पूरे देश में इन दिनों कई जगह उपचुनाव है तो इसी कड़ी में अब निर्वाचन आयोग ने महाराष्ट्र की एक विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में शिवसेना के उद्धव और शिंदे दोनों गुटों द्वारा पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह का उपयोग करने पर पाबंदी लगा दी है |
जिसके बाद शिवसेना धड़े के एक नेता ने आयोग के इस कदम को अन्याय बताया है | पार्टी के दोनों गुटों ने नाम और चुनाव चिन्ह पर दावा किया था तो अब ऐसे में आयोग ने एक अंतरिम आदेश जारी कर दोनों से कहा है कि दोनों गुट सोमवार तक अपनी-अपनी पार्टी के लिए तीन-तीन नए नाम और चुनाव चिन्ह सुझाएं |
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दरअसल आपको बता दें की 8 अक्टूबर को जारी किए गए अपने आदेश में चुनाव आयोग ने कहा है कि शिवसेना धनुष और तीर’चुनाव चिन्ह के साथ महाराष्ट्र में एक मान्यता प्राप्त राज्य पार्टी है और शिवसेना के संविधान के प्रावधानों के अनुसार शीर्ष स्तर पर पार्टी में एक प्रमुख और एक राष्ट्रीय कार्यकारिणी है |
इसके अलावा आयोग ने कहा कि 25 जून, 2022 को उद्धव ठाकरे की तरफ से अनिल देसाई ने आयोग को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में कुछ विधायकों द्वारा पार्टी विरोधी गतिविधियों के बारे में सूचित किया था और उन्होंने ‘शिवसेना या बालासाहेब’ के नामों का उपयोग कर किसी भी राजनीतिक दल की स्थापना के लिए अग्रिम आपत्ति जताई थी | जिसके चलते ही चुनाव आयोग ने यह एक्शन लेना पड़ा |
दूसरी तरफ आपको बता दें कि पार्टी का असली मालिक कौन होगा या नहीं इसका फैसला मुख्य रूप से तीन चीजों पर आधारित होता है जिसमें पहला- चुने हुए प्रतिनिधि किस गुट के पास ज्यादा हैं और दूसरा- ऑफिस के पदाधिकारी किस ओर हैं | इन सब के आलवा तीसरा- संपत्तियां किस तरफ हैं |
लेकिन फिर भी किस धड़े को पार्टी माना जाएगा इसका फैसला तो चुने हुए प्रतिनिधियों के बहुमत के आधार पर होता है |क्यूंकि जिस धड़े के पास ज्यादा चुने हुए सांसद-विधायक होंगे उसे पार्टी माना जाएगा |लेकिन फ़िलहाल देखने वाली बात यह होगी कि किस धड़े को असली शिवसेना माना जाता है या नहीं |