14.9 C
Mathura
Friday, December 27, 2024

जय को के.डी. हॉस्पिटल में मिली नई जिन्दगी

जय को के.डी. हॉस्पिटल में मिली नई जिन्दगी

मथुरा। डायबिटीज या शुगर (मधुमेह) जिसे कभी बुजुर्गों की बीमारी कहा जाता था, वह आज जवानों और बच्चों को भी अपना शिकार बना रही है। इसी बीमारी की गिरफ्त में बेहोशी की हालत में आए छह वर्षीय जय पुत्र विवेक सिंह को के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेंटर के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. के.पी. दत्ता तथा डॉ. सुमित के प्रयासों से नई जिन्दगी मिली है। अब जय पूरी तरह से स्वस्थ है तथा उसके माता-पिता के.डी. हॉस्पिटल प्रबंधन का आभार मान रहे हैं।
ज्ञातव्य है कि ग्राम कटैला, राया मथुरा निवासी जय पुत्र विवेक सिंह को अचानक 14 दिसम्बर को उल्टियां होने लगीं तथा थोड़ी ही देर बाद वह बेहोश हो गया। बच्चे की खराब स्थिति को देखते हुए परिजन उसे मथुरा के कई निजी चिकित्सालयों में ले गए लेकिन हर किसी ने उपचार से मना कर दिया। आखिरकार उसे के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेंटर लाया गया। विशेषज्ञ शिशु रोग डॉ. के.पी. दत्ता ने बच्चे का प्राथमिक परीक्षण किया जिससे पता चला कि वह डायबिटिक कीटोएसिडोसिस तथा प्री-कोमा का शिकार है।
डॉ. के.पी. दत्ता और डॉ. सुमित ने बिना विलम्ब किए इंटरनेशनल प्रोटोकाल के तहत जय का उपचार शुरू कर दिया। बच्चे को चार दिन तक सघन चिकित्सा इकाई में रखा गया। अब जय पूरी तरह से स्वस्थ है। डॉ. के.पी. दत्ता का कहना है कि यदि बच्चे को लाने में कुछ और विलम्ब हो जाता तो उसकी जान जा सकती थी। उन्होंने बताया कि डायबिटिक बीमारी एक बार में अपना लक्षण नहीं दिखाती बल्कि खराब लाइफ स्टाइल और अन्य कारकों के चलते हमारे शरीर में धीरे-धीरे पनपती है और वक्त के साथ घातक हो जाती है।
डॉ. दत्ता बताते हैं कि कुछ बच्चों में डायबिटीज होने का आनुवंशिक कारण होता है। अगर माता-पिता में से किसी एक को डायबिटीज है, तो बच्चे में डायबिटीज का खतरा अधिक रहता है। डॉ. दत्ता बताते हैं कि समय पर बीमारी का पता न चलने से मरीजों को खतरा हो जाता है तथा कई बीमारियां होने की आशंका रहती है। डॉ. दत्ता बताते हैं कि डायबिटीज दो प्रकार की होती है। इसमें पहली है टाइप 1 और दूसरी है टाइप-2. टाइप 1 में इंसुलिन पर्याप्त मात्रा में नहीं बनती या बननी बंद हो जाती है। टाइप-2 में ब्लड में शुगर का लेवल काफी बढ़ जाता है।
विभागाध्यक्ष शिशु रोग डॉ. दत्ता बताते हैं कि चूंकि के.डी. हॉस्पिटल के एनआईसीयू तथा पीआईसीयू में आधुनिकतम उपकरण तथा विशेषज्ञ नर्सेज हैं लिहाजा यहां हर शिशु का अच्छे तरीके से उपचार सम्भव हो पाता है। डॉ. दत्ता का कहना है कि यदि हमें डायबिटीज से बचना है तो नियमित रूप से एक्सरसाइज करें तथा छोटे बच्चों को खेलकूद की तरफ प्रेरित करें। इतना ही नहीं कम फैट वाला भोजन लें तथा उसमें प्रोटीन और विटामिन को शामिल करें। फाइबर युक्त भोजन लें तथा जंक फूड खाने से परहेज करें। जय के पूर्ण स्वस्थ होने से उसके माता-पिता बहुत खुश हैं। जय की मां का कहना है कि एकबारगी तो उन्होंने उम्मीद ही छोड़ दी थी लेकिन के.डी. हॉस्पिटल में उनके बच्चे का नया जन्म हुआ है। जय के पिता विवेक सिंह कहते हैं कि कई अस्पतालों के चक्कर काटने के बाद आखिरी उम्मीद लेकर के.डी. हॉस्पिटल आए थे। उन्होंने हॉस्पिटल प्रबंधन तथा डॉक्टरों की टीम की प्रशंसा करते हुए सभी का आभार माना।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल तथा डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका ने जय का समय से सही उपचार करने के लिए चिकित्सकों की टीम को बधाई देते हुए बच्चे के सुखद जीवन की कामना की है।

जय को के.डी. हॉस्पिटल में मिली नई जिन्दगी

Latest Posts

महालक्ष्मी मेले में आस्था का महाकुंभ ,लाखों भक्तों ने किए दर्शन

Mahakumbh of faith in Mahalaxmi fair, lakhs of devotees visited आज दूसरे गुरुवार को बेलवन में लाखों भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा जिससे लोगों में...

धूमधाम से निकाली गई मां भगवती की शोभायात्रा

The procession of Maa Bhagwati was taken out with much fanfare हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी मां भगवती की विशाल शोभायात्रा नगर में...

अष्ट सखी ग्रुप खिला रहा ₹10 में भरपेट भोजन

Ashta Sakhi Group is feeding a full meal for ₹ 10 अष्ट सखी ग्रुप खिला रहा ₹10 में भरपेट भोजन समूचे ब्रजमंडल में हजारों की संख्या...

पानी की बोतल के पीछे कोटा पटना एक्सप्रेस ट्रेन में हुई मारपीट

पानी की बोतल के पीछे कोटा पटना एक्सप्रेस ट्रेन में हुई मारपीट कोटा से पटना के लिए जाने वाली एक्सप्रेस ट्रेन में उस वक्त अफरा...

6 माह से बंद पड़ा रेलवे पुल नहीं हुआ सुचारू

6 माह से बंद पड़ा रेलवे पुल नहीं हुआ सुचारू रेलवे विभाग के द्वारा यात्रियों की सुविधा के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं...

Related Articles