जब मुग़लकाल में बादशाह को ही सेनापति ने कर लिया था नजबंद, जानिए पूरी कहानी
हमारे देश में मुगलों ने लंबे समय तक राज्य किया, मुगलों के सभी किस्से लगभग आज भी सभी को पता है लेकिन आज हम एक ऐसा किस्सा आपके सामने बताने जा रहे हैं जो कि शायद ही आपने सुना होगा |जब एक मुगल बादशाह को उसके सेनापति ने ही नजरबंद किया था |
दरअसल आपको बता दे की 1662 में मुगल बादशाह शाहजहां के शासन काल में उनके बेहद अजीज सेनापति महावत खां ने ही उन्हें कैद कर खुद राज चलाया था |
आपको बता दे की महावत ख़ा जिसे जमान बेग के नाम से भी जाना जाता है, शुरूआती दिनों में बादशाह शाहजहां का बेहद विश्वासपात्र सिपहसलार था | वो बादशाह द्वारा सौंपे गये हर एक काम को बेहद कार्य निपुणता से अंजाम देता था | ऐसे में शाहजहां ने उसे मुगल सेना का प्रमुख सेनापति बना दिया था |
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परंतु बादशाह जंहागीर की महावत खां पर बढ़ती मेहरबानियां बेगम नूरजहां को गवारा नहीं हो रही थी | साथ ही महावत खां की शहजादा परवेज से भी गहरी दोस्ती थी और दोनों अक्सर साथ-साथ ही रहते थे | ऐसे में एक सेनापति के साथ शहजादे का इतना लगाव होना, ये बात भी नूरजहां को सही नहीं लगती थी इसलिए बेगम ने बादशाह और शहजादे से सेनापति महावत खां को दूर करने के लिए महावत खां को बंगाल भेजे जाने का फैसला सुना दिया, लेकिन महावत खां बंगाल न जाकर सीधे दरबार हाजिर हुआ, जहां उस पर कई सारे गंभीर आरोप लगाए गए और बेइज्जती की गई और उसके बाद उन्हें जेल डाल दिया गया |
उसके बाद महावत खां ने अपने अपमान का बदला लेने के लिए अपने बादशाह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और हजारों राजपूत सैनिकों के साथ शाही शिविर को घेर लिया और बादशाह को तो पकड़ कर कैद में डाल दिया | बाद में नूरजहां ने भी आत्म समर्पण किया और वो बादशाह के साथ ही जेल में रहने लगी। उसके बाद महावत खां ने अपना राज शुरू किया | परंतु यह ज्यादा समय के लिए नहीं रहा लेकिन उसके बाद भी महावत खां का नाम इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गया क्योंकि मात्र एक सेनापति ने अपने ही बादशाह को नजरबंद किया था |