किस संडयत्र के तहत शबरी जलप्रपात का नाम हटाकर तुलसी प्रपात रखा गया?
भीलनी शबरी के जलप्रपात का नाम बदलने पर कोल आदिवासी समाज में रोष- बूटी बाई
चित्रकूट दौरे पर आये उप मुख्यमंत्री केशव मौर्या ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में शबरी जल प्रपात नाम बदलने के प्रश्न पर कहा नाम नहीं बदला जाएगा नाम यथावत ही रहेगा
चित्रकूट अभी न्यूज़ (: पुष्पराज कश्यप) चित्रकूट मानिकपुर पाठा के प्रकृति की गोद में स्थित मनमोहक शबरी जलप्रपात का नाम कुछ दिन पहले ही अचानक तुलसी जल प्रपात कर दिया गया था। जिसको लेकर आज पाठा के आधा सैकड़ा वनवासियों द्वारा मुख्यमंत्री जी के नाम मानिकपुर तहसील पहुंचकर उपजिलाधिकारी के न मिलने पर तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा गया। कुछ दिन पहले ही लखनऊ से वनविभाग की एक वरिष्ठ अधिकारी रानीपुर टाइगर रिजर्व हेतु पाठा का भ्रमण किया गया था उस भ्रमण के दौरान शबरी जल प्रपात का अवलोकन भी किया गया, आरोप है कि इस दौरान उन्होंने शबरी के नाम पर अपनी असंतुष्टि व्यक्त करते हुए इसका नाम बदल कर तुलसी प्रपात कर दिया। इसका ज्ञान किसी को भी नहीं होने दिया तथा जब बोर्ड में शबरी के नाम के स्थान पर तुलसी जल प्रपात लिख दिया गया तो जलप्रपात के आसपास के गांवों में रह रहे वनवासी समुदाय सहित सभी लोगों में असंतुष्टि का माहौल बनने लगा।
उन्होंने एक स्वर में वापस शबरी जल प्रपात की मांग को रखा और आधा सैकड़ा महिला पुरुषों ने आदिवासी युवा समाजसेवी आशीष कुमार के नेतृत्व में मानिकपुर तहसील पहुंचकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा, साथ ही अपनी बात रखते हुए कहा कि जितनी श्रद्धा हमारी प्रभु श्री राम, बाबा तुलसी के प्रति है उतनी ही मां शबरी के लिए। इसी श्रद्धा को ध्यान में रखकर 23 वर्ष पूर्व राष्ट्र ऋषि पूज्य नाना जी देशमुख के कहने पर ही तत्कालीन जिलाधिकारी जगन्नाथ सिंह ने इस जगह को शबरी जल प्रपात का नाम दिया।तब से यह जल प्रपात मां शबरी के नाम से दूर दूर तक अपनी ख्याति व पहचान को बनाए है। अचानक से नाम बदलना यह हम सब के साथ अन्याय है। मां शबरी के साथ हमारी आस्था, अस्मिता,भक्ति जुड़ी है। अतः तुलसी जल प्रपात का नाम बदलकर वापस मां शबरी का नाम से शबरी जल प्रपात रखा जाए एवं वहां स्थापित मां शबरी, प्रभु श्री राम व लक्ष्मण जी की मूर्ति का उचित रख रखाव की व्यवस्था की जाए।
रामकिशोर कोल सहित अन्य साथियों ने कहा कि अगर 7 दिनों के भीतर नाम परिवर्तित नहीं होता है तो हम आगे क्रमिक अनशन और आंदोलन के लिए बाध्य होंगे, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी।
बूटी बाई ने कहा कि इस जंगल को जीवित रखने का काम हम आदिवासियों ने किया है जंगल में आग लगी तो अपने जान की परवाह किए बिना उस आग को बुझाने का काम किया परंतु जिस प्रकार का षड्यंत्र वन विभाग द्वारा किया जा रहा है वह स्वीकार योग्य नहीं है। इस अवसर पर आधा सैकड़ा लोग मौजूद रहे।
