जम्मू कश्मीर की राजनीति में लगी इस्तीफ़ो की झड़ी, सक्रिय हुआ आजाद गुट, अब बदल सकता है राजनीतिक समीकरण
जम्मू कश्मीर की राजनीति में लगी इस्तीफ़ो की झड़ी — जब से गुलाब नबी आजाद ने कांग्रेस छोड़ी है तब से ही जम्मू कश्मीर की राजनीति में पूरी तरह से उथल-पुथल मचा हुआ है, हर कोई अपनी पार्टी छोड़ रहा है और एक दूसरे के पाले में जा रहा है ।
अब जम्मू कश्मीर की समस्त पार्टियां अपने-अपने नेताओं को जोड़ने में लगी हुई है क्योंकि हाल ही जम्मू कश्मीर के बाद कांग्रेस के 4 बड़े नेताओं ने त्यागपत्र दे दिया और गुलाम नबी आजाद के साथ हो लिए है ।
आपको बता दे की कठुआ के बनी से कांग्रेस के पूर्व विधायक गुलाम हैदर मलिक और कठुआ से पूर्व एमएलसी सुभाष गुप्ता और डोडा से शाम लाल भगत ने अलग-अलग पार्टी हाईकमान को अपना इस्तीफा भेज दिया है। हैदर मलिक जम्मू कश्मीर विधानसभा के डिप्टी स्पीकर रहे हैं। कांग्रेस के प्रदेश महासचिव महेश्वर सिंह मन्हास ने भी इस्तीफा दे दिया।
इतना ही नहीं अनुमान यह भी लगाया जा रहा है कि पूर्व उपमुख्यमंत्री तारा चंद, पूर्व मंत्री अब्दुल मजीद वानी एवं मनोहर लाल शर्मा और गारू राम और पूर्व विधायक बलवान सिंह दिल्ली में हैं। ये भी कांग्रेस से इस्तीफा देने की कतार में हैं।
कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी रजनी पाटिल मंगलवार को जम्मू पहुंच रही हैं। उनके साथ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद विकार रसूल वानी भी पहली बार जम्मू आ रहे हैं। उनके साथ बैठक में कार्यवाहक प्रधान रमण भल्ला के साथ पार्टी के अन्य कुछ वरिष्ठ नेता भी हिस्सा लेंगे |
इतना ही नहीं आपको यह भी बता दे की अल्ताफ बुखारी की जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के पदाधिकारी व कार्यकर्ता भी अपना घर बदलने लगे हैं। अपनी पार्टी की डोडा जिला इकाई के एक दर्जन नेता और कार्यकर्ता गुलाम नबी आजाद के पाले में चले गए हैं।जम्मू कश्मीर में लगातार कार्यकर्ताओं का पहला बदलना सभी पार्टियों के लिए सिरदर्द बना हुआ है ।
गुलाम नबी आजाद और नेशनल कान्फ्रेंस के अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने के फैसले से पीपुल्स एलांयस फार गुपकार डिक्लेरेशन में हलचल मची हुई है। बाहरी राज्यों के लोगों को मताधिकार के विरोध के बहाने एकजुटता दिखाने के लिए पीपुल्स एलांयस फार गुपकार डिक्लेरेशन अगले माह जम्मू में सर्वदलीय बैठक का आयोजन करने जा रहा है।
फिलहाल पीपुल्स एलांयस फार गुपकार डिक्लेरेशन की बैठक को आजाद के दौरे के दौरान एकजुटता दिखाने के लिए अधिक मानी जा रही है। लेकिन ये तो देखने वाली बात ही होगी की पीपुल्स एलांयस फार गुपकार डिक्लेरेशन की बैठक का जम्मू कश्मीर के नेताओं की अदला-बदली पर कितना असर पड़ता है।