जाने ज्योतिषाचार्य कामेश्वर चतुर्वेदीजी के विचार इस बार रक्षाबंधन पर्व को लेकर उत्पन्न हुई स्थिति के बारे में
जाने ज्योतिषाचार्य कामेश्वर चतुर्वेदीजी के विचार इस बार रक्षाबंधन पर्व को लेकर उत्पन्न हुई स्थिति के बारे में: उनके अनुसार रक्षाबंधन पर विद्वानों में मतभेद नहीं अपितु भद्रा और पूर्णिमा तिथि के घटे हुए घटी और पल ने ये भ्रामक स्थिति उत्पन्न की है |
ज्योतिषाचार्य कामेश्वर चतुर्वेदी के अनुसार श्रावण मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि को श्रवण नक्षत्र में भद्रा रहित समय में रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है |इस वर्ष बहन भाई की पवित्र प्रेम पर पूर्णिमा तिथि के घटी और पल ने और भद्रा के साया ने विवादित स्थिति उत्पन्न कर दी है |
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक जी के द्वारा सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न
बाण वृद्धि रस क्षय के सिद्धांत के अनुसार पूर्णिमा तिथि 60 घटी में से 6 घड़ी से ज्यादा घट गई है इसीलिए यह स्थिति उत्पन्न हुई है जैसे 11 अगस्त को पूर्णिमा तिथि सुबह 10:38 पर लग रही है तथा 12 अगस्त को 7:05 पर समाप्त हो रही है बस इसी पूर्णिमा के घटे घटी पल ने ये भ्रामक स्थिति उत्पन्न कर दी है |इसमें विद्वानों का कोई भी मत अंतर नहीं है |
प्रथम पक्ष ,धर्म सिंधु निर्णय सिंधु एवं अधिकांश पंचांग 11 अगस्त को रात्रि 8:51 पर भद्रा बीतने के बाद रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त लिख रहे हैं क्योंकि दूसरे दिन पूर्णिमा तिथि 3 मुहूर्त से कम है 7:05 पर ही समाप्त हो रही है एवं प्रतिपदा युक्ता है |
द्वितीय पक्ष 12 अगस्त ,मंदिरों से जुड़े पूजा चार्य 12 अगस्त को 7:05 तक सूर्य उदय व्यापिनी पूर्णिमा तिथि को स्वीकार कर रहे हैं और रक्षाबंधन पर्वमान रहे हैं |
जैसा भी हो भद्रा को अवश्य बचाएं जिससे बहन भाई की सुरक्षा रहे राष्ट्र एवं राजनेता गण भी सुरक्षित रहें तथा कोई चलती हुई विधानसभा गिर नहीं जाए,
धर्म प्राण जनता रक्षाबंधन पर्व पर अपने धर्म आचार्यों से संपर्क रखें और शुभ मुहूर्त में ही रक्षाबंधन करें |
जाने प्रेषक सौरभ शास्त्री चतुर्वेदीजी से विस्तारपूर्वक आगामी वर्षौ के रक्षा बंधन के बारे में:-
ईस्वी सन् 2023 में 30 एवं 31 अगस्त को रक्षा बंधन 2 दिन मनाया जाएगा अधिक श्रावण मास रहेगा |
ईस्वी सन् 2024 में 19 अगस्त को रक्षाबंधन एक ही दिन मनाया जाएगा कोई विवाद नहीं है |
ईस्वी सन् 2025 में 9 अगस्त को रक्षाबंधन पर्व एक ही दिन मनाया जाएगा उस समय वर्षा हो रही होगी |
जाने प्रेषक शरद चतुर्वेदी साहित्याचार्य श्रावण मासशुक्ल पक्ष पूर्णिमा से जुड़े हुए तथ्य विस्तारपूर्वक:-
1. इंद्र देवता और इंद्राणी की प्रार्थना पर देवताओं के गुरु बृहस्पति जी ने इंद्र को बांधा था रक्षा सूत्र |
2. धर्म के भाई राजा बलि को लक्ष्मी जी ने वाधा था रक्षा सूत्र |
3 आचार्य ब्राह्मण लोग अपने अपने शिष्यों के बांधते हैं रक्षा सूत्र |
4. शंकर जी की क्रोध दृष्टि उत्पन्न हुई भद्रा और देवताओं के लिए भद्रा ने दिलाया स्वर्ग का राज्य |
5. भगवान हयग्रीव का अवतार भी इसी पूर्णिमा को हुआ था |
6. संस्कृत दिवस इसी दिन मनाते हैं |
7. गायत्री जयंती |