आर्थिक कठिनाइयों और सामाजिक कठिनाइयों का सामना करती अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर मैत्री भवन में हुआ आयोजन
अंतरराष्ट्रीय विधवा महिला दिवस के अवसर पर श्री धाम वृंदावन के परिक्रमा मार्ग स्थित मैत्री भवन आश्रम में विधवा महिलाओं ने विधवा महिला दिवस मनाया।माताओं ने अपने हाथ में नारे लिखी हुई तख्तियां भी पकड़ रखी थी।इस अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस पर मैत्री आश्रम ने संकल्प लिया है कि ,हम इन बुजुर्ग विधवाओं को हर तरह से सहयोग देने की अपने प्रतिबद्धता दोहराएं,
चाहे भले ही उनकी उम्र कुछ भी हो और कहीं भी रहती हो किसी भी कानूनी प्रणाली के दायरे में आती हो।हम उनको हर कानून नियम से अवगत कराएं और उन्हें सुरक्षा प्रदान करें और सुरक्षा दिलाएं।मैत्री आश्रम के संचालक समाज सेवक जनरल भूपेंद्र सिंह एवं बिन्नी सिंह के द्वारा विधवा माताओं की सेवा के लिए यह मैत्री आश्रम का संचालन किया जा रहा है।मैत्री भवन में रहने वाली गायत्री माता ने बताया कि आज पूरे भारत में लगभग 5 करोड़ विधवाएं निवास करती है।जिनमे लगभग 15000 विधवा महिलाएं मथुरा जिले में निवास कर रही हैं। आज भी ज्यादातर विधवा महिलाएं आपको भीख मांगती हुई दिख जाएंगी। सरकार द्वारा विधवा पेंशन, वृद्ध आश्रम, विधवा घर जैसी तमाम योजनाएं चलाई जा रही है लेकिन पूरी तरह से उनका लाभ इन विधवा महिलाओं को नहीं मिल पा रहा है। जिसका कारण विभाग में काम करने वाले अधिकारियों की उदासीनता है।आज भी वृंदावन में रहने वाली सभी माताओं को विधवा पेंशन पूरी तरह नहीं बन पाई है।पति के मरने के बाद यह महिलाएं किस तरह अपना जीवन यापन करती हैं गुमनामी के अंधेरों में एक-एक दिन किस तरह से काटती है इसका अनुमान कोई भी नहीं लगा सकता।कार्यक्रम में उपस्थित वृंदावन के नोडल ऑफिसर साजिद बेग ने कहा कि यह माताएं घर परिवार से बहुत ही दूर है इनको प्यार की आवश्यकता है।हमारे द्वारा इनको हर प्रकार की मेडिकल सुविधा प्रदान की जाती है।साथ ही यह भी कोशिश रहती है कि हर हाल में खुश रहें।मैत्री भवन के व्यवस्थापक महेश सिंह ने बताया कि उन्होंने अपना जीवन इन माताओं की सेवा के लिए समर्पित कर दिया है।वे उनको अपनी माता के रूप में ही सम्मान देते हैं एवं उनकी सभी इच्छाओं को पूरा करने की कोशिश करते हैं।श्री धाम वृंदावन में जनरल भूपेंद्र सिंह एवं बिन्नी सिंह के द्वारा यह मैत्री घर इन विधवा माताओं के लिए स्वर्ग से कम नहीं है।यहां सभी माताएं एक दूसरे पर अपने दुख सुख बांटकर अपने मन को हल्का कर लेती हैं।
