविकता का अंदाजा स्वयं ही लगा लेंगे |
ऐसे में शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों को चाहिए कि वो सभी समय-समय पर प्रेस वार्ता के माध्यम से इस प्रकार शोषण कर रहे प्राइवेट संस्थानों को कड़े निर्देश देते रहे ताकि वह मनमाने नियम बनाकर टीचरों पर ना थोप सकें |
टीचरों पर उन्हीं नियम कानून और निर्देशों के पालन का आदेश होना चाहिए जो जायज है |अपने मनगढ़ंत तरीके से स्कूल प्रशासन के द्वारा इन बुद्धिजीवियों का शोषण ना किया जाए क्योंकि यह भविष्य के भारत के निर्माता हैं |
सूत्रों की माने तो हमारे उत्तर प्रदेश में और मथुरा जिले में आज भी तमाम ऐसे संस्थान हैं जिन की मान्यता मात्र कक्षा 5 व 8 तक है लेकिन वह गैर कानूनी तरीके से अपने यहां पर 8वीं व10वीं और 12वीं की कक्षाओं के विद्यार्थियों का एडमिशन कर उन्हें पढ़ा रहे हैं जबकि उन विद्यार्थियों का एडमिशन अन्य स्कूल की मान्यता के आधार पर किया जाता है |
काफी स्कूल और संस्थानों के द्वारा ऐसा किया जा रहा है |शैक्षिक संस्थानों की जांच संबंधित अधिकारियों को जांच करके ऐसे स्कूल और प्राइवेट संस्थानों के प्रति कड़ी कार्यवाही का रुख अपनाना चाहिए और साथ ही टीचरों के ऊपर हो रहे इस तरह के अमानवीय शासन पर लगाम लगाने हेतु इन प्राइवेट स्कूल और संस्थानों को निर्देशित किया जाना चाहिये |
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