हम सभी देखते हैं की सर्दियों में अकसर लोग कमरा बंद करके कोयले या लकड़ी की अंगीठी जलाकर सोते हैं, लेकिन क्या आपको पता है की यह जिंदगी पर भारी पड़ सकता है |
क्यूंकि देश में हर साल ऐसे कई मामले सामने आते हैं, जिनमें अंगीठी से उठे धुएं के कारण बंद कमरे में दम घुटने से लोगों की मौत हो जाती है तो चलिए आज हम आपको बताते हैं की आखिर क्यों नहीं जलाना चाहिए बंद कमरे में अंगीठी और किस हद तक हो सकती है इससे मौत |
दरअसल आपको बता दें कि एक्सपर्ट बताते हैं कि कोयले की अंगीठी जलाने सेकार्बन मोनो ऑक्साइड निकलती है | यह जहरीली गैस सांस की नली से अंदर जाने के बाद दिमाग में खून की सप्लाई बाधित कर देती है जिससे की दम घुट जाता है या ब्रेन हेमरेज भी हो सकता है |
इसके आलवा डॉक्टर सचेत करते हैं कि जिन कमरों में हवा निकले का रास्ता न हो, वहां अंगीठी जलाकर बिलकुल नहीं सोना चाहिए क्यूंकि कई बार लोग कमरा इसलिए बंद कर लेते हैं कि अंगीठी की गर्मी से वो गर्मी बना रहे, लेकिन यह भूल जाते हैं कि कमरे में धुआं भी भरेगा |
इतना ही नहीं आगे एक्सपर्ट कहते हैं कि चूल्हा जलाते समय भी घर की खिड़कियां, रौशनदान और दरवाजे खोल कर रखें कगकि इससे कमरे में वेंटिलेशन बना रहेगा और धुएं को निकलने का रास्ता मिलेगा |
डॉक्टरों के अनुसार कार्बन मोनोऑक्साइड एक जहरीली गैस होती है और जिन जगहों पर कोयला या लकड़ी जल रही हो और वेंटिलेशन का कोई जरिया न हो यानी हवा का कोई रास्ता न हो, वहां सांस लेने पर ऑक्सीजन के साथ कार्बन मोनोऑक्साइड भी खींचते हैं |
कार्बन मोनोऑक्साइड हीमोग्लोबिन के साथ मिलकर कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन में बदल जाती है और खून में मौजूद RBC, ऑक्सीजन की तुलना में कार्बन मोनोऑक्साइड से पहले जुड़ती है | यह बेहद जानलेवा साबित होती है |
अंत में यहां एक्सपर्ट कहते हैं कि इस स्थिति ऑक्सीजन की सप्लाई में रोड़ा बनती है और इससे हाईपोक्सिया की नौबत आ जाती है यानी शरीर के टिशू मरने लगते हैं तो हमें किसी भी हाल में बंद कमरे में अंगीठी को जलाकर नहीं सोना चाहिए |