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Saturday, February 22, 2025

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान में जीनोम एडिटिंग पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई), इज्जतनगर, बरेली में आज “वैक्सीन और डायग्नोस्टिक्स के विकास के लिए जीनोम एडिटिंग टेक्नोलॉजी की उपयोगिता” विषय पर एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। यह कार्यक्रम भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की जीनोम एडिटिंग परियोजना (एनपी-जीईटी) के अंतर्गत आयोजित किया गया है। कार्यक्रम का उद्देश्य शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और पशु चिकित्सा पेशेवरों को जीनोम एडिटिंग की अत्याधुनिक तकनीकों से परिचित कराना है।
प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति
कार्यक्रम का उद्घाटन केसीएमटी, बरेली के महानिदेशक डॉ. अमरेश कुमार ने किया, जबकि अध्यक्षता आईवीआरआई के निदेशक-सह-कुलपति डॉ. त्रिवेणी दत्त ने की। इस अवसर पर संस्थान के संयुक्त निदेशक (अनुसंधान) डॉ. एस. के. सिंह और संयुक्त निदेशक (कैडराड) डॉ. सोहिनी डे सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ. बबलू कुमार ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया और कार्यक्रम की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए इसे पशु चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी पहल बताया। निदेशक डॉ. पी. के. गुप्ता ने परियोजना के उद्देश्यों की जानकारी दी और देशभर से आए प्रतिभागियों का स्वागत किया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 28 फरवरी 2025 तक चलेगा। इसमें आईवीआरआई के इज्जतनगर, मुक्तेश्वर और बेंगलुरु परिसरों के विशेषज्ञ व्याख्यान देंगे और प्रायोगिक सत्र आयोजित करेंगे।
आईवीआरआई के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त ने अपने संबोधन में संस्थान के पशु चिकित्सा अनुसंधान में योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वैक्सीन और डायग्नोस्टिक्स के विकास में जीनोम एडिटिंग तकनीक परिवर्तनकारी साबित होगी। उन्होंने बताया कि इस एनपी-जीईटी परियोजना की कुल आवंटित राशि लगभग 38 करोड़ रुपये है और इसमें आईसीएआर के 13 संस्थान शामिल हैं। परियोजना का संचालन भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के नेतृत्व में किया जा रहा है।
मुख्य अतिथि डॉ. अमरेश कुमार ने अपने उद्घाटन भाषण में आईवीआरआई की सराहना करते हुए कहा कि जीनोम एडिटिंग जैसी अत्याधुनिक तकनीकों में क्षमता निर्माण से पशु चिकित्सा विज्ञान के भविष्य को नया आयाम मिलेगा। उन्होंने प्रतिभागियों से इस प्रशिक्षण का अधिकतम लाभ उठाने का आग्रह किया और ब्लूफिन मछली में जीनोम एडिटिंग के सफल उदाहरण का उल्लेख किया। कार्यक्रम में डॉ. सोनालिका महाजन ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का समन्वय डॉ. आई. करुणा देवी ने किया। इस अवसर पर विभिन्न विभागों के प्रमुखों और संकाय सदस्यों ने भी भाग लिया।

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