उत्तर प्रदेश की एक शिक्षिका ने अपने जज्बे के दम पर बदल दी सरकारी स्कूल की तस्वीर
शिक्षा के क्षेत्र में हम जब भी बात करते हैं तो सरकारी स्कूल की बात आते ही दिमाग में एक छवि उभर कर सामने आ जाती है, जिसमें बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते होंगे, ब्लैकबोर्ड टूटा हुआ होगा और टीचर देर से स्कूल आ रहे होंगे |
परंतु आज के समय में ऐसा नहीं है क्योंकि अब सरकारी स्कूलों की तस्वीरें समय के साथ-साथ बदलती जा रही हैं |जी हाँ, आपको बता दे की कुछ ही बदलाव की तस्वीर उत्तर प्रदेश के कानपुर में भी देखने को मिली है |
आपको बता दें कि यहां का एक सरकारी स्कूल प्राइवेट स्कूल के जैसा ही लगता है | क्यूंकि यहां पर पढ़ने वाले बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाया जाता है | कॉपी किताबों, ब्लैक बोर्ड के साथ क्रिएटिविटी के माध्यम से बच्चों की पढ़ाई की जाती है और इसका सारा श्रेय जाता है यहां की प्रधानाध्यापिका नीलम सिंह को |
चाणक्य कहते हैं कि इन हरकतों की वजह से आता है महिला और पुरुषों को जल्दी बुढ़ापा
इसी की बदौलत नीलम सिंह को शिक्षक दिवस पर उत्तर प्रदेश राज्य शिक्षक अवार्ड से नवाजा गया है, जिन्होंने अपने जज्बे से सरकारी स्कूल की तस्वीर बदल दी है | नीलम सिंह के द्वारा ऐसा बताया गया कि जब वह स्कूल गई थीं, तभी स्कूल की तस्वीर बेहद खराब थी | वहां पर फैसिलिटी नहीं थी लेकिन उन्होंने सरकार की मदद से स्कूल की तस्वीरें बदली |
आज स्कूल में केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना कायाकल्प के मानक पर पूरा हैं | इनमें दिव्यांगों के लिए बाथरूम, यूरिनल, विद्यालय में टाइल्स, खेलने के लिए मैदान, व्हाइट बोर्ड यह सब शामिल हैं | अब अभिभावक भी सरकारी स्कूल की बदलते इन तस्वीरों की वजह से अपने बच्चों का एडमिशन सरकारी स्कूलों में करवा रहे हैं |
इसी वजह से 2018 में इस स्कूल में कक्षा एक से पांच तक सिर्फ 84 बच्चे ही पढ़ते थे लेकिन शिक्षकों ने घर-घर जाकर लोगों को स्कूल में दाखिला के लिए प्रेरित किया | अब बच्चों की संख्या स्कूल में 149 पहुंच चुकी है।
इसके बाद अब नीलम सिंह का कहना है कि यहां के बच्चे भी निकलकर इंजीनियर और डॉक्टर बनेंगे वह दिन अब दूर नहीं है |