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Tuesday, April 22, 2025

कुसुम सरोवर की दिव्य छटा में स्वर्ण नौका में विराजे श्री गिर्राज जी, 1100 चांदी की छबिरयों में 11000 किलो छप्पन भाेग अर्पित

कुसुम सरोवर की दिव्य छटा में स्वर्ण नौका में विराजे श्री गिर्राज जी, 1100 चांदी की छबिरयों में 11000 किलो छप्पन भाेग अर्पित

श्री गिरिराज जी सेवक मंडल परिवार, आगरा के 56 भाेग मनोरथ का कार्ष्णि आश्रम, गोवर्धन में हुआ समापन

गोवर्धन। जहां स्वयं श्रीकृष्ण ने वेणी गूंथी राधारानी की, जहां पग पग पर मयूर की किल्लाेल हृदय में करती हैं नृत्य सा, स्वर्ण नौका में विराजित होकर तीनों लोकों के स्वामी अपनी हृदय की पटारानी संग करते हैं रास लीला…कुसुम सरोवर की द्वापरयुगीन वही झांकी के दर्शन जब हुए तो भक्त निहाल हो उठे।

श्री गिरिराज जी सेवक मंडल, आगरा द्वारा आयोजित दो दिवसीय 56 भाेग मनोरथ उत्सव का समापन भक्ति के इसी आनंदमय दृश्य के साथ हुआ।
दानघाटी, गोवर्धनधाम स्थित कार्ष्णि संत शरणानंद आश्रम में आयोजित उत्सव मनोथर के द्वितीय दिवस का शुभारंभ ठाकुर जी के बाल भाेग खिचड़ी के अर्पण एवं भक्तों में वितरण के साथ हुआ। यहाँ शरद ऋतु में ठाकुर जी की हीरे और स्वर्ण आभूषणाें के श्रंगार से बिखरी स्वर्णिम आभा भक्तों को उष्मा प्रदान कर रही थी। कार्ष्णि संत हरिओम बाबा एवं बल्केश्वर महादेव मंदिर, आगरा के महंत सुनील नागर के सानिध्य में संस्था के चरण सेवक अजय गोयल, मनोज कुमार गर्ग, श्याम सुंदर माहेश्वरी, पवन कुमार अग्रवाल, मनीष गोयल, नीरज अग्रवाल ने श्रीगिरिराज जी की आरती उतारी एवं भक्ताें के लिए प्रभु के दर्शन खोले। जय गिरिराज धरण, हम तेरी शरण की हजारों जयघाेष के साथ पूरा परिसर गूंज उठा। हरित थीम पर विदेशी फूलों के बंगले के मध्य स्वर्ण नाैका में विराजे ठाकुर जी का अपलक दर्शन पाकर हर भक्त ठहर सा गया। ठाकुर जी के मुख पर दमक रहा हीरा अपनी चमक से भक्तों को आकर्षित कर रहा था। इसके साथ ही सितारे जड़ित पोशाक पर गले में वैजयंती, कमल और तुलसी की माला सुशाेभित थी। शुद्ध देशी घी से निर्मित 11000 किलो छप्पन भाेग 1100 चांदी की छबरियों में प्रभु चरणाें में अर्पित हुए। भजनों की धुन पर हर नर− नारी गोप− गोपी बन नृत्य करते रहे। रंभाते गोवंश और पशु पक्षियों की सजीव सी झांकियां आकर्षक लग रही थीं। भक्ति तभी पूर्ण होती है जब सेवा का मर्म भी उससे जुड़े। इसी ध्येय के साथ 551 साधुओं की सेवा प्रसादी एवं बर्तन वितरण के साथ हुयी। इसके बाद खीर, पुआ, मोहनथाल सहित एक दर्जन से अधिक व्यंजनों से सुस्वादिष्ट प्रसादी का स्वाद हजारों भक्तों ने लिया। देर रात तक महाप्रसादी हर भक्त के लिए उपलब्ध रही। सायंकाल आश्रम परिसर में ब्रज के भजनों की धूम रही। भजन संध्या एवं विविध झांकी दर्शन के बाद शयन आरती लाभ भक्तों ने लिया। 51 लीटर मेवायुक्त अमृततुल्य दुग्ध की प्रसादी का वितरण भक्तों में करने के साथ भव्य आयोजन का समापन हुआ।

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