जो पकड़ जाय वो ही चोर
जो पकड़ जाय वो ही चोर: पश्चिम बंगाल के मंत्री पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी के यहां ईडी के छापेमारी कार्यवाही के दौरान बरामद हुई करोड़ों रुपए की काली धनराशि इन दिनों देश में चर्चा का विषय बनी हुई है |
साथ ही करोड़ों रुपए के नये नवनिर्मित हुए दो हजार के नोटों के बंडल की वायरल फोटो और वीडियो को देखकर आम जनता के मन में बहुत सारे सवालों के अंबार लग गए हैं।
केंद्र व राज्य सरकारों के द्वारा काला धन इकट्ठा करने वाले इन दोषियों के प्रति अब क्या कड़ा रुख अपनाया जाएगा जिसके चलते इस काले धन से जुड़ी जमाखोरी को रोका जा सके |
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जबकि केंद्र सरकार द्वारा इस काले धन की जमाखोरी के चलते पुराने हजार के नोटों को चलन से हटाकर नए दो हजार के नोटों को चलन में लाया |इसी तरह से अन्य पुराने नोटों को चलन से हटाकर नए नोटों का नवनिर्माण करके चलन में लाया गया लेकिन क्या नोट बंदी के कारण परेशान हुई जनता का बलिदान और गवाया गया समय व्यर्थ ही रहा |
जिस तरह से एक छोटी सी फिल्म एक्ट्रेस अर्पिता मुखर्जी के यहां करोड़ों रुपए का काला धन नगद में बरामद हुआ है उसके अनुसार तो हमारे भारत में अरबों की रकम अभी काले धन के रूप में जमाखोरों के पास और जमा होगी
लेकिन इस बिंदु को सिलसिलेवार तरीके से समझने के लिए हमें कुछ मुख्य बिंदुओं पर चर्चा करनी होगी:-
नगद हस्तांतरण को पैन कार्ड से जोड़ने के बावजूद भी बैंकों से करोड़ों अरबों की धनराशि नगद रूप में कैसे बाहर आती है?
केंद्र सरकार और राज्य सरकार इस प्रकार की घटनाओं से सबक लेकर अब इन पर लगाम लगाने हेतु क्या नए कदम उठाएगी ?
क्या बैंकिंग अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारियों के सहयोग से इकट्ठा किया जाता है काला धन?
पुराने नोट चलन से बाहर होने के बाद नए नवनिर्मित नोटों को काले धन के रूप में कैसे किया जा रहा है इकट्ठा ?
हमारे भारत का प्रवर्तन निदेशालय निश्चित रूप से देश की सरकार के हित में समर्पित होकर कार्य करता है जिसके चलते पिछले कुछ वर्षो के दौरान इस विभाग के द्वारा अब तक एक लाख करोड़ से भी ज्यादा की संदिग्ध संपत्ति को ज़ब्त किया गया है।
प्रवर्तन निदेशालय की वेबसाइट पर प्रदर्शित आंकड़ों की मानें तो पिछले लगभग दो दशकों में ईडी के द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के पाच हजार से भी ज्यादा के पंजीकृत किए गए।
काला धन जमाखोरी संबंधित अपराधों के बढ़ते इस आंकड़े के चलते जनता के जहन में ये प्रश्न जरूर उठता है कि जब नए नोट निर्गमन और नगद संपत्ति से संबंधित जानकारियां जुटाई गई और नगद हस्तांतरण को पैन कार्ड से जोड़ा गया तो उसके बावजूद भी अर्थव्यवस्था में इतना धन नगद रूप में किन स्रोतों के रूप में बाहर आया?
क्या बैंक अधिकारियों के द्वारा इतनी बड़ी मात्रा में नगद को बाहर लाने के लिए मौजूद अधिनियम और निर्देशों में किसी सूचना के आधार पर व्यवस्था को गुमराह करके इस प्रकार के अपराधियों को सहयोग दिया जा रहा है?
आम जनमानस और वित्तीय जानकारों की मानें तो इस तरह जमा किया गया काला धन देश की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बड़ा खतरा है। जनता के इस चिंतन पर प्रदेश सरकारे और केंद्र सरकार अपनी क्या प्रतिक्रिया है देंगी,ये आने वाला वक्त ही बताएगा।
रिपोर्ट ब्यूरो: तरुण शर्मा