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Tuesday, September 17, 2024

जाने कैसे मध्‍य प्रदेश के एक छोटे से गांव की एक लड़की करती है मोटर मैकेनिक का कार्य?

जाने कैसे मध्‍य प्रदेश के एक छोटे से गांव की एक लड़की करती है मोटर मैकेनिक का कार्य?

कैसे मध्‍य प्रदेश के एक छोटे से गांव की एक लड़की करती है मोटर मैकेनिक का कार्य: AbhiNews की इस स्टार्टअप श्रंखला में जाने कहानी गांव में मोटर मैकेनिक का काम करने वाली इंद्रावती की |

कैसे मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव की एक लड़की करती है मोटर मैकेनिक का कार्य
कैसे मध्‍य प्रदेश के एक छोटे से गांव की एक लड़की करती है मोटर मैकेनिक का कार्य

इंद्रावती के भाई को मशीनों से प्‍यार था इसलिए भाई की बहुत करीबी बहन इंद्रावती को भी मशीनों से प्‍यार हो गया और जब एक रोड एक्‍सीडेंट में उनके भाई की मौत हो गई तो उनके द्वारा भाई के शौक को अपना प्रोफेशन बनाने की ठानी गई |आज वो अपने गाँव की एक  ट्रेंड मैकेनिक हैं |

जाने सम्पूर्ण कहानी कैसे मध्‍य प्रदेश के एक छोटे से गांव की एक लड़की करती है मोटर मैकेनिक का कार्य विस्तारपूर्वक:

मोटर, गाड़ी बाइक, मैकेनिक आदि शब्‍द सुनते ही हम सबके मन में सहज ही किसी पुरुष का ख्‍याल आ जाता है |मोटर मैकेनिक इ रूप में अभीतक हर पुरुष को ही हम सबने कार्य करते देखा है लेकिन कितनी बार आप या हम में से किसी की गाड़ी कोई महिला मोटर मैकेनिक द्वारा ठीक की गई है | ये कोई ऐसी आम बात नहीं है जो हर व्यक्ति को रोजमर्रा की जिंदगी में दिखाई और सुनाई देती हो |

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लेकिन 26 वर्ष की इंद्रावती मध्य प्रदेश के गांव में रहती हैं |उनके माता-पिता मजदूरी करते हैं | वो खुद एक साइंस ग्रेजुएट हैं और मोटर मैकेनिक के तौर पर अपना खुद का कार्य करती हैं |   

इंद्रावती का जन्‍म मध्‍यप्रदेश के मंडला जिले के एक छोटे से गांव वरकाडे का है | माता-पिता मजदूरी करते थे और घर में एक बड़ा भाई था जिसके साथ इंद्रावती का बहुत ही ज्यादा गहरा लगाव था |भाई को बाइक और मशीनों से बहुत ज्यादा प्‍यार और लगाव था |समय के साथ अपने भाई की देखा-देखी इंद्रावती द्वारा भी इन मशीनों से एक रिश्‍ता जुड़ गया था |

भाई की देखादेखी वो भी मशीनों से करने लगी थी बाते

उनका भाई पेशेवर रूप से मोटर मैकेनिक नहीं था लेकिन मशीनों से बाते जरुर करता था और उनकी जुबान समझता भी था | अपना ज्यादा समय अपने भाई के साथ बिताने वाली इंद्रावती भी भाई की तरह धीरे-धीरे मशीनों से बात करने लग गई थी | गाड़ी से जुड़े हरएक कलपुर्जे के कार्य और जरूरत को समझने लगी थी लेकिन उसकी समझ अभी इतनी ज्यादा गहरी भी नही थी कि रिंच, पाना और दूसरे औजार लेकर खराब गाड़ी को ठीक कर सके | मशीनें इंद्रावती को बहुत पसंद थीं पर ये उसके द्वारा कभी नही सोचा गया होगा कि भविष्य में कभी इन मशीनों को ठीक करना ही उसका प्रोफेशन भी बन सकता है |

 

भाई की मौत और परिवार से जुड़ी सम्पूर्ण जिम्‍मेदारी

जाने कैसे मध्‍य प्रदेश के एक छोटे से गांव की एक लड़की करती है मोटर मैकेनिक का कार्य — एक रोड एक्‍सीडेंट में इंद्रावती के भाई का निधन हो गया |परिवार पहले से बहुत गरीब था |माता-पिता दोनों ही मजदूर थे | भाई द्वारा पूरे परिवार की जिम्‍मेदारी संभाली गई हुई थी | अब अचानक भाई के चले जाने के बाद परिवार की सम्पूर्ण जिम्‍मेदारी अचानक से इंद्रावती के नाजुक कंधों पर आ गई |

इस जिम्‍मेदारी को अच्छी तरह से निभाने के लिए इंद्रावती ने अपने भाई के पैशन को अपना प्रोफेशन बनाने का निर्णय लिया हालांकि खुद को इस सदमे से उबारने और फिर से खड़ा करने में उसे पूरे 3 वर्ष लग गये |

जब भाई की मौत हुई तब इंद्रावती अपनी पढ़ाई करने में लगी हुई थीं | वो अपने गांव की एक मात्र अकेली लड़की हैं जिनके द्वारा साइंस ग्रेजुएट किया गया है |वर्ष  2018 में इंद्रावती द्वारा भोपाल की भोज ओपन यूनिवर्सिटी से केमिस्‍ट्री, जूलॉजी और बॉटनी विषय लेकर बीएससी की परीक्षा उतीर्ण की गई जिसमे उसे सबसे ज्‍यादा अंक बॉटनी में प्राप्त हुए कुल 690 में से 366.

 

जब एक एनजीओ द्वारा उनको बढ़ाया मदद का हाथ

इंद्रावती मशीनों से सम्बन्धित अच्छी जानकारी रखती थी और विज्ञान से जुड़ी डिग्री भी हासिल कर चुकी थी लेकिन‍ फिर भी अभी वो इतनी काबिल नहीं थी कि मोटर मैकेनिक के कार्य में हाथ आजमा सके | उसके लिए तो उसे अभी भीपूर्ण ट्रेनिंग की जरूरत थी |ऐसे में उसकी जान-पहचान एक ऐसे एनजीओ ‘प्रदान’ से हुई जिसने इंद्रावती की जिंदगी बदल दी | एनजीओ ‘प्रदान’ गांव के अंडर प्रिविलेज्‍ड युवाओं को उनकी रुचि और काबिलियत के अनुरूप

कई विभिन्न प्रकार की स्किल ट्रेनिंग देता है|इसके लिए उनका खुद का एक युवा शस्‍त्र प्रोग्राम है जिसके अंतर्गत युवाओं को प्रशिक्षित किया जाता है |

मशीनों में इंद्रावती की रुचि, झुकाव, समझ को देखते हुए  एनजीओ ‘प्रदान’ द्वारा ही उन्हें मोटर मैकेनिक से जुड़ी ट्रेनिंग देने का फैसला किया गया |

 

पहली ट्रेनिंग और नौकरी की कहानी

एनजीओ ‘प्रदान’ द्वारा इंद्रावती को पूरे छह महीने तक मोटर मैकेनिक कार्य सम्बन्धी ट्रेनिंग दिलवाई गई | ट्रेनिंग के बाद उनकी पहली नौकरी जबलपुर के एक टू व्‍हीलर के शोरूम में बतौर बाइक मैकेनिक के तौर पर लगी जहाँ उनकी तंख्‍वाह 8000 रु. थी |पैंट और टीशर्ट में औसत कद-काठी और गोल चेहरे वाली ये लड़की दनादन अपने रिंच, पाने और हथौड़े से बाइक का पुर्जा-पुर्जा अलग करके उतनी ही तेजी से उसे जोड़ भी देती थी |

 

इस देश में एक लड़की के लिए मोटर मैकेनिक के तौर पर कार्य करना

एक मोटर मैकेनिक के तौर पर कार्य करने के लिए पिता और समाज से लड़ाई का जो मोर्चा इंद्रावती अकेले नहीं संभाल सकती थीं उसे उनकी मां द्वारा संभाल लिया गया |शुरू-शुरू में आसपास के लोग भी यहीं ताने देते थे कि लड़की ना जाने कौन सा मर्दाना कार्य रही है |वक्त के साथ धीरे-धीरे सबका मुंह बंद हो गया |

 

इंद्रावती का अपनी वर्कशॉप खोलने का है लक्ष्य

इंद्रावती का लक्ष्य और जीवन की उड़ान यहाँ तक ना रूककर अपनी खुद की एक वर्कशॉप खोलने की है जिससे वो खुद आसपास की और तमाम लड़कियों को मैकेनिक बनने की ट्रेनिंग दे सके |वो इस रूढ़िवादी समाज को दिखाना चाहती है कि अब लडकियां भी वो सभी कार्य कर सकती है जिन्हें इस समाज द्वारा मर्दों का कार्य ही समझा जाता है |

हमे आशा है आपको हमारी ये “कैसे मध्‍य प्रदेश के एक छोटे से गांव की एक लड़की करती है मोटर मैकेनिक का कार्य” आधारित स्टार्टअप स्टोरी अवश्य पसंद आएँगी |

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