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Friday, January 3, 2025

साढ़े सात साल बाद बेटे से मिल मां की आंखों से छलके खुशी के आंसू परिजनों ने माना के.डी. हॉस्पिटल और अपना घर का आभार

साढ़े सात साल बाद बेटे से मिल मां की आंखों से छलके खुशी के आंसू परिजनों ने माना के.डी. हॉस्पिटल और अपना घर का आभार

जुलाई, 2016 में पंजाब के फाजिल्का जिले के गांव टहली बाड़ा से लापता हुए शिंदर सिंह को आखिरकार के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के मनोचिकित्सा विभाग ने उसकी मां सुरजीत कौर से मिलवाने में सफलता हासिल की है। साढ़े सात साल बाद बेटे से मिल मां की आंखों में जहां खुशी के आंसू छलक आए वहीं उन्होंने इसके लिए के.डी. हॉस्पिटल के चिकित्सकों और अपना घर का दिल से आभार माना है।
परिजनों से प्राप्त जानकारी के अनुसार शिंदर सिंह (26) बचपन से ही मंदबुद्धि था। जुलाई, 2016 में अचानक वह घर से लापता हो गया। घर वालों ने उसकी खोज-खबर की लेकिन वह नहीं मिला। आखिरकार परिजनों ने थाने में उसकी गुमशुदगी दर्ज करा दी। बेटे से बिछड़ जाने का सदमा जहां पिता सहन नहीं कर सका और उसकी मौत हो गई वहीं बहन भी मानसिक परेशानी का शिकार हो गई। तीन दिन पहले जैसे ही मां सुरजीत कौर को के.डी. हॉस्पिटल द्वारा शिंदर की खबर दी गई, उनके चेहरे पर चमक आ गई। साढ़े सात साल बाद बेटे की खबर पाते ही शिंदर के परिजन ही नहीं बल्कि गांव टहली बाड़ा (कवाया) के लोग भी खुश हो गए। सुरजीत कौर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के चलते गांव वालों ने ही उसके मथुरा आने-जाने की व्यवस्था की।
सुरजीत कौर अपने भाई गुरजीत सिंह जोकि पीएसपीसीएल में कार्यरत हैं उनके साथ पंजाब से के.डी. हॉस्पिटल आईं और बेटे से मिल उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। कोकिला वन शनिधाम के पास स्थित अपना घर के कार्यालय प्रभारी राकेश कुमार का कहना है कि कोई सात साल पहले शिंदर कोसीकलां में मिला था। उसे अपना घर लाया गया तथा बहुत कोशिश करने के बाद भी वह अपने निवास और परिजनों की जानकारी नहीं दे सका। के.डी. हॉस्पिटल के न्यूरो साइंस सेण्टर और मनोरोग विभाग की टीम अपना घर में रह रहे लावारिश लोगों से प्रायः मिलती रहती है। एक पखवाड़े पहले के.डी. हॉस्पिटल की डॉ. प्रियंका, डॉ. विदुषी तथा डॉ. रवनीत जोकि पंजाब की ही रहने वाली हैं उनकी मुलाकात शिंदर से हुई। शिंदर और तीन अन्य की खराब स्थिति को देखते हुए उन्हें के.डी. हॉस्पिटल लाया गया तथा उनका उपचार शुरू किया गया। शिंदर में आशातीत सुधार होने के बाद उससे उसके माता-पिता और निवास की जानकारी मिली, उसके बाद पंजाब पुलिस से सम्पर्क कर उसके घर वालों को बताया गया कि वह के.डी. हॉस्पिटल में है।
विभागाध्यक्ष मनोरोग चिकित्सा डॉ. गौरव सिंह का कहना है कि के.डी. हॉस्पिटल के न्यूरो साइंस सेण्टर तथा मनोरोग विभाग द्वारा मनोरोगियों का न केवल उपचार होता है बल्कि उनके खाने और रहने की व्यवस्था भी निःशुल्क की जाती है। के.डी. हॉस्पिटल के चिकित्सकों की टीम प्रायः अपना घर, कृष्णा कुटीर आदि में रह रहे लावारिस लोगों के बीच पहुंचती है और जिनकी मनःस्थिति ठीक नहीं होती उन्हें हॉस्पिटल में लाकर उपचार किया जाता है। डॉ. गौरव सिंह का कहना है कि यह सब आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल और प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल के सेवाभाव से ही सम्भव हो पा रहा है।
डॉ. गौरव सिंह बताते हैं कि शिंदर सिंह के उपचार में जहां न्यूरो सर्जन डॉ. अजय कुमार, डॉ. अवतार सिंह, मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. कमल किशोर वर्मा, डॉ. शिवानी नागपाल की प्रमुख भूमिका है वहीं उसे उसके परिजनों से मिलाने में डॉ. प्रियंका, डॉ. विदुषी, डॉ. रवनीत, डॉ. अंकुश तथा मनोनैदानिक विज्ञानी सचिन गुप्ता और संध्या कुमारी का विशेष योगदान है।

साढ़े सात साल बाद बेटे से मिल मां की आंखों से छलके खुशी के आंसू परिजनों ने माना के.डी. हॉस्पिटल और अपना घर का आभार

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