कैंसर के खिलाफ लड़ाई में ऑन्कोलॉजी काफी मददगारः डॉ. सुरेंद्र सिंह
मथुरा। कैंसर के उपचार, निदान और प्रबंधन में ऑन्कोलॉजी का विशेष महत्व है। नए उपचार और तकनीकी प्रगति के कारण ऑन्कोलॉजी लगातार विकसित हो रही है। चिकित्सा क्षेत्र में ऑन्कोलॉजी कैंसर के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह बातें गुरुवार को के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में ऑन्कोलॉजी चिकित्सा प्रगति पर हुई परिचर्चा में पुष्पांजलि हॉस्पिटल,आगरा के सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. सुरेंद्र सिंह तथा सलाहकार रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. नीरज राजपूत ने छात्र-छात्राओं को बताईं। परिचर्चा का शुभारम्भ डीन और प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी द्वारा अतिथि वक्ताओं के परिचय से हुआ।
सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. सुरेंद्र सिंह ने बताया कि कैंसर जैसी बीमारी के उपचार में रेडियोलॉजिस्ट, पैथोलॉजिस्ट तथा सर्जन सहित अन्य स्वास्थ्य सेवाप्रदाता मरीज का सहयोग करते हैं, इसमें सर्जरी, विकिरण चिकित्सा, कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी या लक्षित चिकित्सा शामिल हो सकती है। सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट बायोप्सी, ट्यूमर हटाने तथा पुनर्निर्माण सर्जरी सहित कैंसर के सर्जिकल प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करते हैं। अंत में विकिरण ऑन्कोलॉजिस्ट अकेले या अन्य उपचारों के संयोजन में कैंसर का इलाज करने के लिए विकिरण चिकित्सा का उपयोग करते हैं। डॉ. सुरेंद्र सिंह की जहां तक बात है वह सर्जिकल ऑन्कोलॉजी में व्यापक अनुभव रखते हैं। वह अब तक सैकड़ों कैंसर पीड़ितों का सर्जिकल उपचार कर चुके हैं। इनकी सूक्ष्म विवेचनात्मक तकनीक तथा व्यक्तिगत रोगी देखभाल के लिए हर कोई प्रशंसा करता है। सलाहकार रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. नीरज राजपूत ने बताया कि कैंसर के उपचार में लगातार प्रगति हो रही है। परिचर्चा में उन्होंने चिकित्सा पेशेवरों तथा छात्र-छात्राओं को सर्जिकल और रेडिएशन ऑन्कोलॉजी में नवीनतम प्रगति की जानकारी दी। उन्होंने उपस्थित छात्र-छात्राओं को नवाचारी उपचार विकल्पों, समय रहते जांच के महत्व तथा रोगी देखभाल पर विस्तार से प्रकाश डाला। डॉ. नीरज राजपूत रेडिएशन ऑन्कोलॉजी में अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं। डॉ. राजपूत ने कैंसर उपचार में रेडिएशन थेरेपी की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने छात्र-छात्राओं तथा चिकित्सा पेशेवरों को कैंसर के उपचार में सूक्ष्म चिकित्सा तथा कटिंग-एज तकनीक को उपयोगी बताया।
अंत में के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के प्राचार्य और डीन डॉ. मनेष लाहौरी ने मुख्य वक्ताओं डॉ. सुरेंद्र सिंह तथा डॉ. नीरज राजपूत की प्रशंसा करते हुए छात्र-छात्राओं को बेशकीमती अनुभव प्रदान करने के लिए उनका आभार माना। डॉ. लाहौरी ने कहा कि कैंसर को विनाशकारी बीमारी माना जाता है। कैंसर देखभाल की आवश्यकता वाले रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है लिहाजा कैंसर देखभाल की जरूरत को पूरा करने के लिए वैश्विक ऑन्कोलॉजी नर्सिंग कार्यबल बहुत आवश्यक है।
डॉ. लाहौरी ने बताया कि विकिरण चिकित्सा का उपयोग आमतौर पर कैंसर के उपचार में किया जाता है। यह लगभग 30 फीसदी रोगियों में प्राथमिक उपचारात्मक पद्धति है। सभी कैंसर रोगियों में से आधे से अधिक को अपनी बीमारी के दौरान कभी न कभी विकिरण चिकित्सा जरूर दी जाती है। डॉ. लाहौरी ने कहा कि वक्ताओं ने जो जानकारी दी है उसका छात्र-छात्राओं तथा स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों को काफी लाभ मिलेगा। अंत में उन्होंने सभी का आभार मानते हुए कहा कि इस परिचर्चा का लाभ छात्र-छात्राओं ही नहीं सेवाप्रदाताओं को भी मिलेगा।