संस्कृति एग्री क्लीनिक से प्रशिक्षित छात्रों को बैंकें देंगी वित्तीय सहायता
विश्वविद्यालय में नाबार्ड के सहयोग से हुई कार्यशाला
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय द्वारा नाबार्ड के सहयोग से बैंकर्स की एग्रीक्लीनिक एवं एग्री बिजनेस(एसीएबीसी) प्रोजेक्ट के लिए फंडिंग संबंधी वर्कशाप का आयोजन विवि के सेमिनार हाल में किया गया। इस महत्वपूर्ण वर्कशाप में संस्कृति एग्री क्लीनिक से प्रशिक्षण प्राप्त विद्यार्थियों को उनके स्वयं के उद्यम खड़े करने के लिए सरकारी आर्थिक सहयोग के बारे में विस्तार से चर्चा की गई। लगभग 26 बैंकों से आए वरिष्ठ अधिकारियों ने सरकारी सहायता के लिए विद्यार्थियों द्वारा अपनायी जाने वाली प्रक्रिया को विस्तार से बताया।
एसीएबीसी प्रोजेक्ट के नोडल अधिकारी डा. रजनीश त्यागी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि कृषि मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन मैनेज (राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान) द्वारा शुरू हुए प्रायोजित 45 दिवसीय नि:शुल्क आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य कृषि क्षेत्र में महत्वाकांक्षी उद्यमियों को व्यापक प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करना है। इसके माध्यम से छात्र, किसान सरकारी सहायता से स्वयं उद्यमी बनने का सपना पूरा कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण प्राप्त विद्यार्थियों के लिए उद्यमी बनने का एक सुनहरा अवसर है और उन्हें इस अवसर का भरपूर लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारा विश्वविद्यालय हमारे छात्रों के बीच एक उद्यमशीलता की मानसिकता को बढ़ावा देने और उन्हें कृषि क्षेत्र में सफल होने के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रतिभागियों को ज्ञान और उपकरणों से लैस करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसकी उन्हें आवश्यकता है। हम मानते हैं कि उनकी उद्यमशीलता की भावना का पोषण करके, हम नवाचार चला सकते हैं और कृषि उद्योग के विकास में योगदान कर सकते हैं।
संस्कृति इंक्युबेशन एंड स्टार्टअप कार्यक्रम के सीईओ डा. अरुन त्यागी ने कृषि क्षेत्र में उपलब्ध कई स्वरोजगार के अवसरों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कृषि प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के महत्व पर प्रकाश डाला और प्रतिभागियों को विभिन्न विकसित तरीकों के बारे में बताया जो इस प्रक्रिया को सुविधाजनक बना सकते हैं। उन्होंने कृषि क्षेत्र में सफल उद्यमिता के लिए आवश्यक गुणों पर भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने दृढ़ता, अनुकूलन क्षमता और बाजार की गतिशीलता की गहरी समझ के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कृषि-व्यवसाय में हमारे देश में वृद्धि और विकास की अपार संभावनाएं हैं। संस्कृति विवि के डाइरेक्टर जनरल डा. जेपी शर्मा ने कृषि उद्यमिता को बढ़ावा देने और कृषि-व्यवसाय क्षेत्र का समर्थन करने में नाबार्ड (नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट) की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। डॉ. शर्मा ने कहा कि नाबार्ड देश भर में कृषि उद्यमियों को वित्तीय सहायता, मार्गदर्शन और प्रशिक्षण प्रदान करने में सबसे आगे रहा है। हमारे प्रतिभागी नाबार्ड और नवोन्मेषी व्यवसाय मॉडल विकसित करें जो कृषि अर्थव्यवस्था का उत्थान कर सकें। कार्यशाला में नाबार्ड के डीडीएम मनोज कुमार, एलडीएम ताराचंद चावला ने सरकार के द्वारा दी जा रही इस वित्तीय सहायता के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।
वर्कशाप में स्टेट बैंक आफ इंडिया,एचडीएफसी बैंक, बैंक आफ बड़ौदा, बैंक आफ महाराष्ट्र, बैंक आफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक आदि 26 बैंकों के जिला समन्वयक मौजूद थे। बैंक अधिकारियों ने वर्कशाप में एग्रीक्लीनिक एवं एग्री बिजनेस(एसीएबीसी) प्रोजेक्ट के वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया और प्रयोग होने वाले फार्मों की विस्तार से जानकारी दी।