संस्कृति स्कूल आफ नर्सिंग द्वारा विश्वविद्यालय के सभागार में किया गया नर्सिंग दिवस का भव्य आयोजन
संस्कृति स्कूल आफ नर्सिंग द्वारा विश्वविद्यालय के सभागार में किया गया नर्सिंग दिवस का भव्य आयोजन: इस मौके पर फ्लोरेंस नाइटेंगल के चित्र पर किये गये पुष्प अर्पित और विद्यार्थियों को उनके जीवन से प्रेरणा लेकर अपने जीवन को मरीजों की सेवा हेतु समर्पित करने का आह्वान किया गया।
संस्कृति विवि की विशेष कार्याधिकारी श्रीमती मीनाक्षी शर्मा द्वारा नर्सिंग स्कूल के डीन डा. केके पाराशर फ्लोरेंस के साथ नाइटेंगल के चित्र के समक्ष पुष्प अर्पित किये गये
इस उपलक्ष्य के अवसर पर वक्ताओं द्वारा कहा गया कि “नर्सिंग एक ऐसा पेशा है जिसमे वो सुकून मिलता है जो अन्य किसी दूसरे पेशे से नहीं मिल सकता। यह एक ऐसा स्थाई धन है जिससे हम बहुत कुछ हासिल कर सकते है।इस कार्यक्रम का शुभारंभ फ्लोरेंस नाइटेंगेल के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन करके किया गया।
ये दिवस सम्पूर्ण विश्व में फ्लोरेंस नाइटेंगेल के जन्मदिवस के दिन अंतर्राष्ट्रीय नर्सिंग डे के रूप में मनाया जाता है। इस कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि चिकित्साधिकारी मथुरा डा. अजय कुमार वर्मा द्वारा कोरोनाकाल में लोगों की आगे बढ़कर सहायता वाली नर्सेज के योगदान की भी प्रशंसा की गई |
संस्कृति विवि और एसकेयूएएस विवि जम्मू द्वारा मिलकर किया एक बहुत ही महत्वपूर्ण समझौता
उनके द्वारा कहा गया कि “कोरोना के समय इन्ही नर्सो द्वारा अपनी जान पर खेलकर लोगों की तीमारदारी की गई और ऐसा करके ऐसे लोगो द्वारा इस पेशे की महानता को सिद्ध किया गया ।
इस अवसर पर विवि के कुलाधिपति सचिन गुप्ता द्वारा कहा गया कि “हमारे विद्यार्थी जिस सेवाभाव के साथ इस पेशे से अपनेआप जुड़ रहे हैं वो बहुत ही सराहनीय बात है। इस विद्या के अध्ययन का महत्व ही तब होता है जब इसको सीखने वाले के अंदर सेवा का भाव हो।ऐसे में सभी को इस महत्वपूर्ण दिन को इसी भावना के साथ मनाना चाहिए।“
इस अवसर पर संस्कृति स्कूल आफ नर्सिंग के डीन डा. केके पाराशर द्वारा ये जानकारी दी गई कि फ़्लोरेन्स नाइटिंगेल को आधुनिक नर्सिग आन्दोलन के जन्मदाता स्वरूप में जाना जाता है। दया और सेवा की प्रतिमूर्ति फ्लोरेंस नाइटिंगेल “द लेडी विद द लैंप” (दीपक वाली महिला) के नाम से सम्पूर्ण विश्व में मशहूर हैं।
हम आपको बता दे कि उनका जन्म एक समृद्ध और उच्चवर्गीय ब्रिटिश परिवार में हुआ था लेकिन उच्च कुल में जन्म लेने के बावजूद फ्लोरेंस द्वारा लोगो की सेवा का मार्ग चुना गया । फ्लोरेंस का सबसे महत्वपूर्ण योगदान क्रीमिया युद्ध के दौरान रहा था |उनके द्वारा अक्टूबर 1854 में 38 स्त्रियों के एक दल को घायलों की सेवा हेतु तुर्की भेजा गया था। उस समय उन्हें अपनी किये गये इन सभी सी कार्यो हेतु “लेडी विद द लैंप” की उपाधि से सम्मानित किया गया था। वो चिकित्सको के चले जाने के बाद भी रात के गहन अंधेरे में मोमबत्ती जलाकर घायलों की सेवा के लिए उपस्थित रहती थी |
इस कार्यक्रम के दौरान विवि के कुलपति डा. तन्मय गोस्वामी, प्रो वीसी डा. राकेश प्रेमी द्वारा भी अपने विचार व्यक्त किए। इस कार्यक्रम के समय विवि की विशेष कार्याधिकारी श्रीमती मीनाक्षी शर्मा के अलावा अन्य अधिकारी भी मौजूद थे । अंत में धन्यवाद ज्ञापन सहायक केशचंद्र सिंह द्वारा किया गया और राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। इस कार्यक्रम का संचालन सुश्री चंपकली द्वारा किया गया ।