हम सभी को पता है कि महाभारत में पांडवों ने द्रोपदी से शादी की थी और पांच पांडवों की धर्मपत्नी का स्थान द्रोपदी को मिला था तो अब ऐसी ही एक प्रथा आज भी कुछ जगहों पर देखने को मिल जाती है |
जी हाँ, ये प्रथा तिब्बत में आज भी निभाई जा रही है लेकिन अब इसे मानने वाले लोग कम ही लोग बचे हैं |
दरअसल आपको बता दें कि तिब्बत में सबसे बड़ा भाई पहले एक लड़की को चुनता है उससे शादी करता है और फिर उसके बाद बाकी के भाई भी उसी लड़की को पत्नी मान लेते हैं | यहां पर सभी शादी की रस्में परिवार के तबके के हिसाब से होती हैं |परिवार का सबसे छोटा बेटा ज्यादातर शादी की रस्मों में मौजूद नहीं रहता है |
बता दे की यहां के स्थानील लोग बताते हैं कि चीन के तिब्बत पर अधिग्रहण के बाद से ऐसी शादियां होनी कम हो गयी हैं लेकिन फिर भी कुछ इलाके ऐसे हैं जहां आज भी ये प्रथा प्रचलित है |
आपको बता दें कि तिब्बत के एक स्कॉलर ने बताया है कि तिब्बत में भ्रातृ बहुपतित्व बहुत सामान्य बात है यानी जिसमें की दो, तीन, चार भाई मिलकर एक ही पत्नी के साथ रहते हैं और सभी के बच्चे भी एक साथ ही होते हैं और कौन किसका पिता है ये भी कई बार पता भी नहीं होता है |
इसके आलवा उन्होंने अपने लेख में बताया गया है कि 1950 तक तिब्बत में बौद्ध भिक्षु की संख्या 1 लाख 10 हज़ार से ज्यादा थी, इसमें से 35% से ऊपर शादी की उम्र वाले भिक्षु थे |
अधिकतर परिवारों में सबसे छोटे बेटे को भिक्षु बनने भेज दिया जाता था ताकि छोटी सी जमीन का बंटवारा ना हो और ये उसी तरह का रिवाज था जैसे इंग्लैंड में प्राचीन काल में नाइटहुड के लिए सबसे छोटे बेटे को भेज दिया जाता था, जिसके पास कोई प्रॉपर्टी नहीं होती थी |
इसके बाद धीरे-धीरे जमीन के बंटवारे को रोकने के लिए महिलाओं की एक ही परिवार में अन्य भाइयों से शादी करवाने की प्रथा शुरू हो गई और ये प्रथा इसलिए चलती रही ताकि जमीन का बंटवारा ना हो और टैक्स सिस्टम से भी बचा जा सके | फिर 1959 से 1960 में कानूनी तौर पर बंद करने के आदेश चीन ने दिये थे जिसके बाद भी ये प्रथा जारी है |