राधा-कृष्ण के विवाह का फिर साक्षी बना भांडीरवन
मथुरा अभी न्यूज़ (गोपाल चतुर्वेदी ) एक बार फिर राधा कृष्ण के विवाह के मंगल गीत भांडीरवन में गूंजने लगे। मौका था राधा कृष्ण के सांकेतिक विवाह का।
मथुरा वृंदावन के सैंकड़ों अग्रवाल परिवारों द्वारा इस आयोजन को किया गया। सबसे पहले कृष्ण भगवान के विग्रह को लेकर बैंडबाजों से बारात निकाली गई, जिसमें सैंकड़ों महिला व पुरुष नाचते हुए आगे बढ़ रहे थे। उसी वट वृक्ष के नीचे राधा पक्ष के लोगों ने बारातियों का स्वागत किया जिस वट वृक्ष के नीचे कभी स्वयं ब्रह्मा जी ने विधि-विधान से राधा कृष्ण का विवाह मंत्रोच्चार के साथ सम्पन्न कराया था । महिलाओं ने राधा जी का कन्यादान लिया और भजन संध्या के साथ भंडारे का आयोजन किया गया।
मान्यता है कि द्वापर युग में स्वयं ब्रह्मा जी ने भांडीरवन में राधा कृष्ण का विवाह संपन्न कराया था। भगवान कृष्ण द्वारा राधा रानी की मांग में सिंदूर भरते हुए का विग्रह केवल भांडीरवन में ही है। किदवंती है कि विवाह के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने अपना मुकुट ( शादी का सेहरा ) सिराया था। यहां वेणु कूप भी है, जिसके बारे में मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन यहां ब्रह्म मुहूर्त में कूप का जल दूध जैसा सफेद हो जाता है। सोमवती अमावस्या को कूप के जल से स्नान करने से निसंतान को संतान की प्राप्ति भी होती है।
राधा कृष्ण के विवाह आयोजन में सेवायत सोनू पंडित, योगेंद्र पंडित, सुरेश दीक्षित के अलावा दिलीप अग्रवाल, राजीव गोयल, नारायण दास कंठी वाले, विपिन मुकुट वाले, रामकिशन अग्रवाल, रामकिशोर अग्रवाल, विवेक अग्रवाल, अवनीश बजाज, कपिल अग्रवाल, अवदेश अग्रवाल, गोपाल अग्रवाल, कन्हैया अग्रवाल आदि मौजूद रहे।