आज से 158 वर्ष पहले 13 साल में बनकर तैयार हुआ था बांकेबिहारी मंदिर,यहां आने वाले ज्यादातर भक्तों को नहीं पता है मंदिर का पूरा इतिहास
हमारे देश के लोग लोगों में भगवान के प्रति श्रद्धा कूट-कूट कर भरी हुई है | यहां के लोगों की अनेक भगवानों के प्रति अपनी अपनी श्रद्धा है | जैसे किसी की महाकाल के प्रति है तो किसी की श्री राम की प्रति, इन सभी के बाद इनके लिए हर तरीके से यानि तन मन धन से इन पर समर्पित होते हैं | इस कड़ी में जन-जन के आराध्य ठाकुर श्रीबांकेबिहारीजी महाराज के सेवायत आराध्य की सेवार्थ सर्वस्व समर्पण करने से पीछे नहीं रहते हैं | कई बार मंदिर पर आये संकटकाल में सेवायतों ने तन, मन और धन सहित शहादत तक दी है |
जी हाँ, तो आज हम बात करने जा रहे हैं श्री श्रीबांकेबिहारीजी महाराज के मंदिर के बारे में |दरअसल आपको बता दें कि आज से तकरीबन 158 वर्ष पहले इस मंदिर का निर्माण हुआ था | इस मंदिर को बनाने में 13 वर्ष का समय लग गया था और इसके साथ-साथ इस मंदिर में उस समय के लिए लागत लगभग 70 हजार से भी ज्यादा थी |
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सूत्रों के अनुसार बताया गया है की ब्रिटिश शासनकाल में फतेहपुर, मैनपुरी, बुलंदशहर एवं मथुरा के जिला कलेक्टर रहे फैड्रिक सेलमोन ग्राउस द्वारा एक लिखित पुस्तक ‘मथुरा: ए डिस्ट्रिक्ट मेमोयर’ में श्रीबांकेबिहारी मंदिर के इतिहास का उल्लेख किया है, जिसमे उन्होंने अपनी पुस्तक में लिखा है कि 1864 में बिहारीजी के तेज तर्रार पढ़े-लिखे विद्वान सेवायतों ने 70 हजार रुपयों में 13 वर्षों की मेहनत के बाद बिहारीजी का मौजूदा मंदिर को बनाया था |
दूसरी तरफ आपको बता दें कि आज श्री बांकेबिहारी जी के मंदिर में लाखों की संख्या में हर रोज लोग आते हैं, लाखों का ही चढ़ावा चढ़ाते हैं | परंतु आज भी ज्यादा कर लोगों को यह नहीं पता कि इस मंदिर का निर्माण कब हुआ था और कैसे हुआ था और इस मंदिर का इतिहास क्या है | इन सभी के अलावा सूचना के लिए आपको यह भी बता दें कि वर्तमान समय में इलाहाबाद हाईकोर्ट में मथुरा के बांके बिहारी मंदिर में दर्शनार्थियों की सुरक्षा, उनके उचित रखरखाव की योजना बनाने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की गई है |