प्रधानमंत्री मोदी के निक्षय राष्ट्र के संकल्प को पूरा करेगा के.डी. हॉस्पिटल
नियमित दवाओं का सेवन कर पाएं टीबी रोग से मुक्तिः डॉ. एस.के. बंसल
मथुरा अभी न्यूज़ ( गौरव चतुर्वेदी ) देश को साल 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प को साकार करने के उद्देश्य से गुरुवार को के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर में निक्षय दिवस मनाया गया। इस अवसर पर के.डी. हॉस्पिटल के क्षय रोग विभागाध्यक्ष डॉ. एस.के. बंसल ने टीबी मरीजों को इस बीमारी से बचने के उपाय बताए तथा कहा कि जो लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं वे घबराएं नहीं बल्कि शीघ्र जांच कराएं तथा दवाओं का नियमित सेवन कर रोग से मुक्ति पाएं।
डॉ. बंसल ने क्षय रोग से पीड़ित लोगों को के.डी. हॉस्पिटल द्वारा दी जा रही मुफ्त जांच, मुफ्त दवा और अन्य सुविधाओं से अवगत कराया। डॉ. बंसल ने बताया की आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल तथा प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल के प्रयासों से के.डी. हॉस्पिटल में पहले से ही क्षय रोग से पीड़ित लोगों की मुफ्त जांच और उपचार किया जा रहा है। यहां क्षय रोग विशेषज्ञ डॉ. शुभम, डॉ. अमृता स्वाती, डॉ. संचित पेरीवाल, डॉ. मोहम्मद रिजवान, डॉ. विवेक यादव, डॉ. गुंजन, डॉ. अक्षत मित्तल आदि की टीम पीड़ितों के क्षय रोग की शीघ्र पहचान कर उन्हें गुणवत्तापूर्ण इलाज का लाभ दिला रही है।
डॉ. बंसल ने क्षय रोगियों को बताया कि हमारे शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र हर समय रोगजनक जीवाणुओं से लड़ता रहता है लेकिन प्रतिरक्षा तंत्र जैसे ही कमजोर होता है बीमारियां हावी होने लगती हैं। ऐसी ही बीमारियों में से एक है टीबी की बीमारी, जिसे तपेदिक या क्षय रोग के नाम से भी जाना जाता है। टीबी का पूरा नाम ट्यूबरक्लोसिस है जो ‘माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस’ नामक जीवाणु से होता है। टीबी का मरीज एक साल में दस से पंद्रह लोगों को इस बीमारी से संक्रमित कर सकता है। ऐसे में टीबी का समय रहते इलाज होना बेहद जरूरी है। यह रोग किसी भी व्यक्ति को हो सकता है, इसलिए, इसे छिपाने की नहीं बल्कि इस रोग के इलाज की जरूरत है।
डॉ. बंसल ने कहा कि टीबी के मरीजों को अपना उपचार बीच में नहीं छोड़ना चाहिए। यदि बीच में उपचार छोड़ा गया तो यह बीमारी लाइलाज भी हो सकती है। इस अवसर पर उन्होंने टीबी की बीमारी के लक्षणों की भी जानकारी दी। डॉ. बंसल ने कहा कि यदि किसी को दो सप्ताह या उससे अधिक समय से खांसी, बुखार, वजन में कमी, भूख न लगने के साथ ही बलगम से खून आने की शिकायत है तो उसे तत्काल जांच करानी चाहिए। टीबी का सही इलाज शुरुआती जांच और समय से उपचार में ही निहित है।