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Monday, September 30, 2024

के.डी. हॉस्पिटल में हुई युवक की फटी छाती की मुश्किल सर्जरी
चिकित्सकों ने बचाई क्रेशर की चपेट में आए मरणासन्न युवक की जान
मथुरा।

के.डी. हॉस्पिटल में हुई युवक की फटी छाती की मुश्किल सर्जरी
चिकित्सकों ने बचाई क्रेशर की चपेट में आए मरणासन्न युवक की जान
मथुरा।

मथुरा अभी न्यूज़ (गौरव चतुर्वेदी) जिन्दगी और मौत तो ईश्वर के हाथ होती है लेकिन 22 दिसम्बर को सुबह लगभग साढ़े आठ बजे मरणासन्न स्थिति में इमरजेंसी में आए एक 22 साल के युवा के लिए के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के चिकित्सकों की टीम भगवान साबित हुई। बेहोशी की हालत में फटी छाती और बाहर निकले फेफड़े को देखकर कोई नहीं कह रहा था कि वह बचेगा लेकिन विभागाध्यक्ष इमरजेंसी डॉ. ए.पी. भल्ला और डॉ. प्रतिश्रुति की सूझबूझ से उसे तुरंत ऑपरेशन थिएटर ले जाया गया उसके बाद कार्डियोथोरेसिक एण्ड वैस्कुलर सर्जन डॉ. वरुण सिसोदिया तथा उनकी टीम के अथक प्रयासों से उसकी जान बचाने में सफलता मिली। अब युवक खतरे से बाहर है। ज्ञातव्य है कि 22 दिसम्बर को एक युवक क्रेशर मशीन में काम करते समय दुर्घटनाग्रस्त हो गया। उसका दायां हाथ और छाती का हिस्सा क्रेशर मशीन की चपेट में आने से पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। छाती फटने से उसका फेफड़ा बाहर आ गया था। परिजन उसे लहूलुहान बेहोशी की हालत में के.डी. हॉस्पिटल लाए। उस समय इमरजेंसी सेवा में मुस्तैद डॉ. ए.पी. भल्ला और डॉ. प्रतिश्रुति (एपी) ने बिना विलम्ब किए मरीज को ऑपरेशन थिएटर पहुंचाया। उसके बाद कार्डियोथोरेसिक एण्ड वैस्कुलर सर्जन डॉ. वरुण सिसोदिया की अगुआई में डॉ. मुकुंद मूंदड़ा, डॉ. अर्पण मौर्य, डॉ. यतीश शर्मा, डॉ. आशीष माधवन, हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. विक्रम शर्मा, डॉ. विवेक चांडक, डॉ. रामप्रकाश तथा टेक्नीशियन राजवीर व योगेश के सहयोग से मुश्किल ऑपरेशन कर युवक की जान बचाई गई। यह ऑपरेशन लगभग चार घण्टे चला। अब युवक खतरे से बाहर है। उसके परिजन के.डी. हॉस्पिटल के चिकित्सकों का आभार मान रहे हैं। इस मुश्किल ऑपरेशन को लेकर कार्डियोथोरेसिक एण्ड वैस्कुलर सर्जन डॉ. वरुण सिसोदिया का कहना है कि युवक जिस स्थिति में लाया गया था, उसे देखते हुए ऑपरेशन में काफी रिस्क था लेकिन उसकी जान बचाने की हम लोगों ने कोशिश की और वह सफल रही। डॉ. सिसोदिया मानते हैं कि यह एक जटिल और चुनौतीपूर्ण सर्जरी थी जिसमें जीवन बचाने के लिए कई मोर्चों पर एक साथ काम करना था। मसलन, फेफड़ा फटने के कारण ऑक्सीजन नियंत्रित कर पाना मुश्किल था। हम कह सकते हैं कि ऑपरेशन जितना जटिल था उतनी ही बड़ी चुनौती भी थी। डॉ. सिसोदिया का कहना है कि के.डी. हॉस्पिटल में चूंकि हर तरह की सुविधा और हर तरह की बीमारी के विशेषज्ञ चिकित्सक हैं, इसलिए उपचार में किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती। यहां के सर्वसुविधायुक्त ऑपरेशन थिएटर, विशेषज्ञ सर्जन तथा कुशल टेक्नीशियन होने से हर तरह की फटी नसों तथा फेफड़े आदि की सर्जरी आसानी से सम्भव है।

के.डी. हॉस्पिटल में हुई युवक की फटी छाती की मुश्किल सर्जरी
चिकित्सकों ने बचाई क्रेशर की चपेट में आए मरणासन्न युवक की जान
मथुरा।
के.डी. हॉस्पिटल में हुई युवक की फटी छाती की मुश्किल सर्जरी
चिकित्सकों ने बचाई क्रेशर की चपेट में आए मरणासन्न युवक की जान
मथुरा।

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