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Friday, September 20, 2024

जाने आखिर कैसे होता है श्री बांके बिहारी जी के प्रसाद और मालाओं का अपमान?

जाने आखिर कैसे होता है श्री बांके बिहारी जी के प्रसाद और मालाओं का अपमान?

आखिर कैसे होता है श्री बांके बिहारी जी के प्रसाद और मालाओं का अपमान: श्री बांके बिहारी जी को अर्पित किये गए प्रसाद और मालाओं के अपमान के कारण को समझने की कोशिश करते हैं |

जाने आखिर कैसे होता है श्री बांके बिहारी जी के प्रसाद और मालाओं का अपमान
आखिर कैसे होता है श्री बांके बिहारी जी के प्रसाद और मालाओं का अपमान

आज हम आपका ध्यान एक ऐसी बात की ओर ले जाना चाहेंगे जिसका संबंध ना किसी अधिकारी से और ना किसी नेता से है |इस बात का सीधा संबंध सिर्फ बांके बिहारी की आराधना में लगे रहने वाले गोस्वामी और पुरोहितों से है।

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समझे विस्तारपूर्वक आखिर कैसे होता है श्री बांके बिहारी जी के प्रसाद और मालाओं का अपमान:-

यदि हम आप से कहें कि आप भगवान के मंदिर में जाकर भगवान की ही माला और प्रसाद को को अपने पैरों से कुचल कर भगवान का अपमान कर रहे हैं तो आप को कैसा लगेगा?

एक श्रद्धालु और भक्त होने के नाते आप कभी भी नहीं चाहेंगे कि भगवान के श्री विग्रह पर अर्पित की गई माला और प्रसाद मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के पैरों तले कुचल दिये जाये |

दरअसल होता ये है कि श्री बांके बिहारी जी पर अर्पित होने वाली फूल मालाओं को गोस्वामियो द्वारा वी.आई.पी. कटघरे से दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को भगवान की कृपा वस्तु के रूप में मांगने पर दिया जाता है जबकि कई बार अपने स्वयं की इच्छा से गोस्वामी द्वारा ठाकुर जी के पास खड़े श्रद्धालुओं को प्रसाद माला फूल पटका आदि दे दिये जाते हैं।

लेकिन धीरे-धीरे करके एक नई प्रथा चलन में आने लगी। दूर खड़े भक्तों के द्वारा बांके बिहारी के जयकारे लगाते-लगाते कई बार वी.आई.पी. कैटेगरी में लोगों को माला लेता देख भीड़ के बीचो बीच खड़े भक्तों का मन भी माला लेने का होता है और वह चाहते हैं कि भगवान के अंग में पहनी हुई माला उन्हें भी मिल जाए इसके लिए वह पुजारी जी को इशारा करते हैं और पुजारी जी भी काफी दूर से माला फेंक कर उन्हें देने की कोशिश करते हैं |

जिसके चलते होता ये है की माला टूट कर किसी एक व्यक्ति को ना मिलकर कुछ लोगों के हाथ में फूल बनकर रह जाती है और कुछ फूल या माला का पूरा का पूरा अंग नीचे प्रांगण में गिर जाता है और भीड़ ज्यादा होने के कारण अन्य श्रद्धालु और मंदिर प्रांगण में खड़े लोगों के द्वारा उस माला को बारी-बारी कर कर कुचला जाता है |

इसी तरह बीच में खड़े श्रद्धालुओं के द्वारा माला मांगने की प्रकृति से प्रेरित होकर गोस्वामियो ने मालाओं को फेंक कर देने का एक नया कौतूहल भरा खेल सा बना लिया है ।आपने श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर लोगों को भगवान की बधाई के उपहार के रूप में खिलौने टॉफी बिस्कुट आदि लूटाते हुए देखा होगा इसे भगवान श्री कृष्ण और राधा जी के जन्म उत्सव के समय बधाई-उत्सव के रूप में मनाया जाता है ठीक इसी तरीके से गोस्वामीयो के द्वारा आनंद के साथ अठखेलियां करते हुए भगवान की मालाओं को श्रद्धालुओं को देने का एक नया तरीका अपनाया जाता है |

सरल भाव गोस्वामी को द्वारा ये कार्य किया जाता है और वहां आने वाले श्रद्धालु भी मजे से भगवान की माला और फूलों को क्रिकेट मैच कि बॉल की तरह पकड़ कर काफी आनंदित होते हैं लेकिन इस आनंद के दौरान कहीं ना कहीं वो भक्त जो भगवान श्री कृष्ण के प्रेम करते है और शास्त्रगत मर्यादाओं को जानते हैं |

इस गतिविधि से आहत होते है क्योंकि ऐसा करते करते भगवान की सैकड़ों मालाएं खंडित होकर पैरों के नीचे वहां आने वाले तमाम श्रद्धालु और भीड़ के द्वारा कुचल दी जाती हैं जिसके चलते मंदिर में काफी गंदगी का माहौल भी हो जाता है और साथ ही भगवान को अर्पित की गई महिलाओं का अपमान भी होता है ।

मंदिर प्रांगण में फूल बिखेरने के लिए कुछ गोस्वामियों के द्वारा फूल मालाओं को पंखे के ऊपर फेंका जाता है ताकि उनके फूल बिखर कर श्रद्धालुओं के ऊपर फैल जाएं इस गतिविधि को देखकर श्रद्धालु बड़े आनंदित होते हैं और अपने हाथों में फूलों को पकड़कर काफी आनंद लेते हैं लेकिन यह आनंद भरा कार्य किसी दिन बड़ी घटना में भी तब्दील हो सकता है क्योंकि फूलों की मालाओं को काटने वाला पंखा अनियंत्रित होकर कभी भी किसी श्रद्धालु के सर पर गिर सकता है और किसी अप्रिय घटना को अंजाम दे सकता है |

समझे विस्तारपूर्वक आखिर कैसे होता है श्री बांके बिहारी जी के प्रसाद अपमान:-

अब बात करते हैं भगवान के प्रसाद के अपमान की |मंदिर में फोटो और वीडियो ग्राफी करना वर्जित है जिसके चलते सिक्योरिटी गार्डों के द्वारा समय-समय पर लोगों को रोका जाता है लेकिन कई बार किसी व्यक्ति को रोकने के लिए पेड़ा और लड्डू को फेंक कर उसके सर पर मार दिया जाता है |

आपने बचपन में देखा होगा जब कोई बच्चा क्लास में पढ़ाई पर ध्यान नहीं देता था तो टीचर ब्लैक बोर्ड पर लिखने वाली चौक को फेंक कर उसके सर पर मार दिया करता था ठीक उसी तरीके से गोस्वामियो के द्वारा कुछ लोगों को कैमरा और वीडियोग्राफी ना करने के लिए इशारे के रूप में भगवान के लड्डू और प्रसाद को फेंक कर उनके सर पर मार दिया जाता है |

लड्डू और प्रसाद फेंकने की घटना गोस्वामियों के द्वारा काफी कम मात्रा में की जाती है लेकिन वहां तैनात सिक्योरिटी गार्डों के द्वारा दिन में सैकड़ों बार भगवान के प्रसाद को फेक कर श्रद्धालुओं के सर पर मारा जाता है और वह लड्डू फूट कर नीचे मंदिर प्रांगण में गिर जाता है और अन्य श्रद्धालु व भीड़ के द्वारा वह प्रसाद पैरों से कुचला जाता है इस तरह से श्री बांके बिहारी जी के प्रसाद का अपमान होता है |

और अक्सर फेंका गया लड्डू और पेड़ा उस व्यक्ति के सर पर तो लगता ही है साथ ही बगल मे और आसपास में खड़े अन्य व्यक्तियों के कपड़ों पर बिखर कर उन्हें भी चिपचिपा और खराब कर देता है |

आशा है कि आपको हमारा ये “जाने आखिर कैसे होता है श्री बांके बिहारी जी के प्रसाद और मालाओं का अपमान?” से जुड़ा लेख अवश्य पसंद आयेगा |

हमे ये भी आशा है कि ये लेख गोस्वामी और पुरोहितों के प्रिय और आराध्य श्री बांके बिहारी जी की माला और प्रसाद के अपमान को रोकने हेतु भी काम में आयेगा क्योंकि ये अपमान किसी के भी द्वारा जानबूझकर नहीं किया जा रहा है लेकिन जब तक ऐसे लेखो के जरिये कुछ भक्तों की भावना प्रकाशित नहीं होगी तब तक अन्य लोगों के द्वारा हो रही इस भूल को सुधारने हेतु कदम को कैसे अमल में लाया जायेगा |

लेखन — तरूण शर्मा

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