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Friday, September 20, 2024

ब्रज क्षेत्र में चल रही इलेक्ट्रॉनिक बस सेवाओं के प्रशासन की मनमानी से यात्री और स्थानीय लोग हैं परेशान

ब्रज क्षेत्र में चल रही इलेक्ट्रॉनिक बस सेवाओं के प्रशासन की मनमानी से यात्री और स्थानीय लोग हैं परेशान

ब्रज क्षेत्र में चल रही इलेक्ट्रॉनिक बस सेवाओं के प्रशासन की मनमानी से यात्री और स्थानीय लोग हैं परेशान: पूरी रिपोर्ट जाने विस्तार से AbhiNews के इस ख़ास लेख से |

ब्रज क्षेत्र में चल रही इलेक्ट्रॉनिक बस सेवाओं के प्रशासन की मनमानी से यात्री और स्थानीय लोग हैं परेशान
ब्रज क्षेत्र में चल रही इलेक्ट्रॉनिक बस सेवाओं के प्रशासन की मनमानी से यात्री और स्थानीय लोग हैं परेशान

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ योगी जी के द्वारा मथुरा वृंदावन क्षेत्र को तीर्थ स्थल घोषित किया गया |साथ ही स्थानीय निवासी और बाहर से आने वाली यात्री और श्रद्धालुओं को इलेक्ट्रॉनिक ए.सी. बस की सुविधा देकर ब्रज क्षेत्र के पर्यावरण को वायु प्रदूषण से सुरक्षित करने का प्रयास भी किया गया।

लेकिन कुछ बस कंडक्टर,बस चालक और बस संचालन गतिविधि से जुड़े अन्य प्रबंधकों और पर्यवेक्षकों के द्वारा उत्तर प्रदेश के अच्छे कार्य पर कालिख पोतने का कार्य बखूबी तरीके से किया जा रहा है।

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चलिए बिंदु बार तरीके से समझने की कोशिश करते हैं कि किस प्रकार “ब्रज क्षेत्र में चल रही इलेक्ट्रॉनिक बस सेवाओं के प्रशासन की मनमानी से यात्री और स्थानीय लोग हैं परेशान”:-

इन कुछ नीचे दिए गये तरीको द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार के माध्यम से ब्रज क्षेत्र को दी गई सुविधा की धज्जियां उड़ा रहे हैं लेक्ट्रॉनिक बस संचालन प्रबंधन से जुड़े कुछ लोग।

# टिकट के पैसे लेकर भी टिकट ना देना |

# कम दूरी की टिकट बना कर अधिक दूरी तक यात्री से अनाधिकृत तरीके से यात्रा करवा कर अवैध वसूली करना।

#बस रोकने हेतु बने नियत स्थान पर बस को ना रोकना |

#मनमाने तरीके से बस का ए.सी. बंद करना |

#साधारण कपड़े पहने वृद्ध व बुजुर्गों के साथ अभद्रता से पेश आना |

#संक्रमण के दौर में बीमारियों को बढ़ावा देने से जुड़ी बड़ी जोखिम भरी गलती करना |

#चोर चोर मौसेरे भाई वाली मानसिक विचारधारा के साथ कार्य करना |

#किलो.मीटर की ड्यूटी पूरी करने की दौड़ में इंतजार करता यात्री |

“काश मै! कैमरा और वीडियो फुटेज के साथ आपको स्थानीय लोगों और यात्रियों के साथ हो रही इस प्रकार की अपबीती को वीडियो के माध्यम से दिखा पाता!”

ये सभी शब्द मेरे साथ-साथ उन लोगों के भी हैं जो अपने पास स्मार्टफोन नहीं रखते हैं या कहें सामान्य जीवन में फोन ही नहीं चलाना जानते हैं लेकिन मुझे पूरा भरोसा है कि एक लेखक की कलम कैमरे और स्मार्टफोन से भी एक कदम बढ़ कर अपना काम करती है और आप पर भी पूरा भरोसा है कि आप इस लेखनी के माध्यम से संपूर्ण समस्या को समझने का प्रयास करेंगे |

चलिए तो फिर सिलसिलेवार तरीके से समझने का प्रयास करते हैं “ब्रज क्षेत्र में चल रही इलेक्ट्रॉनिक बस सेवाओं के प्रशासन की मनमानी से यात्री और स्थानीय लोग हैं परेशान”:-

#टिकट लेकर पैसे ना देने की घटना को बस कंडक्टर के द्वारा जब अंजाम दिया जाता है जब वह यह भाप लेता है कि बस में यात्रा करने वाला व्यक्ति अशिक्षित प्रकृति का है या फिर बाहर से आया श्रद्धालु है मौके की आड़ देखकर मनमाने पैसे लेकर यात्री को बिना टिकट दिए अवैध रूप से बस कंडक्टर उनके द्वारा वसूली की जाती है यह घटना मैंने कई बार अपनी आंखों से बस में यात्रा के दौरान देखी है |यदि इलेक्ट्रॉनिक बसों में लगे कैमरों के साथ काटी गई टिकटों का मिलान या अंकेक्षण किया जाएगा तो तो स्वत: ही कंडक्टरो के द्वारा की जा रही इस मनमानी का जवाब प्रशासन को मिल जाएगा।

#दूसरा बिंदु उपरी बिंदु से मिलान खाता है यदि कंडक्टर को लगता है कि बीच में चेकिंग करने वाले टी.आई. (टिकट इंस्पेक्टर)खड़े होंगे तो वह कम दूरी की टिकट काटकर उनको चकमा देकर इस अवैध वसूली को अंजाम देता है।

#साथ ही बस में युवा स्त्री और नवयुवक लड़कियों के बैठ जाने पर कंडक्टर और ड्राइवरों के मिजाज धूम-2 की पिक्चर की तरह हो जाते हैं और स्टाइल में गाड़ी तो चलाते ही हैं |साथ ही साधारण से दिखने वाले युवाओं और वृद्ध के साथ बदतमीजी और परिहास परिभाषा के साथ पेश आते हैं। वह ऐसा बस में सफर कर रही युवा लड़कियों और विद्यार्थियों पर अपना प्रभाव जमाने के लिए करते हैं जिसके चलते कई बार यह देखा गया है कि उनको जल्दी घर पहुंचाने के समर्थन को दिखाते हुए बस स्टॉप के लिए नियत किए गए स्थान पर भी बस को नहीं रोका जाता है |

चालाक कंडक्टर और बस चालकों के पास इसके लिए एक तर्कपूर्ण जवाब भी रहता है वह जवाब यह है कि

“बस में सवारी या फुल हैं तो इसे स्टॉपेज पर कैसे रोके” जबकि मैंने खुद कई बार ऐसा देखा है कि बस में सीट खाली होती हैं फिर भी नियत रुकने के स्थान (बस स्टॉप) पर हाथ दे रहे यात्रियों का मजाक उड़ाते हुए बस को तेज स्पीड में ले जाया जाता है।

#मनमाने तरीके से एसी बंद करने का कार्य भी बस कंडक्टर और चालकों के द्वारा किया जाता है |बस का एसी बंद करने से कंडक्टर और बस चालक को क्या फायदा होगा यह बाद में समझते हैं |पहले यह समझते हैं कि वह ऐसा करते क्यों हैं?जब कुछ लोगों के द्वारा उनके टिकट ना दिए जाने की बात या उनके अवैध वसूली की बात का विरोध किया जाता है तो बस कंडक्टर और बस चालक मनमाने तरीके से बस का ए.सी. बंद करके लोगों को परेशान करने का कार्य करना शुरू कर देते हैं और इसका जवाब भी उन चालक बस कंडक्टर और ड्राइवरों के पास होता है वह कहते हैं।

 “तकनीकी खराबी के कारण ऐसी बंद है”

 जिसके कारण घुटन भरी गर्मी में यात्रियों को यात्रा करने और इन बस कंडक्टर और चालकों के द्वारा शोषित होने के अलावा कोई चारा नहीं रहता है इस ए.सी. बंद करने की घटना से बस की कुछ बैटरी बच जाती है जिससे कि ड्राइवर अपने किलोमीटर और ज्यादा पूरे कर सकता है क्योंकि बैटरी ऐ.सी. चलने से जल्दी खर्च होगी और बस चालक कम किलोमीटर ही तय कर पाएगा और उसको चार्ज कराने के लिए उसे डिपो जाना होगा।

#किलोमीटर के चक्कर को भी आगे समझेंगे पहले साधु संतों की अपमान की कहानी भी समझ लेते हैं। भगवा रंग में रंगी इन एसी बसों में साधु-संतों और गरीब लोगों के साथ किस तरीके का हीन भरा अमानवीय व्यवहार किया जाता है |

समझे किसी गरीब साधारण और वृद्ध व्यक्ति का महिला आकर्षण के लिए मजाक भी बनाना पड़े तो ये कंडक्टर बाज नहीं आते सीधे-साधे साधु संतों का मजाक उड़ाना इनके लिए आम बात है

“बाबा आप ए.सी. बस में जाकर क्या करेंगे आप तो सन्यासी हैं पैदल ही वृंदावन पहुंच जाओ “

जैसे वाक्यों का प्रयोग करते हुए इन कंडक्टर को मैंने कई बार करते देखा है।

#अब अगले बिंदु के बारे में चर्चा करते हैं। बीमारियों को बढ़ावा देने वाली बड़ी भूल। बस चालक और कंडक्टर अधिकांशत यात्रियों के संपर्क में रहते हैं जिससे उनके संक्रमित होने का खतरा काफी बढ़ जाता है |

कोरोना के बाद मंकी-पॉक्स जैसे खतरनाक वायरसो के डर और हमले से बचाव के लिए राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं लेकिन कंडक्टर और बस चालकों के द्वारा ना तो मस्क पहना जाता है और ना ही किसी भी प्रकार के संक्रमण बचाव तरीकों का उपयोग किया जाता है |

साथ ही जब बस डिपो में चार्ज होने जाती है तो एक फॉर्मेलिटी के तौर पर शराब ना पिए होने वाले टेस्ट को करने के लिए 1 ट्यूब में प्रत्येक संचालक और बस कंडक्टर के द्वारा फूंक मारी जाती है लेकिन उस मूर्ख मैनेजमेंट की गलती तो देखो कि वह फूक मारे जाने वाली नली को ही नहीं बदला जाता जिसके चलते प्रत्येक बस कंडक्टर और चालक के मुंह द्वारा झूठे किए गए उस ट्यूब को एक दूसरे के मुंह में डाला जाता है |

यह संक्रमण और तमाम अन्य बीमारियों के खतरों को न्योता देता है लेकिन कंडक्टर और बस चालक बिचारे करें भी तो क्या !! वो तो अपना सारा दिमाग आम जनता के साथ दादागिरी और नेतागिरी में ही निकाल देते हैं।

#अगला बिंदु बहुत ही मजेदार है और प्रशासन की इस व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगाने वाला है |चोर चोर मौसेरे भाई आखिरकार कंडक्टर और बस चालकों के हौसले इतने बुलंद और मनमाने क्यों दिखाई देते हैं?

इसके पीछे का राज जानने की कोशिश करते हैं दरअसल कई बार कुछ बस कंडक्टर और संचालकों के द्वारा जनता को अपना दर्द बताते हुए ये बताया जाता है कि उनसे इस नौकरी के एवज में एक या दो लाख रिश्वत ली गई है |रिश्वत नगद में दिए जाने के कारण उनके पास कुछ साक्ष्य भी नहीं है।

हम इस रिश्वत लेने की बात की पुष्टि नहीं करते पर बस कंडक्टर द्वारा जनता बीच यह जानकारी जरूर फैलाई जा रही है |साथ ही कुछ सीधे-साधे कंडक्टर और बस चालक अपने काम को ईमानदारी से भी करते हैं और लोगों के साथ अच्छे व्यवहार करते हैं लेकिन कुछ बस कंडक्टर और चालक आम जनता के साथ इस प्रकार की खींज के साथ कार्य करते हैं जैसे वास्तव में उनसे एक दो लाख की धनराशि लेकर नौकरी दी गई हो और अब उसका खामियाजा आम जनता को अवैध रूप से वसूली देकर चुकाना होगा।

आशा करते हैं इस लेख को पढ़ने वाले प्रत्येक जनप्रतिनिधि और अधिकारी को सरल भाषा में बताई गई इस समस्या को समझ कर इसका निस्तारण करने का प्रयास करेंगे। अधिकारियों को प्रशासनिक स्तर पर प्रबंध अंकेक्षण के साथ-साथ वित्तीय अंकेक्षणों को इलेक्ट्रॉनिक बस में लग रहे इलेक्ट्रॉनिक फुटेज के साथ मिलाकर देखना चाहिए और साथ ही कंडक्टरओं के द्वारा दी गई इस रिश्वत की सूचना में  यदि 1% भी सत्यता है तो इस रिश्वतखोरी की भर्ती पर भी लगाम लगाई जानी चाहिए।

जिस तरह से बस कंडक्टरो के द्वारा किलोमीटर के भुगतान लक्ष्य को पूरा करने के लिए मनमानी तरीके से बसों को चलाया जा रहा है उस पर भी कड़ी कार्यवाही करके समय सारणी को दुरुस्त करना चाहिए |

उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा बसों की संख्या अधिकतम इसलिए रखी गई है कि एक निश्चित समय अंतराल के पश्चात स्थानीय नागरिक और पर्यटकों को बस सुविधा मिल सके लेकिन इस बस सुविधा को समय सारणी के आधार पर ना चला कर बस चालक द्वारा किलोमीटर पूरा करने के लिए किया जाता है जिसके चलते तीन-तीन बसों को लगातार एक साथ मथुरा वृंदावन मार्ग पर चलाते हैं और बस चालक अपने किलोमीटर और ड्यूटी को पूरा कर कर चले जाते हैं और सवारियों को फिर घंटों बसों का इंतजार करना पड़ता है |

इस अनियमितता पर कब लगाम लगेगी और आम जनता को इन बसों के चक्कर से कैसे राहत मिलेगी यह आने वाला समय ही बताएगा |

रिपोर्ट: तरुण शर्मा

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