जीएसटी विभाग द्वारा स्मार्ट तरीके से कर चोरी करने वाले अकाउंटेंट और व्यवसायियों के खिलाफ आखिर कड़ा रुख क्यों नहीं अपनाया जा रहा?
नई दिल्ली/AbhiNews/तरुण शर्मा — जीएसटी विभाग द्वारा स्मार्ट तरीके से कर चोरी करने वाले अकाउंटेंट और व्यवसायियों के खिलाफ आखिर कड़ा रुख क्यों नहीं अपनाया जा रहा |
व्यावसायिक लेन-देनो का लेखांकन करने वाले अकाउंटेंट और चार्टर्ड अकाउंटेंट की जिम्मेदारी होती है कि वो प्रत्येक हिसाब किताब की बैलेंस शीट और आंकड़ों की सही जानकारी आयकर विभाग को प्रस्तुत करें लेकिन आज के समय में वो अपनी जिम्मेदारी और पद का दुरुपयोग करते हुए व्यवसायियों के साथ सांठगांठ करके विभाग को बेवकूफ बनाने के लिए विभिन्न प्रकार की अटकलें और दिमाग लगा रहे है जिसके चलते हमारी राज्य और केंद्रीय सरकारों को बड़े पैमाने पर करोड़ों की चपत लग रही है |
उनके द्वारा किये गये इन कारनामों की पोल जबतक तब खुलती है तब तक करोड़ों का काला धन उन व्यापारियों के पास जमा हो चुका होता है ।
आर्थिक अपराध और कर चोरी से संबंधित केस के लिए अधिकारियों को चाहिये कि वो समय-समय पर इस तरह से कर चोरी सम्बन्धित अपनाये जाने वाले रास्तों की जांच करते रहें और औचक निरीक्षण कर काला धन जुटा रहे व्यवसायियों के साथ-साथ उनके इस काम में सम्मिलित अकाउंटेंट और अन्य लोगों पर भी कारवाई हेतु कड़ा रुख अपनाये |
सूत्रों की माने तो थोक व फुटकर व्यापारी बिल्टी द्वारा जब अपना माल भेजते हैं तो उस माल में ई-वे बिल के माध्यम से वास्तविक कीमत की तुलना में कम रकम दिखाई जाती है जबकि भेजे गए माल की कीमत ई वे बिल की तुलना में काफी अधिक होती है |
बिल्टी द्वारा भेजें गये माल की यदि कोई कर अधिकारी मिलान करता है तो निश्चित रूप से बड़े जीएसटी सम्बन्धित कर चोरी की धनराशि सामने आयेंगी |
कर अधिकारियों को चाहिये कि वो व्यावसायिक उद्देश्य से भेजी जा रही बिल्टीयों पर कड़ा रुख अपनाये जिससे कि प्रदेश व अन्य राज्यों में जीएसटी कर चोरी से जुड़े इस लूज पॉइंट के उपयोग पर लगाम लगाई जा सके |