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Friday, March 14, 2025

जी.एल. बजाज में हुई दहेज को ना कहो, उत्तराधिकार को हां पर वाद-विवाद प्रतियोगिता
गणेश विजेता और लव शर्मा रहे उप-विजेता, भूमिका को प्ले रोल में प्रथम स्थान

जी.एल. बजाज में हुई दहेज को ना कहो, उत्तराधिकार को हां पर वाद-विवाद प्रतियोगिता
गणेश विजेता और लव शर्मा रहे उप-विजेता, भूमिका को प्ले रोल में प्रथम स्थान

जी.एल. बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस मथुरा की वूमेन सेल द्वारा शनिवार को “आज की दुनिया में अग्रणी महिलाओं” के जीवन संघर्ष और “दहेज को ना कहो, उत्तराधिकार को हां” विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। महिला प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित कार्यक्रम का शुभारम्भ संस्थान की निदेशक प्रो. (डॉ.) नीता अवस्थी ने मां सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर किया।
प्रो. नीता अवस्थी ने छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज महिलाएं शिक्षा, राजनीति, व्यवसाय और सामाजिक कार्य जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका का निर्वहन कर रही हैं। महिलाएं परिवार बनाती हैं, परिवार घर बनाता है, घर समाज बनाता है और समाज ही देश बनाता है। इसका सीधा अर्थ यही है की महिलाओं का योगदान हर जगह है। महिलाओं की क्षमता को नजरअंदाज कर एक अच्छे समाज की कल्पना करना व्यर्थ है। सच कहें तो शिक्षा और महिला सशक्तीकरण के बिना परिवार, समाज और देश का विकास नहीं किया जा सकता। प्रो. नीता अवस्थी ने महिलाओं को सशक्त बनाने तथा अधिक समावेशी और न्यायसंगत समाज बनाने के महत्व पर बल दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत “आज की दुनिया में अग्रणी महिलाओं” पर एक शक्तिशाली और प्रेरक प्रस्तुति के साथ हुई। इस प्रस्तुति में दुनिया की सबसे प्रभावशाली महिलाओं के जीवन और उपलब्धियों को प्रतिभागी छात्र-छात्राओं ने लघु वीडियो क्लिपों के माध्यम से प्रदर्शित किया। वीडियो रचनात्मक, प्रेरक और समाज में महिलाओं के योगदान के महत्व पर प्रकाश डालते नजर आए।
“दहेज को ना कहो, उत्तराधिकार को हां” वाद-विवाद प्रतियोगिता का उद्देश्य दहेज प्रथा को समाप्त करने तथा महिलाओं के उत्तराधिकार को बढ़ावा देने के महत्व को प्रतिपादित करना था। प्रतिभागी छात्र-छात्राओं ने कहा कि दहेज प्रथा एक ऐसा सामाजिक अभिशाप है जो महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों को बढ़ावा देता है। इस व्यवस्था ने समाज के सभी वर्गों को अपनी चपेट में ले लिया है। दहेज प्रथा को रोकने और खत्म करने के लिए दहेज निषेध अधिनियम, 1961 को लाया गया है। इसके तहत 2 सेक्शन हैं, जिसमें सेक्शन 3 और 4 आते हैं। इसमें सेक्शन 3 के अंतर्गत दहेज लेना या देना दोनों अपराध माना गया है। ऐसा करने पर अपराधी को 15 हजार रुपए के जुर्माने के साथ 5 साल तक की सजा सुनाई जा सकती है। जबकि सेक्शन 4 कहता है कि दहेज की मांग करने पर 6 महीने से 2 साल तक की सजा हो सकती है।
अंत में निर्णायकों द्वारा वाद-विवाद प्रतियोगिता और रोल प्ले गतिविधि के विजेताओं की घोषणा की गई। वाद-विवाद प्रतियोगिता में बी.टेक तृतीय वर्ष के छात्र गणेश विजेता तथा बी.टेक तृतीय वर्ष सीएसई के लव शर्मा उप-विजेता घोषित किए गए वहीं रोल प्ले में बीटेक फर्स्ट ईयर की भूमिका शर्मा विजेता रहीं। कार्यक्रम के समापन अवसर पर संस्थान के प्राध्यापकों डॉ. भोले सिंह और डॉ. नक्षत्रेश कौशिक ने विजेता तथा उप-विजेता छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत किया। कार्यक्रम की समन्वयक मेधा खेनवार ने कार्यक्रम का संचालन किया।

वाद-विवाद प्रतियोगिता के विजेता तथा उप-विजेता छात्रों को सम्मानित करते डॉ. भोले सिंह और डॉ. नक्षत्रेश कौशिक
वाद-विवाद प्रतियोगिता के विजेता तथा उप-विजेता छात्रों को सम्मानित करते डॉ. भोले सिंह और डॉ. नक्षत्रेश कौशिक

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