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Thursday, September 26, 2024

के.डी. हॉस्पिटल में डेढ़ लाख में हुआ दोनों घुटनों का प्रत्यारोपण

के.डी. हॉस्पिटल में डेढ़ लाख में हुआ दोनों घुटनों का प्रत्यारोपण

मथुरा अभी न्यूज़ ( गौरव चतुर्वेदी ) नवम्बर माह में एक दर्जन से अधिक लोगों के हुए नी रिप्लेसमेंट
मथुरा। के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर में सोमवार 21 नवम्बर को हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. विक्रम शर्मा और डॉ. विवेक चांडक की सूझबूझ से धानातेजा रिफायनरी, मथुरा निवासी जीत सिंह (62) के दोनों घुटनों का एक साथ प्रत्यारोपण (बाइलेटरल टोटल नी रिप्लेसमेंट) किया गया। नवम्बर माह में के.डी. हॉस्पिटल में एक दर्जन से अधिक लोगों के घुटनों का सफल प्रत्यारोपण किया गया है।
ज्ञातव्य है कि धानातेजा रिफायनरी, मथुरा निवासी जीत सिंह कई वर्षों से दोनों घुटनों के दर्द से परेशान थे। वह कई चिकित्सालयों में उपचार को गए लेकिन कहीं भी उन्हें संतोषजनक जवाब और उपचार नहीं मिला। उसका अधिकतर समय चारपाई में ही बीतने लगा और वजन भी 100 किलो से अधिक हो गया। ऐसे में एक दिन वह अपने परिजनों के साथ के.डी. हॉस्पिटल आए और हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. विक्रम शर्मा और डॉ. विवेक चांडक से मिले। डॉ. शर्मा ने मरीज की परेशानी का सूक्ष्मता से अध्ययन करने के बाद उसे घुटना प्रत्यारोपण (बाइलेटरल टोटल नी रिप्लेसमेंट) की सलाह दी।
जीत सिंह की सहमति के बाद 21 नवम्बर को डॉ. विक्रम शर्मा और डॉ. विवेक चांडक की अगुआई में सर्जरी के माध्यम से दोनों घुटनों का प्रत्यारोपण किया गया। इस सफल सर्जरी में डॉ. विक्रम शर्मा और डॉ. विवेक चांडक का सहयोग डॉ. बिलाल अहमद, निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. लीना, डॉ. नवीन और टेक्नीशियन प्रदीप व प्रताप ने किया। इस सफल सर्जरी से जीत सिंह को हमेशा के लिए दर्द से निजात मिल गई। जीत सिंह ने बताया कि सिर्फ डेढ़ लाख रुपये में उसके दोनों घुटने बदल गए। इस खर्च में उन्हें सर्जरी के साथ ही हॉस्पिटल में रहने-खाने और दवाइयों आदि की सारी सुविधाएं दी गईं। जीत सिंह कहते हैं कि वह तो फिर से चलने की उम्मीद ही खो चुके थे लेकिन के.डी. हॉस्पिटल प्रबंधन और चिकित्सकों के सहयोग से फिर से वह अपने पैरों पर खड़े हो पाए हैं तथा दर्द निवारक दवाओं से भी उन्हें हमेशा के लिए छुटकारा मिल गया।
जीत सिंह की सफल सर्जरी करने वाले डॉ. विक्रम शर्मा ने बताया कि एक साथ दोनों घुटनों के प्रत्यारोपण के कई फायदे हैं। इससे मरीज को दो बार आपरेशन नहीं कराना पड़ता, हॉस्पिटल में बहुत कम समय के लिए रहना पड़ता है, दोनों घुटनों में एक साथ दर्द से छुटकारा मिल जाता है, बेहतर फिजियोथेरेपी हो पाती है तथा मरीज की चाल भी पहले जैसी हो जाती है। डॉ. शर्मा का कहना है कि घुटने की प्रत्यारोपण सर्जरी के मामले में सैद्धांतिक रूप से रिकवरी का समय 14 दिन है लेकिन आदर्श रूप से रिकवरी सर्जरी के बाद की देखभाल और व्यायाम पर निर्भर करती है। के.डी. हॉस्पिटल में चूंकि सारे सेफ्टी प्रोटोकाल की जांच के बाद ही मरीज की सर्जरी होती है लिहाजा उसे 2-3 दिनों के भीतर ही छुट्टी दे दी जाती है।

के.डी. हॉस्पिटल में डेढ़ लाख में हुआ दोनों घुटनों का प्रत्यारोपण
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