हमारे समाज और हमारी परंपराओं में मां-बाप का दर्जा ईश्वर से कम नहीं। लेकिन क्या वाकई ऐसा है? अफसोस की बात है कि अंधे ओर बुजुर्ग मां-बाप को कांवड़ पर बिठाकर तीर्थ कराने वाले श्रवण कुमार की धरती पर मां-बाप को बुढ़ापा में परेशान ओर दरदर की ठोकर खाने छोड़ा जाना हैरान करता है। बुढ़ापे में अपनी ही संतान घर से निकाल दे, इससे ज्यादा शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता शाजापुर जिले के शुजालपुर से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे सुनने और देखने के बाद आप भी कहेंगे कि घोर कलयुग है शुजालपुर की एक ऐसी मां मांगी बाई जिनकी उम्र 85 वर्ष है जिसे अपने भरण-पोषण के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा कोर्ट ने मां के पक्ष में सुनवाई करते हुए ₹2000 प्रति माह भरण पोषण एवं ₹1000 प्रति माह इलाज का प्रत्येक बेटे के हिसाब से देने का फैसला भी सुनाया था लेकिन कलयुगी बेटो ने आज दिनांक तक करीब 5 माह से अपनी बुजुर्ग मां को ₹1 भी भरण पोषण और इलाज का नहीं दिया बुजुर्ग महिला के तीन बेटे हैं तीनों से 3-3 हजार रुपए प्रतिमाह मिलना थे जो जनवरी से आज दिनांक तक नहीं मिला जिससे बुजुर्ग महिला की भरण पोषण की स्थिति काफी दयनीय हो गई परेशान होकर एक बार फिर मां को प्रशासनिक मदद की जरूरत पड़ी और वह जनसुनवाई में कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल के पास पहुंची और कोर्ट के आदेश की कॉपी एवं एक शिकायती आवेदन कलेक्टर को सौंपा और मांग की गई है कि बुजुर्ग मां को सभी बेटो से बकाया राशि एक साथ दिलवाई जाए और आगे की राशि भी उन्हें समय पर दिलवाई जाए।