क्या है वेस्टर्लीज? जो भारत के लिए ला रहा बड़ी मुसीबत
अभी न्यूज़ ( कीर्ति सिंह ) इस बार सर्दी बहुत ज्यादा पड़ने वाली हैं. कड़ाके की ठंड होगी. पहाड़ों पर ज्यादा बर्फबारी होगी. मैदानी इलाकों में बारिश की संभावना भी है. यह दावा किया है कुमाऊं यूनिवर्सिटी के सेंटर ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन जियोलॉजी के रिसर्चर प्रो. बहादुर सिंह कोटलिया ने. प्रोफेसर ने बताया कि जिसे आम भाषा में लोग पश्चिमी विक्षोभ कहते हैं. उसे वेस्टर्लीज कहा जाता है. इसकी वजह से ही ठंडी का मौसम आता है. प्रो. कोटलिया ने बताया पश्चिमी विक्षोभ की शुरुआत मेडिटेरेनियन में होता है. फिर वह मिडल ईस्ट से होते हुए अफगानिस्तान, पाकिस्तान और उसके बाद भारत में आता है. पाकिस्तान के बाद यह कश्मीर से होते हुए हिमाचल और उत्तराखंड पहुंचता है. यह अधिकतम आगरा तक जाता है. लेकिन इस बार यह दिल्ली की तरफ आ रहा है. इस बार जो पश्चिमी विक्षोभ आ रहा है उसमें बहुत ज्यादा नमी है. ज्यादा नमी का मतलब है कि वह अपने साथ बहुत सारा पानी लेकर आ रहा है. ऊंचाई वाली जगह पर पानी बर्फ बनकर गिरेगा. मैदानी इलाको में बारिश की तरह.
Winter 2022 Heavy Snowfall Prediction
ऊपरी इलाकों में बर्फबारी शुरू हो चुकी है. नीचे वाले इलाके जो वेस्टर्लीज की लाइन में हैं, वहां ज्यादा बारिश हो सकती है. कई बार वेस्टर्लीज गर्म होती है. कई बार ठंडी होती है. इस साल वहां पर हवा बहुत ही ठंडी है. यानी वेस्टर्लीज खुद गीला और ठंडा हुआ पड़ा है. उसमें बहुत सारी नमी है. यह नमी जब भारत के ऊपरी हिस्से में पहुंचेगी तो भयानक बर्फबारी होगी. प्रोफेसर कहते हैं कि इस बार कड़ाके की सर्दी पड़ने वाली है.
प्रो. कोटलिया कहते हैं कि जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड में वेस्टर्लीज का सीधा इंपैक्ट होता है. पहाड़ी राज्यों में यह उत्तराखंड आकर खत्म हो जाता है. नेपाल की तरफ ज्यादा नहीं जाता. मैदानी इलाकों में यह आगरा तक जाता है. लेकिन इस बार इसकी चपेट में दिल्ली भी आने वाला है. राष्ट्रीय राजधानी में कड़ाके की सर्दी पड़ने वाली है. वेस्टर्लीज सी-सरफेस टेंपरेचर (Sea Surface Temperature) की वजह से बनता है.
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प्रोफेसर ने बतायया कि अगर मेडिटेरेनियन में सी सरफेस टेंपरेचर नॉर्मल होता है तो सर्दियों में बारिश ज्यादा नहीं होती. लेकिन टेंपरेचर ज्यादा होता है, तो नमी बढ़ती है. इस बार वेस्टर्लीज में नमी ज्यादा है. यह मिडल ईस्ट से होते हुए अफगानिस्तान, पाकिस्तान, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड तक एक लाइन में आएगा. भारत आने के बाद ये दो लाइन में बंट जाता है. पहली लाइन पहाड़ी राज्यों में बर्फबारी कराती है. जबकि दूसरी लाइन मैदानी इलाकों में बारिश.
शिमला, नैनीताल, गुलमर्ग जैसे स्थानों पर बहुत ज्यादा बर्फबारी होने वाली है. क्योंकि इस समय वेस्टर्लीज बहुत ज्यादा सक्रिय है. पर्वतीय क्षेत्रों के लोगों को सावधान कर देना चाहिए. ज्यादा बर्फबारी का मतलब है ज्यादा सर्दी. अगर तीनों हिमालयी राज्यों में बर्फबारी ज्यादा होगी तो यहां से जाने वाली हवाएं ठंडी होंगी. इसकी वजह से मैदानी इलाके भी कापेंगे. साल 2022 की सर्दियां इस बार भयानक हो सकती हैं. जर्मनी के वैज्ञानिकों के साथ गुफा लिंगों के जरिए मौसम परिवर्तन पर लंबा शोध कर रहे यूजीसी वैज्ञानिक डॉ. कोटलिया ने बताया कि ग्लोबल वार्मिग के कारण पूरे विश्व के मौसम में अप्रत्याशित बदलाव आया है. इसका प्रभाव उत्तर भारत सहित हिमालयी राज्यों में भी देखने को मिला है.
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प्रोफेसर कोटलिया ने बताया कि इस बार बारिश भी ठीक ठाक हुई है. अतिवृष्टि की घटनाएं अधिक नहीं हुई. मौसम चक्र में सुधार आया है. शीतकाल में कई स्थानों में भारी हिमपात व कई स्थानों में सामान्य हिमपात के साथ अच्छी वर्षा के आसार हैं. इस वर्ष मौसम परिवर्तन के कारण भारत के उन स्थानों में भी भारी वर्षा हुई जहां लंबे समय से सूखा पड़ा था. अच्छी वर्षा के बाद मौसम चक्र में सुधार आया है. पिछले सालों की तुलना में इस बार शीतकालीन वर्षा व हिमपात संतोषजनक रहेगा.
प्रोफेसर कोटलिया का कहना है कि मौसम परिवर्तन का मुख्य कारण ग्लोबल वार्मिंग है. इसके लिए पूरा विश्व समुदाय चितिंत है. हिमालय क्षेत्रों में विकास के नाम पर जिस तरह से वनों का विनाश हो रहा है उसके परिणाम जल्द दिखाई देंगे. हिमालयी क्षेत्रों में विपरित मौसम का प्रभाव पूरे उत्तर भारत पर पडे़गा. प्रो. कोटलिया जलवायु विज्ञान एवं क्लाइमेट चेंज विषय पर विशेष शोध तथा राष्ट्रीय भूविज्ञान अवार्ड-2018 हासिल करने वाले देश के एकमात्र वैज्ञानिक हैं, जो हिमालयी राज्यों में जलवायु परिवर्तन पर कई शोध कर चुके हैं