30.3 C
Mathura
Wednesday, March 12, 2025

श्रीमद्भागवत गीता में सभी वैदिक ग्रंथों का सारः आचार्य करपात्री द्विवेदी

श्रीमद्भागवत गीता में सभी वैदिक ग्रंथों का सारः आचार्य करपात्री द्विवेदी

जीएल बजाज में पूजा-अर्चना के बीच श्रद्धाभाव से मनी गीता जयंती बुधवार को गीता जयंती के पावन अवसर पर जीएल बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस मथुरा में लीलाधर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना के बाद आचार्य करपात्री द्विवेदी और आचार्य गौरव दीक्षित ने छात्र-छात्राओं को श्रीमद्भागवत गीता के महात्म्य की विस्तार से जानकारी दी विद्वतजनों ने कहा कि हिन्दू धर्म को समझने के लिए जीवन में कम से कम एक बार श्रीमद्भागवत गीता अवश्य पढ़नी चाहिए क्योंकि इसमें सभी ग्रंथों का सार है।श्रीमद्भागवत गीता के महात्म्य की जानकारी देने से पहले आचार्य करपात्री द्विवेदी, आचार्य गौरव दीक्षित, संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी तथा छात्र-छात्राओं ने गीता पाठ किया आचार्य करपात्री द्विवेदी ने प्राध्यापकों, छात्र-छात्राओं तथा अन्य कर्मचारियों को बताया कि गीता में मानव जीवन से जुड़ी सभी समस्याओं को बहुत ही सरल भाषा में समझाया गया है सच कहें तो गीता में सभी वैदिक ग्रंथों का सार मौजूद है महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो जीवन का सार बताया था, वही श्रीमद्भागवत गीता है।उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण द्वारा दिए गए गीता के उपदेश आज के समय में भी लोगों को अपने जीवन में गहरे अवसाद से छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं, इसीलिए हिन्दुओं के साथ ही अन्य धर्मों के लोग भी गीता को जीवन का अमूल्य ग्रंथ मानते हैं। दरअसल, श्रीमद्भागवत गीता के उपदेश सभी को धार्मिकता, नैतिकता और जीवन के मूल सिद्धांतों से अवगत कराते हैं गीता में श्रीकृष्ण ने जीवन के कई रहस्यों से पर्दा उठाया है उन्होंने न केवल गीता के माध्यम से धर्म के विषय में बताया है बल्कि ज्ञान, बुद्धि, जीवन में सफलता इत्यादि के विषय में भी मनुष्य को अवगत कराया है।भगवान श्रीकृष्ण गीता में बताते हैं कि धरती पर हर एक मनुष्य को अपने कर्मों के अनुरूप ही फल प्राप्त होता है। इसलिए उन्हें केवल अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिए और फल की चिन्ता नहीं करनी चाहिए। जो व्यक्ति अच्छे कर्मों में लिप्त रहता है, भगवान उसे वैसा ही फल प्रदान करते हैं। साथ ही जिसे बुरे कर्मों में आनंद आता है, उसे उसी प्रकार का जीवन दंड के रूप में भोगना पड़ता है।गीता में बताया गया है कि मनुष्य की इन्द्रियां बहुत चंचल होती हैं वह आसानी से गलत आदतों को अपना लेती हैं, इसी वजह से व्यक्ति को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है जीवन को सुखमय बनाना है तो हमें इन्द्रियों खासकर अपने चित्त अर्थात मन पर विशेष नियंत्रण रखना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि चंचल मन के कारण कई प्रकार के बुरे कर्मों में लिप्त होने का खतरा बढ़ जाता है संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने कहा कि श्रीकृष्ण ने धनुर्धर अर्जुन को महाभारत की युद्धभूमि में बताया था कि व्यक्ति के लिए क्रोध विष के समान है। वह न केवल शत्रुओं की संख्या बढ़ाता है बल्कि इससे मानसिक तनाव में भी वृद्धि होती है इसके साथ गीता में बताया गया है कि क्रोध से भ्रम की स्थिति भी उत्पन्न होती है, जिससे चिंतन शक्ति पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए अपने क्रोध पर काबू रखना ही व्यक्ति के लिए सबसे अच्छा उपाय है श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करते आचार्य करपात्री द्विवेदी, आचार्य गौरव दीक्षित तथा छात्र-छात्राएं

Latest Posts

प्रशासन की कार्रवाई और कॉलोनाइजर की मनमानी के बीच फंसे आम लोगों

Common people are stuck between the administration's action and the colonizer's arbitrariness बरेली नगर पालिका परिषद फरीदपुर की एक कॉलोनी का नक्शा नगर पालिका...

स्वयं सेवकों ने दिखाया अनुशासन व दक्षता का कौशल

Volunteers showed their skills of discipline and efficiency राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ शताब्दी वर्ष पूर्ण करने जा रहा है। इस उपलक्ष्य में नगर के...

ब्लॉक मुख्यालय पर आयोजित हुआ होली मिलन समारोह

विकास खण्ड मोतीचक के प्रांगण में ब्लॉक प्रमुख अर्चना सिंह द्वारा आयोजित होली मिलन समारोह में सांस्कृतिक एवं रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए कार्यक्रम...

पुलिस ने बरामद किया 315 बोर का तमंचा और जिंदा कारतूस

बरेली पुलिस की सक्रियता और सतर्कता से एक बार फिर सामने आई जब थाना फरीदपुर पुलिस ने एक महत्वपूर्ण कार्रवाई करते हुए अवैध हथियार...

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया

बरेली अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर थाना आँवला क्षेत्र में पुलिस अधीक्षक दक्षिणी अंशिका वर्मा के नेतृत्व में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया...

Related Articles