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Wednesday, April 9, 2025

वृंदावन स्थित श्री राधा वल्लभ मंदिर में सुबह होते हैं अद्भुत छवि और भाव के दर्शन

वृंदावन स्थित श्री राधा वल्लभ मंदिर में सुबह होते हैं अद्भुत छवि और भाव के दर्शन

वृंदावन स्थित श्री राधा वल्लभ मंदिर में सुबह होते हैं अद्भुत छवि और भाव के दर्शन: भगवान बांके बिहारी के मंदिर के समीप स्थित है ये मन्दिर

वृंदावन स्थित श्री राधा वल्लभ मंदिर में सुबह होते हैं अद्भुत छवि और भाव के दर्शन
वृंदावन स्थित श्री राधा वल्लभ मंदिर में सुबह होते हैं अद्भुत छवि और भाव के दर्शन

जाने विस्तारपूर्वक कैसे वृंदावन स्थित श्री राधा वल्लभ मंदिर में सुबह होते हैं अद्भुत छवि और भाव के दर्शन

वृंदावन स्थित श्री राधा वल्लभ मंदिर में ठाकुर जी सुबह-सुबह भक्तों को अलग छवि और भाव के साथ दर्शन देने का कार्य करते हैं |भगवान बांके बिहारी के मंदिर के समीप स्थित श्री राधा वल्लभ मंदिर की मंगला की छटा का नजारा देखते ही बनता है जिसमें सुबह-सुबह सैकड़ों की संख्या में स्थानीय लोग के साथ-साथ बाहर से आने वाले श्रद्धालु भी मौजूद होते हैं |वृंदावन के स्थानीय ब्रज वासियों के द्वारा एक कहावत प्रचलन में है:

“जो करेगा मंगला कभी ना रहेगा कंगला |”

अपनी किस्मत के तालो को खोलने के लिए भक्त बताये गये तमाम उपाय और तरकीब से अपने जीवन में उन्नति और सफलता प्राप्त करने की कोशिश में लगे रहते हैं |इसी क्रम में बाहर से आने वाले श्रद्धालु व वृंदावन के तमाम स्थानीय लोग साधु संत प्रातः काल श्री राधा बल्लभ जी के मंदिर में इकट्ठे होकर भगवान की अद्भुत झांकी का दर्शन करते हैं |

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भगवान की इस झांकी का दर्शन प्रातः काल की मंगला आरती के समय थोड़ी देर के लिए ही होते है बाकी पूरे दिन भगवान भगवान अपने अद्भुत श्रंगार के साथ दर्शन देते हैं।भगवान की छवि को निहारते हुए कवियों ने लिखा है:

“कनक बेल श्री राधिका और सुंदर श्याम तमाल”

“दोनों मिल एक ही भये श्री राधा वल्लभ लाल”

वास्तव में भगवान की इस मिलन भरी छवि के दर्शन प्रातः काल ही होते हैं |मंदिर सेवायत चंचल गोस्वामी जी ने जानकारी देते हुए बताया की सुबह भगवान एकलाई (एक ही वस्त्र) में देखने को मिलते हैं | इस छवि में भगवान कृष्ण और राधा जी एवं श्री हित हरिवंश जी एक ही वस्त्र में लिपटे होते हैं जैसे कभी कभी सर्दियों के समय में हम परिवार में अपने बच्चों के साथ रजाई ओढ़ लेते हैं |उसी तरह वस्त्र इकलाई को ओढ़कर भगवान श्री राधा वल्लभ जी एवं उनकी प्रिय राधा रानी और श्री हित हरिवंश जी एक रूप में दर्शन देते हैं |

साथ ही हित आश्रम के कमल दास जी महाराज ने गोपियों के भाव को मंगला आरती की झांकी से जोड़कर बताया |कमल दास जी बताते हैं कि ब्रज में श्री कृष्ण के अलावा कोई और पुरुष भाव में नहीं है इसलिए सुबह दर्शन करने आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु को गोपी और भगवान की मंगला में आने वाले प्रत्येक रसिक संत के द्वारा गोपियों की उस लीला की पुनरावृति करके भगवान को रिझाया जाता है |

प्राचीन समय में भगवान श्री कृष्ण के दर्शन के लिए गोपियां प्रातः काल अपने कुंज रंध्रों (प्राचीन समय में बनी इमारत कुंज में बने छोटे छोटे छिद्रों )में से भगवान श्री कृष्ण के प्रथम दर्शन का प्रयास करती थी। प्रातकाल मंगला आरती के बाद थोड़े समय के लिए भगवान के दर्शन भक्तों के लिए खोले जाते हैं जिसमें भगवान के आगे एक काष्ठ की चटाई लटका दी जाती है और उस चटाई में से भगवान के दर्शन लुका छुपी के रूप में होते हैं |

महाराज जी ने जानकारी देते हुए बताया कि तमाम लोग यहां आकर दर्शन तो करते हैं लेकिन भगवान को रिझाने के लिए उन्हें किस भाव से लाड लड़ाना होता है यह उनसे प्रेम करने वाले रसिक संतो को अच्छे से पता होता है।

लेकिन ठाकुर जी से प्रेम करने वाले भक्त भगवान की अनंत कथाओं में डूब कर इस संसार भवसागर से पार होना चाहते हैं |भक्तों की इसी जिज्ञासा और प्रेम के चलते इस लेख को आप सभी के सामने प्रस्तुत किया गया है |

आशा करते हैं हमारे “वृंदावन स्थित श्री राधा वल्लभ मंदिर में सुबह होते हैं अद्भुत छवि और भाव के दर्शन ” सम्बन्धित लेख को पढ़ने के बाद आपने भी श्री राधा वल्लभ जी के मंगला की इस मनोहर छवि को अपने हृदय में स्थापित कर लिया होगा और अब आप कभी भी वृंदावन जाएं तो इस भाव से भगवान के दर्शन जरूर करें |

लेखक :तरुण शर्मा

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