बीएसए (पी.जी.) कॉलेज, मथुरा में ‘वैदिक विज्ञान का महत्व’ विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जो हरे कृष्ण भक्ति योग सोसायटी के सहयोग से संपन्न हुई। इस सोसायटी के संस्थापक भक्तिवेदांत नारायण गोस्वामी महाराज हैं। संगोष्ठी का आयोजन श्यामाचरण सभागार हॉल में किया गया, जहां प्रोजेक्टर एआई प्रेजेंटेशन के माध्यम से विषय को रोचक और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक परंपरा के अनुसार मंत्रोच्चारण एवं सरस्वती जी के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया। हरे कृष्ण भक्ति समिति के अध्यक्ष रोहिणी नंदन दास ने बीएसए कॉलेज के प्राचार्य डॉ. ललित मोहन शर्मा को दुपट्टा पहनाकर एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। संगोष्ठी में विशेष रूप से लॉस एंजेलेस, अमेरिका से पधारे किशोरी मोहन एवं फ्रांस से आए हरि कथा ने संगोष्ठी के कोऑर्डिनेटर डॉ. यू.के. त्रिपाठी व ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. रवीश शर्मा का स्वागत किया। इसके अतिरिक्त, संगोष्ठी में श्रीपद त्रिकलज्ञ साक्षी चरण , पुंडरिक , नीरज , प्रिंस, अतुल कृष्ण , रुक्मिणी जी समेत कई विद्वानों ने अपने विचार प्रस्तुत किए। इस संगोष्ठी में विद्यार्थियों की भी उत्साहजनक भागीदारी रही, जिसमें विभिन्न महाविद्यालयों से जुड़े साहिल, रोशन, दीपक, मुस्कान, नवीन, उदय, दिशांत, जयराम, लव आदि वालंटियर्स उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन अनंत कृष्ण दास जी ने किया। संगोष्ठी में विद्वानों ने वैदिक विज्ञान के आधुनिक संदर्भों पर चर्चा करते हुए इसके वैज्ञानिक दृष्टिकोण को समाज के समक्ष प्रस्तुत किया और कहा कि वैदिक ज्ञान केवल आध्यात्मिकता तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका गहरा वैज्ञानिक आधार भी है, जो आधुनिक विज्ञान के कई सिद्धांतों से मेल खाता है। इस अवसर पर वक्ताओं ने विभिन्न प्राचीन ग्रंथों और उनकी वैज्ञानिक व्याख्या को आधुनिक संदर्भों में प्रस्तुत किया, जिससे यह सिद्ध हो सके कि वैदिक ज्ञान केवल धार्मिक मान्यताओं तक सीमित नहीं, बल्कि विज्ञान के क्षेत्र में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका रखता है। संगोष्ठी के समापन पर सभी विद्वानों एवं उपस्थित अतिथियों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में महाविद्यालय के प्रो डॉ. यू.के. त्रिपाठी, प्रो डॉ. रवीश शर्मा, प्रो डॉ. बी.के. गोस्वामी एवं हरे कृष्ण भक्ति समिति के अध्यक्ष रोहिणी नंदन दास का विशेष योगदान रहा। इस संगोष्ठी ने वैदिक विज्ञान की महत्ता को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया और उपस्थित जनों को वैदिक परंपराओं तथा वैज्ञानिकता के संबंध में नए विचारों से अवगत कराया।
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