कहते हैं हर किसी की लाइफ में यह दो चीजें बहुत जरूरी होती है जिसमें पहली नौकरी और दूसरा जीवनसाथी | परंतु इनकी तलाश इतनी आसान नहीं होती | बस इसी बात को ध्यान में रखते हुए एक बंदे ने करोड़ों की कंपनी खड़ी कर दी |
दरअसल आपको बता दें कि हम यहां नौकरी डॉट कॉम और जीवनसाथी डॉट कॉम की बात कर रहे हैं | इन दोनों वेबसाइट को इंफोएज नाम की कंपनी ने बनाया है और इस कंपनी के मालिक संजीव बिकचंदानी हैं |
संजीव बिकचंदानी जी का ये सफर इतना आसान नहीं रहा है, संजीव ने इकॉनॉमिक्स स्पेशलाइज़ेशन के साथ आर्ट्स में बीए किया था परंतु वह कॉलेज के दिनों से ही लाइफ में कुछ बड़ा करने का सपना देखते थे |उन्होने कॉलेज खत्म कर सन 1984 में अकाउंट्स एग्जीक्यूटिव की जॉब की और फिर 1987 में जॉब छोड़ आईआईएम की स्टडी करने लगे |यहां पर उन्हें 1989 में ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन में प्रॉडक्ट एग्जीक्यूटिव की नौकरी मिली गई |
1990 में कुछ बड़ा करने के इरादे से संजीव ने फिर अपनी जॉब छोड़ दी |
उसके बाद 1996 में दिल्ली में आईटी एशिया एग्जिबिशन चल रहा था तो यहां एक स्टॉल पर WWW. ने संजीव का ध्यान खींचा | यहां उन्हें पता चल कि वीएसएनएल के ई-मेल अकाउंट बेचे जा रहे हैं और संजीव ने पूछा कि ये ई-मेल क्या है और इसका उपयोग कैसे करते हैं | फिर सेलर ने उन्हें इंटरनेट पर कुछ ब्राउज़ करके बताया कि कैसे आप विश्व की सभी जानकारी इंटरनेट पर देख सकते हैं |
बस फिर क्या था यहीं से उनके दिमाग में नौकरी डॉट कॉम का आइडिया क्लिक हुआ |
उसके बाद संजीव ने ई-मेल बेचने वाले से उनके लिए वेबसाइट बनाने की मांग की लेकिन उसने कहा कि सभी सर्वर अमेरिका में है, वहीं से सारी वेबसाइट होस्ट होती है, इसलिए वह वेबसाइट नहीं बना सकता |
अब ऐसे में संजीव ने अमेरिका में एक बिजनेस स्कूल में प्रोफेसर अपने बड़े भाई को कॉल किया और उन्हें वेबसाइट के लिए सर्वर खरीदने को कहा | उसके बाद उन्होंने भी जवाब दिया की अभी उनके पास पैसे नहीं हैं, लेकिन वह बाद में दे देंगे | तब सर्वर का किराया 25 डॉलर महीना था फिर बाद में जब कंपनी बड़ी हुई तो संजीव ने बिना मांगे अपने भाई को कंपनी का 5 प्रतिशत शेयर दे दिया |
इसके आलवा उसके बाद में संजीव ने दो और लोगों को कंपनी का शेयर बेचा और नौकरी.कॉम शुरू कर दिया | ये तब हुआ जब 90 के दशक के मध्यकाल में मंदी का दौर था | अब ऐसे में उनकी वेबसाइट पर ज्यादा ट्राफिक आने लगा |
तब भारत में इंटरनेट भी नया था और कोई ज्यादा लोकल वेबसाईट नहीं थी | ऐसे में न्यूज पेपर ने इंटरनेट का उदाहरण देने के लिए नौकरी डॉट कॉम का इस्तेमाल किया और इस तरह बिना पैसा खर्च किया इनकी पब्लिसिटी भी हो गई |फिर इसी तरह उन्होंने जीवनसाथी.कॉम की शुरुआत थी और वह इस तरह दुनिया के करोड़ों पतियों में शुमार हो गए |