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Sunday, September 22, 2024

के.डी. हॉस्पिटल में महिला ने दिया एक साथ तीनों बच्चों को जन्म

के.डी. हॉस्पिटल में महिला ने दिया एक साथ तीनों बच्चों को जन्म

मथुरा। के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर में शुक्रवार का दिन कथियारा डींग रोड भरतपुर निवासी रामानंद के घर खुशियों की सौगात लेकर आया। महिला एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. पारुल गर्ग की सूझबूझ से नि:संतानता का दंश झेल रही दुर्गेश (27) पत्नी रामानंद ने सामान्य तरीके से तीन नवजात शिशुओं (दो बेटे और एक बेटी) को जन्म दिया। समय से पहले सात माह में जन्मे तीनों शिशुओं को बचाने के लिए उन्हें शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. उमेश जोशी की निगरानी में एनआईसीयू में रखा गया है।
चिकित्सकों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार शुक्रवार शाम लगभग चार बजे कथियारा डींग रोड भरतपुर निवासी रामानंद अपनी पत्नी दुर्गेश को लेकर के.डी. हॉस्पिटल आया। महिला एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. पारुल गर्ग की निगरानी में दुर्गेश ने लगभग पांच बजे सामान्य तरीके से तीन शिशुओं को जन्म दिया। ट्रिपलेट प्रेग्नेंसी में चूंकि एक शिशु की जान को हमेशा खतरा रहता है, इस बात को ध्यान में रखते हुए तीनों शिशुओं को अत्याधुनिक एनआईसीयू यानि नवजात शिशु सघन चिकित्सा कक्ष में विशेषज्ञ चिकित्सकों की निगरानी में रखा गया है। महिला एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. पारुल गर्ग ने बताया कि शुक्रवार को दुर्गेश ने तीन बच्चों को एक साथ जन्म दिया जिसमें दो बेटे और एक बेटी है। उनका कहना है कि लगभग 10 हजार प्रसव मामलों में किसी एक महिला को ट्रिपलेट प्रेग्नेंसी होती है। डॉ. गर्ग के मुताबिक सामान्य तरीके से हुए प्रसव के बाद मां दुर्गेश पूरी तरह स्वस्थ है लेकिन तीनों शिशुओं का वजन काफी कम होने के चलते उन्हें एनआईसीयू यानि नवजात शिशु सघन चिकित्सा कक्ष में रखा गया है। इन बच्चों की देखभाल विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम लगातार कर रही है। आपको बता दें कि एक ओर जहां प्रायः चिकित्सकों द्वारा महिलाओं का सीजर प्रसव कराना एक रिवाज बन गया है वहीं डॉ. पारुल गर्ग के प्रयासों से दुर्गेश ने बिना चीर-फाड़ के एक साथ तीन बच्चों को जन्म दिया। प्रसव के बाद जच्चा तो पूरी तरह स्वस्थ है लेकिन बच्चों का वजन बहुत कम होने के चलते उन्हें वेंटीलेटर में रखा गया है। शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. के.पी. दत्ता का कहना है कि के.डी. हॉस्पिटल में आधुनिकतम चिकित्सा सुविधाएं, विशेषज्ञ चिकित्सकों तथा सुयोग्य टेक्नीशियनों के होने के चलते यहां हर तरह का उपचार सम्भव है। डॉ. दत्ता का कहना है कि फिलवक्त वेंटीलेटर और आर्टीफिशियल सर्फ़ेक्टेंट आदि की सहायता से तीनों नवजात शिशुओं की जीवन रक्षा की जा रही है। एक साथ तीन बच्चों के पिता बनने पर खुशी जताते हुए रामानंद कहते हैं कि के.डी. हॉस्पिटल के चिकित्सकों के प्रयासों और सूझबूझ से जहां उनकी पत्नी की जान बची वहीं बच्चों की जिस तरह से देखरेख हो रही है, उससे वे भी शीघ्र स्वस्थ होंगे, इसमें संदेह नहीं। रामानंद ने हॉस्पिटल प्रबंधन तथा चिकित्सकों का आभार माना है। आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल तथा डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका ने चिकित्सकों की टीम को अच्छे सेवाभाव के लिए बधाई देते हुए कहा कि नवजात शिशुओं की पूरी तरह से निगरानी रखना तथा उनकी जीवन रक्षा बहुत जरूरी है।

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